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2 इतिहास 29:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

10 अब यह मेरी हार्दिक इच्‍छा है कि मैं इस्राएल के प्रभु परमेश्‍वर के साथ विधान की धर्मविधि सम्‍पन्न करूं, जिससे उसकी क्रोधाग्‍नि हमसे दूर हो जाए।

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पवित्र बाइबल

10 इसलिये मैं हिजकिय्याह ने यह निश्चय किया है कि मैं यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर के साथ एक वाचा करुँ। तब वह हम लोगों पर आगे क्रोधित नहीं होगा।

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Hindi Holy Bible

10 अब मेरे मन ने यह निर्णय किया है कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से वाचा बान्धूं, इसलिये कि उसका भड़का हुआ क्रोध हम पर से दूर हो जाए।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

10 अब मेरे मन ने यह निर्णय किया कि इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा से वाचा बाँधूँ, इसलिये कि उसका भड़का हुआ क्रोध हम पर से दूर हो जाए।

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सरल हिन्दी बाइबल

10 अब मेरी इच्छा यह है कि मैं याहवेह इस्राएल के परमेश्वर के साथ एक वाचा बांधूं, कि उनका भड़का हुआ क्रोध हम पर से हट जाए.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

10 अब मेरे मन ने यह निर्णय किया है कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से वाचा बाँधू, इसलिए कि उसका भड़का हुआ क्रोध हम पर से दूर हो जाए।

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2 इतिहास 29:10
19 क्रॉस रेफरेंस  

राजा मनश्‍शे ने अपने उकसाने वाले कार्यों से प्रभु को चिढ़ाया था। इसलिए उस की क्रोधाग्‍नि यहूदा प्रदेश के प्रति भड़क उठी थी। प्रभु की यह महाक्रोधाग्‍नि राजा योशियाह के धार्मिक सुधारों के बावजूद नहीं बुझी।


तब राजा योशियाह मंच पर खड़ा हुआ। उसने प्रभु के साथ यह विधान स्‍थापित किया, कि वह प्रभु का अनुसरण करेगा, अपने सम्‍पूर्ण हृदय और सम्‍पूर्ण प्राण से उसकी आज्ञाओं, सािक्षयों तथा संविधियों का पालन करेगा। वह इस विधान की पुस्‍तक में लिखे गए वचनों पर दृढ़ रहेगा। समस्‍त जनता ने भी प्रतिज्ञा की, कि वह विधान का पालन करेगी।


तत्‍पश्‍चात् पुरोहित यहोयादा ने प्रभु और प्रजा तथा राजा के मध्‍य विधान की धर्मविधि सम्‍पन्न की, जिससे वे प्रभु के निज लोग बन सकें।


तुम्‍हारे पूर्वज ऐंठी गरदनवाले लोग थे। तुम उनके समान हठीले मत बनो; किन्‍तु अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख विनम्र बनो; और उसके पवित्र स्‍थान में आओ, जिसको उसने सदा-सर्वदा के लिए पवित्र किया है। अपने प्रभु परमेश्‍वर की आराधना और सेवा करो, ताकि उसकी क्रोधाग्‍नि तुमसे दूर हो जाए।


अत: समस्‍त धर्म-सभा की ओर से हमारे पदाधिकारी ही कार्य करें। प्रत्‍येक नगर के वे पुरुष जिन्‍होंने विदेशी जातियों की कन्‍याओं से विवाह किया है निश्‍चित समय पर आएं। उनके साथ प्रत्‍येक नगर के न्‍यायाधीश और धर्मवृद्ध भी आएं। यह कार्य तब तक किया जाए, जब तक इस सम्‍बन्‍ध में परमेश्‍वर का भड़का हुआ क्रोध हमसे दूर न हो जाए।’


इसलिए आइए, हम अपने परमेश्‍वर से प्रतिज्ञा करें और आपके तथा परमेश्‍वर की आज्ञा के प्रति श्रद्धा-भक्‍ति रखने वालों के परामर्श के अनुसार इन विदेशी पत्‍नियों और उनकी सन्‍तान को अपने समाज से निकाल दें। यह कार्य व्‍यवस्‍था के अनुसार किया जाए।


एज्रा ने महान प्रभु परमेश्‍वर को धन्‍य कहा, और उसके उत्तर में सब लोग आकाश की ओर हाथ उठाकर बोले, ‘आमेन! आमेन!’ उन्‍होंने सिर झुकाया, और भूमि पर साष्‍टांग लेट कर प्रभु की वन्‍दना की।


‘इन सब बातों के कारण हम तेरे साथ सुदृढ़ व्‍यवस्‍थान स्‍थापित करते हैं। हम उसको लिख देते हैं; और उस पर हमारे शासक, उपपुरोहित और पुरोहित हस्‍ताक्षर करेंगे।’


जा, तू उत्तर दिशा में मेरे ये वचन सुना: प्रभु यह कहता है: ओ विश्‍वासघातिनी इस्राएली जनता, ‘मेरी ओर लौट। मैं करुणा-सागर हूं; मैं तुझ पर क्रोध नहीं करूँगा। मुझ-प्रभु का यह वचन है। मैं युगांत तक तुझसे नाराज नहीं रहूंगा।


क्‍या तू सदा मुझसे नाराज रहेगा? क्‍या युगान्‍त तक तेरा क्रोध शान्‍त नहीं होगा?” ओ इस्राएल, यों तू मुझ से प्रार्थना भी करती है, और जितने कुकर्म तुझसे हो सकते हैं, उनको भी करती जाती है!’


‘तुम ने अभी-अभी पश्‍चात्ताप किया था। तुम ने अपने जाति-बन्‍धु को मुक्‍त करने की घोषणा की। जो मन्‍दिर मेरे नाम से प्रसिद्ध है, उसमें तुमने मेरे सम्‍मुख समझौता किया कि तुम अपने-अपने दास-दासी को मुक्‍त कर दोगे। तुम्‍हारा यह कार्य मेरी दृष्‍टि में उचित था।


जिन्‍होंने मेरे समझौते को भंग किया, जिन्‍होंने उस समझौते की शर्तों का पालन नहीं किया, जो उन्‍होंने मेरे सम्‍मुख किया था, उन को मैं उसी बछड़े के समान दो टुकड़े कर दूंगा जिसके उन्‍होंने समझौते के अवसर पर दो टुकड़े किए थे, और टुकड़ों के बीच से गुजरे थे।


वे सियोन की ओर उन्‍मुख हो, यह पूछेंगे, “सियोन का मार्ग कौन-सा है?” वे परस्‍पर यह कहेंगे, “आओ, हम प्रभु के साथ शाश्‍वत विधान स्‍थापित करें, जो कभी भुलाया न जा सकेगा। आओ, हम प्रभु से मेल-मिलाप कर लें।”


वे अपनी उदारता में हमारी आशा से बहुत अधिक आगे बढ़ गये। उन्‍होंने पहले परमेश्‍वर के प्रति और बाद में, परमेश्‍वर की इच्‍छा के अनुसार, हमारे प्रति अपने को अर्पित किया।


उन्‍होंने उसकी लाश पर पत्‍थरों का बड़ा ढेर लगा दिया जो आज भी वहाँ है। इस घटना के कारण उस स्‍थान का नाम आकोर की घाटी पड़ा। यह नाम आज भी प्रचलित है। इस प्रकार प्रभु की क्रोधाग्‍नि शान्‍त हुई।


हमारे पर का पालन करें:

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