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अय्यूब 1:19 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

19 कि अचानक मरुस्थल की ओर से एक भीषण आंधी आयी। उसने मकान के चारों से ऐसा धक्‍का दिया कि वह आपके जवान पुत्र-पुत्रियों पर गिर पड़ा और वे दबकर मर गये। केवल मैं ही बच गया और अब आपको यह खबर देने के लिये आया हूं।’

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पवित्र बाइबल

19 तभी रेगिस्तान से अचानक एक तेज आँधी उठी और उसने मकान को उड़ा कर ढहा दिया। मकान आपके पुत्र और पुत्रियों के ऊपर आ पड़ा और वे मर गये। आपको समाचार देने के लिये केवल मैं ही बच निकल पाया हूँ।”

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Hindi Holy Bible

19 कि जंगल की ओर से बड़ी प्रचण्ड वायु चली, और घर के चारों कोनों को ऐसा झोंका मारा, कि वह जवानों पर गिर पड़ा और वे मर गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

19 कि जंगल की ओर से बड़ी प्रचण्ड वायु चली, और घर के चारों कोनों को ऐसा झोंका मारा कि वह जवानों पर गिर पड़ा और वे मर गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।”

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सरल हिन्दी बाइबल

19 कि एक बड़ी आंधी चली, जिसका प्रारंभ रेगिस्तान क्षेत्र से हुआ था, इसने उस घर पर चारों ओर से ऐसा प्रहार किया कि दब कर समस्त युवाओं की मृत्यु हो गई. मात्र मैं बचकर आपको सूचना देने आया हूं!”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

19 कि जंगल की ओर से बड़ी प्रचण्ड वायु चली, और घर के चारों कोनों को ऐसा झोंका मारा, कि वह जवानों पर गिर पड़ा और वे मर गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।”

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अय्यूब 1:19
12 क्रॉस रेफरेंस  

उनके पिता याकूब ने उनसे कहा, ‘तुम लोगों ने मुझे सन्‍तानहीन कर दिया। यूसुफ नहीं रहा। शिमोन भी नहीं रहा। अब तुम बिन्‍यामिन को ले जाओगे। ये सब विपत्तियाँ मुझ पर ही आ पड़ी हैं।’


राजा इस धक्‍के से हिल उठा। वह द्वार के ऊपर बने हुए कमरे में चला गया और वहाँ रोने लगा। उसने रोते हुए कहा, ‘ओ मेरे बेटे अबशालोम! मेरे बेटे! मेरे बेटे अबशालोम! काश, तेरे बदले मुझे मौत आई होती। ओ मेरे बेटे अबशालोम, मेरे बेटे!’


शेष सत्ताईस हजार सैनिक अपेक नगर की ओर भागे। नगर का परकोटा उनपर गिर पड़ा। बेन-हदद भी भागा। वह किले के भीतरी कक्ष में घुस गया।


महावत यह कह ही रहा था कि एक युवक आया, और उसने कहा, ‘आपके पुत्र और पुत्रियाँ अपने बड़े भाई के घर में भोजन कर रहे थे, और अंगूर-रस पी रहे थे


तब अय्‍यूब उठा। उसने शोक प्रकट करने के लिए अपना अंगरखा फाड़ा और अपना सिर मुंड़ाया। वह भूमि पर गिरा, और उसने प्रभु की साष्‍टांग वन्‍दना की।


पानी बरसा, नदियों में बाढ़ आयी, आँधियाँ चलीं और उस घर से टकरायीं। वह घर ढह गया और उसका सर्वनाश हो गया।”


द्वीप के निवासी उनके हाथ में साँप लिपटा देख कर आपस में कहने लगे, “निश्‍चय ही यह व्यक्‍ति हत्‍यारा है। यह समुद्र से तो बच गया है, किन्‍तु ईश्‍वरीय न्‍याय ने इसे जीवित नहीं रहने दिया।”


क्‍योंकि आपका आचरण पहले इस युग-संसार की रीति के अनुकूल, आकाश में अधिकार जमाने वाले नायक के अनुकूल था। आप उस आत्‍मा के वश में थे, जो अब तक परमेश्‍वर के विरोधियों में क्रियाशील है।


शिमशोन ने कहा, ‘मैं भी पलिश्‍तियों के साथ मर जाऊं!’ इतना कहकर उसने अपनी सम्‍पूर्ण शक्‍ति से खम्‍भों को धकेल दिया। तब भवन सामन्‍तों पर, उसमें बैठे सब लोगों पर गिर पड़ा। इस प्रकार शिमशोन ने अपनी मृत्‍यु के समय उससे अधिक संख्‍या में पलिश्‍तियों को मार डाला, जितनी संख्‍या में अपने जीवन काल में उसने मारे थे।


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