2 राजाओं 10:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)14 येहू ने अपने सैनिकों को आदेश दिया, ‘इन्हें जीवित पकड़ लो।’ सैनिकों ने तत्काल उनको बन्दी बना लिया। वे बयालीस पुरुष थे। येहू के सैनिकों ने चरवाहों की सराय के गड्ढे में उनका वध कर दिया। येहू ने उनमें से किसी को भी जीवित नहीं छोड़ा। अध्याय देखेंपवित्र बाइबल14 तब येहू ने अपने लोगों से कहा, “इन्हें जीवित पकड़ लो।” येहू के लोगों ने अहज्याह के सम्बन्धियों को जीवित पकड़ लिया। वे बयालीस लोग थे। येहू ने उन्हें बेथ—एकद के पास कुँए पर मार डाला। येहू ने किसी व्यक्ति को जीवित नहीं छोड़ा। अध्याय देखेंHindi Holy Bible14 तब उसने कहा, इन्हें जीवित पकड़ो। सो उन्होंने उन को जो बयालीस पुरुष थे, जीवित पकड़ा, और ऊन कतरने के स्थान की बावली पर मार डाला, उसने उन में से किसी को न छोड़ा। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)14 तब उसने कहा, “इन्हें जीवित पकड़ो।” अत: उन्होंने उनको जो बयालीस पुरुष थे, जीवित पकड़ा, और ऊन कतरने के स्थान की बावली पर मार डाला, उसने उनमें से किसी को न छोड़ा। अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल14 येहू ने आदेश दिया, “जीवित पकड़ लो इन्हें.” उन्होंने उन्हें जीवित पकड़ लिया और उन्हें बेथ-एकेद के गड्ढे पर ले जाकर उनका वध कर दिया. ये बयालीस लोग थे. येहू ने उनमें से एक को भी जीवित न छोड़ा. अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 201914 तब उसने कहा, “इन्हें जीवित पकड़ो।” अतः उन्होंने उनको जो बयालीस पुरुष थे, जीवित पकड़ा, और ऊन कतरने के स्थान की बावली पर मार डाला, उसने उनमें से किसी को न छोड़ा। अध्याय देखें |
येहू ने वहां से प्रस्थान किया। उसको यहोनादब बेन-रेकाब मिला, जो उससे भेंट करने के लिए आ रहा था। येहू ने उसका अभिवादन किया। येहू ने पूछा, ‘जैसा मेरा हृदय तुम्हारे प्रति निष्कपट है, क्या वैसा ही तुम्हारा हृदय मेरे प्रति है?’ यहोनादब ने उत्तर दिया, ‘हां, है।’ येहू ने कहा, ‘यदि तुम्हारा हृदय निष्कपट है, तो मुझे अपना हाथ दो।’ यहोनादब ने अपना हाथ उसके हाथ में दिया। येहू ने उसको अपने साथ रथ पर चढ़ा लिया।
येहू ने उनको दूसरा पत्र लिखा। उसने इस पत्र में यह लिखा : ‘यदि तुम मेरे पक्ष में हो, यदि तुम मेरे आदेश का पालन करने को तैयार हो, तो अपने भूतपूर्व स्वामी के पुत्रों के सिर धड़ से अलग करो, और उनको लेकर कल, इसी समय यिज्रएल नगर पहुंच जाओ।” उस समय राजकुमार, जो संख्या में सत्तर थे, नगर के प्रमुख व्यक्तियों के यहां रहते थे। ये व्यक्ति राजपुत्रों का पालन-पोषण कर रहे थे।