35 प्रभु ने याकूब के वंशजों के साथ यह विधान स्थापित किया था और उनको यह आज्ञा दी थी, ‘तुम अन्य देवताओं की पूजा मत करना। तुम झुककर उनकी वन्दना मत करना। उनकी सेवा मत करना, और न उनके लिए बलि चढ़ाना।
35 यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ एक वाचा की थी। यहोवा ने उन्हें आदेश दिया, “तुम्हें अन्य देवताओं का सम्मान नहीं करना चाहिये। तुम्हें उनकी पूजा या सेवा नहीं करनी चाहिये या उन्हें बलि भेंट नहीं करनी चाहिये।
35 न तो उपनी विधियों और नियमों पर और न उस व्यवस्था और आज्ञा के अनुसार चलते हैं, जो यहोवा ने याकूब की सन्तान को दी थी, जिसका नाम उसने इस्राएल रखा था। उन से यहोवा ने वाचा बान्धकर उन्हें यह आज्ञा दी थी, कि तुम पाराये देवताओं का भय न मानना और न उन्हें दण्डवत करना और न उनकी उपासना करना और न उन को बलि चढ़ाना।
35 उनसे यहोवा ने वाचा बाँधकर उन्हें यह आज्ञा दी थी, “तुम पराये देवताओं का भय न मानना और न उन्हें दण्डवत् करना और न उनकी उपासना करना और न उनको बलि चढ़ाना।
35 जिनके साथ याहवेह ने वाचा स्थापित की थी, और उन्हें यह आदेश दिया था: “पराए देवताओं से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है और न ही आवश्यकता है उनके सामने झुकने की, न उन्हें बलि चढ़ाने की, और न उनकी सेवा-उपासना करने की.
35 उनसे यहोवा ने वाचा बाँधकर उन्हें यह आज्ञा दी थी, “तुम पराए देवताओं का भय न मानना और न उन्हें दण्डवत् करना और न उनकी उपासना करना और न उनको बलि चढ़ाना।
उन्होंने प्रभु की संविधियों को, अपने पुर्वजों के साथ स्थापित प्रभु के विधान को अस्वीकार किया और उसकी चेतावनी की घोर उपेक्षा की। उन्होंने झूठी मूर्तियों का अनुसरण किया, और स्वयं झूठे बन गए। उन्होंने अपने चारों ओर की जातियों के दुष्कर्मों का अनुसरण किया। उनके विषय में प्रभु ने इस्राएलियों को आदेश दिया था कि उनके समान कार्य मत करना।
उनकी ये मूर्तियां ककड़ी के खेत में खड़े फूस के पुतले के समान हैं; वे न बोल सकती हैं, और न चल ही सकती हैं। अत: उनको लाद कर ले जाते हैं। उनसे मत डरो, वे न तो तुम्हारा अनिष्ट कर सकती हैं, और न उनमें भलाई करने का सामर्थ्य ही है।’
अन्य जातियों के देवताओं की सेवा करने के लिए उनका अनुसरण मत करो, और न उनकी पूजा करो। अपने हाथ के कामों से मेरा क्रोध मत भड़काओ! तब मैं तुम्हारा अनिष्ट नहीं करूंगा।
तू झुककर उनकी वन्दना न करना, और न उनकी सेवा करना; क्योंकि मैं, तुम्हारा प्रभु परमेश्वर, ईष्र्यालु ईश्वर हूँ। जो मुझसे घृणा करते हैं, उनके अधर्म का दण्ड मैं तीसरी और चौथी पीढ़ी तक उनकी संतान को देता रहता हूँ;
यदि तुम अपने प्रभु परमेश्वर के विधान को भंग करोगे, जिसका पालन करने की आज्ञा उसने तुम्हें दी थी, और दूसरे देवताओं का अनुसरण कर उनकी पूजा करोगे, झुक कर उनकी वन्दना करोगे, तो तुम्हारे प्रति प्रभु का क्रोध भड़क उठेगा, और तुम इस उत्तम देश में, जिसको उसने तुम्हें प्रदान किया है, अविलम्ब नष्ट हो जाओगे।’
तुम इन जातियों में, जो तुम्हारे मध्य शेष रह गई हैं, मत मिलना-जुलना। उनके देवताओं का नाम मत लेना। उन देवताओं के नाम की शपथ भी नहीं खाना। उनकी पूजा मत करना, और न झुककर उन की वन्दना करना।
तब मैंने तुमसे यह कहा था : मैं तुम्हारा प्रभु परमेश्वर हूँ। तुम एमोरी जाति के देवताओं की, जिनके देश में निवास करोगे, पूजा मत करना। पर तुमने मेरी वाणी नहीं सुनी।” ’