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2 शमूएल 11:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

11 ऊरियाह ने दाऊद को उत्तर दिया, ‘महाराज, मंजूषा तथा इस्राएल और यहूदा प्रदेशों के सैनिक झोपड़ियों में निवास कर रहे हैं। मेरे स्‍वामी योआब और उनके सेवक खुले मैदान में पड़ाव डाले हुए हैं। ऐसी स्‍थिति में मैं अपने घर जाऊं? खाऊं-पीऊं और अपनी पत्‍नी के साथ सोऊं? जीवन्‍त प्रभु की सौगन्‍ध! मैं यह कार्य कदापि नहीं करूँगा।’

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पवित्र बाइबल

11 ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, “पवित्र सन्दूक तथा इस्राएल और यहूदा के सैनिक डेरों में ठहरे हैं। मेरे स्वामी योआब और मेरे स्वामी (दाऊद) के सेवक बाहर मैदानों में खेमा डाले पड़े हैं। इसलिये यह अच्छा नहीं कि मैं घर जाऊँ, खाऊँ, पीऊँ, और अपनी पत्नी के साथ सोऊँ।”

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Hindi Holy Bible

11 ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, जब सन्दूक और इस्राएल और यहूदा झोंपडिय़ों में रहते हैं, और मेरा स्वामी योआब और मेरे स्वामी के सेवक खुले मैदान पर डेरे डाले हुए हैं, तो क्या मैं घर जा कर खाऊं, पीऊं, और अपनी पत्नी के साथ सोऊं? तेरे जीवन की शपथ, और तेरे प्राण की शपथ, कि मैं ऐसा काम नहीं करने का।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

11 ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, “जब सन्दूक और इस्राएल और यहूदा झोपड़ियों में रहते हैं, और मेरा स्वामी योआब और मेरे स्वामी के सेवक खुले मैदान पर डेरे डाले हुए हैं, तो क्या मैं घर जाकर खाऊँ, पीऊँ, और अपनी पत्नी के साथ सोऊँ? तेरे जीवन की शपथ, और तेरे प्राण की शपथ, कि मैं ऐसा काम नहीं करने का।”

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सरल हिन्दी बाइबल

11 उरियाह ने उन्हें उत्तर दिया, “संदूक, इस्राएल और यहूदिया की सेना मैदान में तंबू में ठहरे हुए हैं, और योआब मेरे स्वामी और मेरे स्वामी के सैनिक मैदान में शिविर डाले हुए हैं, तब क्या यह मेरे लिए सही है कि मैं अपने घर जाऊं, और खा-पीकर अपनी पत्नी के साथ सो जाऊं? आपकी और आपके प्राणों की शपथ, मुझसे वह सब हो ही नहीं सकता!”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

11 ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, “जब सन्दूक और इस्राएल और यहूदा झोपड़ियों में रहते हैं, और मेरा स्वामी योआब और मेरे स्वामी के सेवक खुले मैदान पर डेरे डाले हुए हैं, तो क्या मैं घर जाकर खाऊँ, पीऊँ, और अपनी पत्नी के साथ सोऊँ? तेरे जीवन की शपथ, और तेरे प्राण की शपथ, कि मैं ऐसा काम नहीं करने का।”

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2 शमूएल 11:11
19 क्रॉस रेफरेंस  

सेवकों ने दाऊद को यह बात बताई। उन्‍होंने कहा, ‘ऊरियाह अपने घर नहीं गया।’ तब दाऊद ने ऊरियाह से पूछा, ‘तुम अभी सफर से आए हो। फिर भी तुम अपने घर नहीं गए?’


राजा ने पूछा, ‘क्‍या तुम्‍हारी इन सब बातों में योआब का हाथ है?’ स्‍त्री ने उत्तर दिया, ‘मेरे स्‍वामी, महाराज की सौगन्‍ध! जो कुछ महाराज ने कहा, उसके एक अक्षर को भी मैं अस्‍वीकार नहीं कर सकती। महाराज का कथन अक्षरश: सच है। आपके सेवक योआब ने मुझे यह कार्य करने का आदेश दिया था। उन्‍होंने मुझे ये सब बातें सिखाई थीं।


दाऊद ने अबीशय से कहा, ‘अब बिकरी का पुत्र शेबा, अबशालोम से अधिक हमारी हानि करेगा। तुम हमारे अंगरक्षक लेकर शेबा का पीछा करो। ऐसा न हो कि वह किलाबन्‍द नगरों में पहुँच जाए, और हमसे बच निकले।’


एक दिन राजा दाऊद ने नबी नातान से यह कहा, ‘देखिए, मैं तो देवदार के महल में रहता हूँ, परन्‍तु परमेश्‍वर की मंजूषा तम्‍बू के भीतर पड़ी है।’


जिस दिन मैंने इस्राएली समाज को मिस्र देश से बाहर निकाला, उस दिन से आज तक मैं भवन में नहीं रहा। मैं तम्‍बू और शिविरों में यात्रा करता रहा।


मूसा ने गाद और रूबेन के वंशजों से कहा, ‘तुम्‍हारे भाई-बन्‍धु तो युद्ध में जाएंगे और तुम यहाँ आराम से बैठे रहोगे?


इसलिए यदि मैं, तुम्‍हारे प्रभु और गुरु ने तुम्‍हारे पैर धोये हैं, तो तुम्‍हें भी एक दूसरे के पैर धोने चाहिए।


यदि हम दृढ़ रहें, तो हम उनके साथ राज्‍य भी करेंगे। यदि हम उन्‍हें अस्‍वीकार करेंगे, तो वह भी हमें अस्‍वीकार करेंगे।


हन्नाह ने कहा, ‘हे मेरे स्‍वामी, आपके जीवन की सौगन्‍ध! मेरे स्‍वामी, मैं वही स्‍त्री हूँ जिसने यहाँ, आपके पास खड़ी होकर प्रभु से प्रार्थना की थी।


शाऊल ने पुरोहित अहीयाह को आदेश दिया, ‘परमेश्‍वर की मंजूषा यहाँ लाओ।’ उस समय परमेश्‍वर की मंजूषा इस्राएलियों के पास थी।


जब शाऊल ने देखा कि दाऊद पलिश्‍ती योद्धा का सामना करने जा रहा है तब उसने अपने सेनापति अब्‍नेर से पूछा, ‘अब्‍नेर, यह लड़का किसका पुत्र है?’ अब्‍नेर ने उत्तर दिया, ‘महाराज, आपके जीवन की सौगन्‍ध! मैं नहीं जानता।’


दाऊद ने शपथ खाई। उसने कहा, ‘तुम्‍हारे पिता यह बात अच्‍छी तरह जानते हैं कि मैंने तुम्‍हारी कृपा-दृष्‍टि प्राप्‍त की है। वह यह सोचते हैं : योनातन को निश्‍चय ही इस बात का पता नहीं चलना चाहिए। अन्‍यथा उसे दु:ख होगा। जैसे यह सच है कि प्रभु जीवित है और तुम जीवित हो, वैसे ही मेरी बात भी सच है : मेरे और मृत्‍यु के बीच केवल एक कदम का अन्‍तर रह गया है।’


अब, प्रभु के जीवन की सौगन्‍ध। स्‍वामी, आपके प्राण की सौगन्‍ध! प्रभु ने ही आपको हत्‍या के दोष से बचाया। आपको अपने हाथ से बदला लेने से रोका। प्रभु आपके सब शत्रुओं को, आपकी बुराई की ताक में रहनेवालों को, नाबाल के समान बना दे।


अत: उन्‍होंने लोगों को शिलोह भेजा। वे वहाँ से करूबों पर विराजने वाले, स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु की विधान-मंजूषा ले आए। एली के दोनों पुत्र, होफ्‍नी और पीनहास परमेश्‍वर की विधान-मंजूषा के साथ वहाँ थे।


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