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उत्पत्ति 33:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 एसाव बोला, ‘क्‍या मैं अपने साथ के कुछ मनुष्‍य तुम्‍हारे पास छोड़ जाऊं?’ किन्‍तु याकूब ने कहा, ‘इसकी क्‍या आवश्‍यकता है? मेरे स्‍वामी की कृपा-दृष्‍टि मुझपर बनी रहे।’

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पवित्र बाइबल

15 इसलिए एसाव ने कहा, “तब मैं अपने कुछ साथियों को तुम्हारी सहायता के लिए छोड़ दूँगा।” किन्तु याकूब ने कहा, “यह तुम्हारी विशेष दया है। किन्तु ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।”

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Hindi Holy Bible

15 ऐसाव ने कहा, तो अपने संग वालों में से मैं कई एक तेरे साथ छोड़ जाऊं। उसने कहा, यह क्यों? इतना ही बहुत है, कि मेरे प्रभु की अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर बनी रहे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 एसाव ने कहा, “तो अपने साथियों में से मैं कई एक तेरे साथ छोड़ जाऊँ।” उसने कहा, “यह क्यों? इतना ही बहुत है कि मेरे प्रभु के अनुग्रह की दृष्‍टि मुझ पर बनी रहे।”

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नवीन हिंदी बाइबल

15 एसाव ने कहा, “तो फिर अपने साथियों में से कुछ को मैं तेरे साथ छोड़ जाता हूँ।” उसने कहा, “इसकी क्या आवश्यकता है? बस इतना हो कि मेरे प्रभु की कृपादृष्‍टि मुझ पर बनी रहे।”

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सरल हिन्दी बाइबल

15 तब एसाव ने याकोब से कहा, “मैं अपने साथियों को आपके पास छोड़ देता हूं.” तब याकोब ने कहा, “क्या इसकी ज़रूरत है? मुझ पर मेरे स्वामी की दया बनी रहे, यही काफ़ी है.”

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उत्पत्ति 33:15
8 क्रॉस रेफरेंस  

दूत याकूब के पास लौट आए। अन्‍होंने कहा, ‘हम आपके भाई एसाव के पास गए थे। वह आपसे भेंट करने आ रहे हैं। उनके साथ चार सौ पुरुष हैं।


अत: एसाव उसी दिन सेईर नगर को चला गया।


शकेम ने भी दीना के पिता और भाइयों से कहा, ‘आप लोग मुझपर कृपा-दृष्‍टि कीजिए। जो कुछ भी आप मुझसे कहेंगे, वह मैं आपको दूँगा।


वे बोले, ‘आपने हमारी जीवन-रक्षा की है। यदि हमारे स्‍वामी हम पर कृपा दृष्‍टि बनाए रखें, तो हम फरओ के गुलाम बने रहेंगे।’


राजा ने सीबा से कहा, ‘जो कुछ मपीबोशेत का है, वह आज से तुम्‍हारा है।’ सीबा बोला, ‘महाराज, मैं भूमि पर झुककर आपका अभिवादन करता हूँ। हे मेरे स्‍वामी, मैं आपकी कृपादृष्‍टि सदा प्राप्‍त करता रहूँ।’


रूत ने कहा, ‘मेरे स्‍वामी, यद्यपि मैं आपकी किसी भी सेविका के बराबर नहीं हूँ तो भी मैंने आपकी कृपा-दृष्‍टि प्राप्‍त की। आपने मुझे दिलासा दिया। आपने मुझसे सान्‍त्‍वनापूर्ण शब्‍द कहे।’


हन्नाह ने कहा, ‘मुझ पर, आपकी सेविका पर, आपकी कृपा-दृष्‍टि बनी रहे!’ यह कहकर वह अपनी राह चली गई। वह भोजन-कक्ष में आई। उसने अपने पति के साथ भोजन किया। उस दिन के बाद उसने फिर कभी मुँह नहीं लटकाया।


आप अपने सेवकों से पूछिए। वे आपको यह बात बताएंगे। अत: आप मेरे सैनिकों पर कृपा-दृष्‍टि कीजिए। ये आनन्‍द के पर्व पर आए हैं। जो भी आपके पास है, वह आप हमें, अपने सेवकों को, और अपने पुत्र-तुल्‍य दाऊद को दे दीजिए।” ’


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