21 ‘तुम लोग जाओ, और मेरी ओर से, इस्राएल और यहूदा प्रदेशों के बचे हुए लोगों की ओर से, इस धर्म-पुस्तक के वचनों का अर्थ प्रभु से ज्ञात करो। प्रभु की महा-क्रोधाग्नि हमारे प्रति भड़क उठी है; क्योंकि हमारे पूर्वजों ने प्रभु का वचन नहीं माना। उन्होंने धर्म-पुस्तक में लिखे गए प्रभु के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं किया।’
21 राजा ने कहा, “जाओ, मेरे लिये तथा इस्राएल और यहूदा में जो लोग बचे हैं उनके लिये यहोवा से याचना करो। जो पुस्तक मिली है उसके कथनों के बारे में पूछो। यहोवा हम लोगों पर बहुत क्रोधित है क्योंकि हमारे पूर्वजों ने यहोवा के कथनों का पालन नहीं किया। उन्होंने वे सब काम नहीं किये जो यह पुस्तक करने को कहती है!”
21 कि तुम जा कर मेरी ओर से और इस्राएल और यहूदा में रहने वालों की ओर से इस पाई हुई पुस्तक के वचनों के विष्य यहोवा से पूछो; क्योंकि यहोवा की बड़ी ही जलजलाहट हम पर इसलिये भड़की है कि हमारे पुरखाओं ने यहोवा का वचन नहीं माना, और इस पुस्तक में लिखी हुई सब आज्ञाओं का पालन नहीं किया।
21 “तुम जाकर मेरी ओर से और इस्राएल और यहूदा में रहनेवालों की ओर से इस पाई हुई पुस्तक के वचनों के विषय यहोवा से पूछो; क्योंकि यहोवा की बड़ी ही जलजलाहट हम पर इसलिये भड़की है कि हमारे पुरखाओं ने यहोवा का वचन नहीं माना, और इस पुस्तक में लिखी हुई सब आज्ञाओं का पालन नहीं किया।”
21 “जाओ, मेरे लिए, इस्राएल और यहूदिया की बाकी प्रजा की ओर से याहवेह से यह मालूम करो कि वह पुस्तक जो मिली है, उसका मतलब क्या है, क्योंकि भयंकर है हमारे लिए ठहराया गया याहवेह का क्रोध, इसलिये है कि हमारे पूर्वजों ने इसमें लिखी याहवेह की सारी शिक्षाओं का पालन नहीं किया है.”
21 “तुम जाकर मेरी ओर से और इस्राएल और यहूदा में रहनेवालों की ओर से इस पाई हुई पुस्तक के वचनों के विषय यहोवा से पूछो; क्योंकि यहोवा की बड़ी ही जलजलाहट हम पर इसलिए भड़की है कि हमारे पुरखाओं ने यहोवा का वचन नहीं माना, और इस पुस्तक में लिखी हुई सब आज्ञाओं का पालन नहीं किया।”
‘तुम लोग जाओ, और मेरी ओर से तथा जनता की ओर से एवं समस्त यहूदा प्रदेश की ओर से इस धर्मपुस्तक के वचनों का अर्थ प्रभु से ज्ञात करो। प्रभु की महाक्रोधाग्नि हमारे प्रति भड़क उठी है; क्योंकि हमारे पूर्वजों ने इस धर्म-पुस्तक के आदेशों का पालन नहीं किया। उन्होंने हमारे निमित्त लिखे गए प्रभु के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं किया।’
इस्राएल प्रदेश के राजा पेकह बेन-रमलयाह ने यहूदा प्रदेश में एक दिन में ही एक लाख बीस हजार सैनिकों का वध कर दिया। ये सब सशक्त योद्धा थे। इन्होंने अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर को त्याग दिया था, इसलिए ये मौत के घाट उतार दिये गए।
अत: प्रभु का क्रोध यहूदा प्रदेश तथा राजधानी यरूशलेम पर बरस पड़ा। प्रभु ने हमें अन्य जातियों की दृष्टि में घृणा का कारण बना दिया। वे हमें देखकर व्यंग्य से ताली बजाते हैं, और हमारी शोचनीय दशा पर आश्चर्य करते हैं। यह तुम स्वयं अपनी आंखों से देख रहे हो।
अत: प्रभु ने असीरिया देश की सेना और उसके सेनापतियों से उन पर आक्रमण करवाया। उन्होंने मनश्शे को नकेल से बांधा, और पीतल की जंजीरों से उसको जकड़ा और उसको बेबीलोन देश ले गए।
पुरोहित हिल्कियाह तथा अन्य उच्चाधिकारी, जिनको राजा योशियाह ने भेजा था, नबिया हूल्दाह के पास गए। वह हस्रा के पौत्र और तोखत के पुत्र शल्लूम की पत्नी थी। उसका पति पुरोहितों की पोशाक का प्रबन्धक था। वह यरूशलेम की नई बस्ती में रहती थी। उन्होंने उससे बात की।
‘बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर ने हम पर आक्रमण कर दिया है। आप, कृपया, इस सम्बन्ध में प्रभु से उसकी इच्छा मालूम कीजिए। कदाचित प्रभु हमारे मध्य अपने स्वभाव के अनुरूप आश्चर्यपूर्ण कार्य करे और राजा नबूकदनेस्सर हम पर आक्रमण करने का विचार छोड़ दे!’ तब प्रभु का यह सन्देश यिर्मयाह को मिला।
नबी यिर्मयाह के पास आए, और उन से यह निवेदन किया, ‘कृपया, हमारा निवेदन स्वीकार कीजिए, और हम-सब बचे हुए लोगों के लिए अपने प्रभु परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए (आप स्वयं अपनी आंखों से देख रहे हैं, कि पहले हम संख्या में कितने अधिक थे, और अब कितने थोड़े रह गए हैं।),
‘किन्तु अब मान लो: जिस पिता ने न्याय और धर्म के अनुरूप आचरण नहीं किया है, और उसका कोई पुत्र है। वह पुत्र अपने पिता के पापमय आचरण को देखता है; वह प्रभु से डरता है, और अपने पिता के समान पापमय आचरण नहीं करता है :
‘परन्तु यदि तू अपने प्रभु परमेश्वर की वाणी नहीं सुनेगा, उसकी उन समस्त आज्ञाओं और संविधियों के अनुसार, जिनका आदेश आज मैं तुझे दे रहा हूँ, कार्य करने को तत्पर नहीं होगा, तो ये अभिशाप तेरे पास आकर तुझ को पकड़ लेंगे।
(प्राचीन काल में इस्राएली देश में यह प्रथा थी : जब कोई व्यक्ति परमेश्वर से कुछ बात पूछने जाता था, तब वह कहता था, ‘आओ, हम द्रष्टा के पास चलें।’ जिस मनुष्य को आजकल नबी कहते हैं, उसे प्राचीन काल में द्रष्टा कहते थे)