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उत्पत्ति 48:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 तदुपरान्‍त उन्‍होंने उनको आशीर्वाद दिया: ‘परमेश्‍वर, जिसकी उपस्‍थिति में रहकर मेरे पूर्वज अब्राहम और इसहाक आचरण करते थे, परमेश्‍वर, जिसने दीर्घायु में आज तक मेरा नेतृत्‍व किया,

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पवित्र बाइबल

15 और इस्राएल ने यूसुफ को आशीर्वाद दिया और कहा, “मेरे पूर्वज इब्राहीम और इसहाक ने हमारे परमेश्वर की उपासना की और वही परमेश्वर मेरे पूरे जीवन का पथ—प्रदर्शक रहा है।

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Hindi Holy Bible

15 फिर उसने यूसुफ को आशीर्वाद देकर कहा, परमेश्वर जिसके सम्मुख मेरे बापदादे इब्राहीम और इसहाक (अपने को जानकर ) चलते थे वही परमेश्वर मेरे जन्म से ले कर आज के दिन तक मेरा चरवाहा बना है ;

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 फिर उसने यूसुफ को आशीर्वाद देकर कहा, “परमेश्‍वर जिसके सम्मुख मेरे बापदादे अब्राहम और इसहाक चले, वही परमेश्‍वर मेरे जन्म से लेकर आज के दिन तक मेरा चरवाहा बना है;

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नवीन हिंदी बाइबल

15 फिर उसने यह कहते हुए यूसुफ को आशीर्वाद दिया, “वह परमेश्‍वर जिसके सामने मेरे पूर्वज अब्राहम और इसहाक चलते थे, वही परमेश्‍वर जन्म से लेकर आज तक मेरा चरवाहा रहा है;

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सरल हिन्दी बाइबल

15 योसेफ़ को आशीष देते हुए इस्राएल ने कहा, “परमेश्वर, जिसके सम्मुख मेरे पूर्वज अब्राहाम तथा यित्सहाक चलते थे, वही परमेश्वर, जीवन भर आज तक मेरा चरवाहा बनकर रहे हैं,

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उत्पत्ति 48:15
39 क्रॉस रेफरेंस  

जब अब्राम निन्‍यानबे वर्ष के थे तब प्रभु ने उन्‍हें दर्शन देकर कहा, ‘मैं सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर हूं। मेरी उपस्‍थिति में रहकर निर्दोष आचरण करने का प्रयत्‍न कर।


उसने शीघ्रता से घड़े का जल नांद में उण्‍डेल कर खाली किया और फिर जल भरने को कुएं पर दौड़कर गई। उसने सब ऊंटों के लिए कुएं से पानी खींचा।


तब उन्‍होंने मुझसे कहा, “प्रभु, जिसकी उपस्‍थिति में रहता हुआ मैं आचरण करता हूँ, अपना दूत तुम्‍हारे साथ भेजकर तुम्‍हारी यात्रा सफल करेगा, और तुम मेरे पुत्र के लिए मेरे कुटुम्‍बियों और मेरे पितृगृह से वधू लाओगे।


उसने पास जाकर इसहाक को चूमा। इसहाक ने उसके वस्‍त्र की सुगन्‍ध सूंघकर उसको यह आशीर्वाद दिया : ‘देखो, मेरे पुत्र की सुगन्‍ध! यह उस खेत की सुगन्‍ध के सदृश है जिसे प्रभु ने आशिष दी है।


उसके बाद तू मेरी रुचि के अनुसार मेरे लिए स्‍वादिष्‍ट भोजन पकाना और उसको मेरे पास लाना। मैं उसको खाऊंगा और मरने के पूर्व तुझे आशीर्वाद दूँगा।’


याकूब ने यह मन्नत मानी, ‘परमेश्‍वर, यदि तू मेरे साथ रहेगा, और मेरे इस मार्ग पर, जिस पर मैं चल रहा हूँ, मेरी रक्षा करेगा, मुझे खाने को रोटी और पहनने को वस्‍त्र देगा


यह पत्‍थर जिसे मैंने स्‍तम्‍भ के रूप में खड़ा किया है, परमेश्‍वर का भवन बनेगा। जो कुछ तू मुझे प्रदान करेगा, उसका दशमांश मैं तुझे अर्पित करूँगा।’


सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर तुझे आशिष दे, तुझे इतना फलवन्‍त और असंख्‍य बनाए कि तू अनेक जातियों का एक समुदाय बन जाए।


तत्‍पश्‍चात् हम तैयार होंगे और बेत-एल नगर को जाएंगे। मैं वहाँ उस ईश्‍वर के लिए एक वेदी निर्मित करूँगा जिसने संकट के दिन मुझे उत्तर दिया था।’


मेरी समस्‍त बुराइयों से मुझे मुक्‍त करने वाला दूत, इन बच्‍चों को आशिष दे। इनके माध्‍यम से मेरा और मेरे पूर्वजों, अब्राहम और इसहाक का नाम चले, ये महान बनें, और पृथ्‍वी पर असंख्‍य हों।’


‘यूसुफ फलवन्‍त डाल है, झरने के किनारे लगी फलवन्‍त डाल, उसकी शाखाएँ दीवार पर फैली हैं।


फिर भी उसका धनुष स्‍थिर रहा। उसकी भुजाएँ, उसके हाथ गतिवान थे। याकूब के सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के हाथ से, इस्राएल की चट्टान, मेषपाल के नाम से,


ये इस्राएल के बारह कुल हैं। ये ही आशीर्वचन उनके पिता ने उच्‍चारे थे। उन्‍होंने प्रत्‍येक कुल को उसके उपयुक्‍त आशीर्वाद दिया था।


यह नूह के परिवार का वृत्तान्‍त है। नूह भक्‍त पुरुष था। वह अपने समय के लोगों में सर्वाधिक निर्दोष था। वह परमेश्‍वर का सहचर था।


सुलेमान ने उत्तर दिया, ‘तू अपने सेवक, मेरे पिता दाऊद पर बड़ी करुणा करता रहा; क्‍योंकि वह तेरे सम्‍मुख सच्‍चाई, धार्मिकता और सरल हृदय से चलते थे। तूने उन पर सबसे बड़ी करुणा यह की, कि उनको एक पुत्र प्रदान किया जो आज उनके सिंहासन पर बैठा है।


ये इस्राएल के ज्‍येष्‍ठ पुत्र रूबेन के वंशज थे। (यद्यपि रूबेन ज्‍येष्‍ठ पुत्र था; किन्‍तु उसने पिता की पत्‍नी से बलात्‍कार किया था, इसलिए उसके ज्‍येष्‍ठ पुत्र होने का जन्‍म-सिद्ध अधिकार उसके छोटे भाई यूसुफ के पुत्रों को दे दिया गया था। इस कारण रूबेन के नाम का उल्‍लेख वंशावली में जन्‍म के क्रमानुसार नहीं किया गया है।


मैं प्रभु को निरन्‍तर अपने समक्ष रखता हूँ; वह मेरी दाहिनी ओर है, इसलिए मैं अटल हूँ।


प्रभु मेरा चरवाहा है, मुझ-भेड़ को अभाव न होगा।


प्रभु पर भरोसा रखो और भले कार्य करो; पृथ्‍वी पर निवास करो और सत्‍य का पालन करो।


जा और इस्राएल के धर्मवृद्धों को एकत्र कर उनसे कहना, “तुम्‍हारे पूर्वजों के परमेश्‍वर, अब्राहम के परमेश्‍वर, इसहाक के परमेश्‍वर, और याकूब के परमेश्‍वर, प्रभु ने मुझे दर्शन दिया है। उसने कहा है : मैंने निश्‍चय तुम्‍हारी सुध ली है। जो मिस्र देश में तुम्‍हारे साथ किया जा रहा है, उस पर ध्‍यान दिया है।


‘इस प्रकार उन्‍हें विश्‍वास होगा कि उनके पूर्वजों के परमेश्‍वर, अब्राहम के परमेश्‍वर, इसहाक के परमेश्‍वर और याकूब के परमेश्‍वर, मुझ-प्रभु ने तुझे दर्शन दिया है।’


मजदूर के लिए वरदान है− मीठी नींद, चाहे वह आधा पेट खाए चाहे पेट भर। किन्‍तु धनवान का धन बढ़ने से उसकी आंखों से नींद उड़ जाती है।


देखो, जो भली बात मैंने अनुभव की, और जो उचित भी है, वह यह है : “मनुष्‍य परमेश्‍वर द्वारा दिए गए अपने अल्‍पकाल के जीवन में सूर्य के नीचे धरती पर आनन्‍दपूर्वक परिश्रम करे, खाए और पीए, क्‍योंकि यही उसकी नियति है।”


मनुष्‍य अपने पेट के लिए ही सब परिश्रम करता है, तो भी उसका पेट कभी नहीं भरता।


जब तुम सत्‍य मार्ग से दाएं-बाएं भटकोगे तब तुम्‍हारे कानों में पीछे से यह आवाज सुनाई देगी; “सत्‍य मार्ग यही है, इस पर चलो!”


ये कार्य करनेवाला व्यक्‍ति उच्‍चस्‍थान पर निवास करेगा, उसके रक्षा-स्‍थान चट्टानी किले होंगे; उसे भोजन सदा मिलता रहेगा, उसे जल का अभाव कभी न होगा।


उनकी हड्डियां सूर्य, चन्‍द्रमा और आकाश के तारागणों के सामने बिखरा दी जाएंगी; क्‍योंकि इनसे ही वे प्‍यार करते थे। इन की ही उन्‍होंने सेवा की थी, और इनका ही अनुसरण किया था। वे इन से ही शकुन विचारते थे, और इनकी ही पूजा करते थे। उनके इन्‍हीं दुष्‍कर्मों के कारण उनकी हड्डियां एकत्र नहीं की जाएंगी, और न वे पुन: गाड़ी जाएंगी। कूड़े के ढेर की तरह उनकी हड्डियों का ढेर जमीन पर पड़ा रहेगा।


वे दोनों परमेश्‍वर की दृष्‍टि में धार्मिक थे। वे प्रभु की सब आज्ञाओं और नियमों का निर्दोष अनुसरण करते थे।


इसलिए आप लोग चाहे खायें या पियें, जो कुछ भी करें, सब परमेश्‍वर की महिमा के लिए करें।


हमें एक बात का गर्व है-हमारा अन्‍त:करण हमें विश्‍वास दिलाता है कि हमने मनुष्‍यों के साथ और विशेष कर आप लोगों के साथ जो व्‍यवहार किया है, वह संसार की बुद्धिमानी के अनुसार नहीं, बल्‍कि उस सच्‍चाई और ईमानदारी के अनुसार था जो परमेश्‍वर की कृपा का वरदान है।


जो आशीर्वाद परमेश्‍वर के प्रियजन मूसा ने अपनी मृत्‍यु के पूर्व इस्राएली समाज को दिया था, वह यह है।


आपने येशु मसीह को प्रभु के रूप में स्‍वीकार किया है; इसलिए उन्‍हीं से संयुक्‍त हो कर जीवन बितायें।


उपदेश और सान्‍त्‍वना देते और अनुरोध करते थे कि आप उस परमेश्‍वर के योग्‍य जीवन बितायें, जो आप को अपने राज्‍य की महिमा के लिए बुलाता है।


विश्‍वास के कारण याकूब ने मरते समय यूसुफ के हर एक पुत्र को आशीर्वाद दिया और उन्‍होंने अपनी छड़ी की मूठ के सहारे झुक कर परमेश्‍वर की आराधना की।


हमारे पर का पालन करें:

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