10 अत: राजा अमस्याह ने एफ्रइम कुल-क्षेत्र से आए सैनिकों को विदा कर दिया कि वे अपने-अपने घर लौट जाएँ। एफ्रइम के सैनिक यहूदा प्रदेश के सैनिकों से बहुत नाराज हुए। वे क्रोध में भरे हुए घर की ओर लौटे।
10 इसलिए अमस्याह ने इस्राएल की सेना को वापस घर एप्रैम को भेज दिया। वे लोग राजा और यहूदा के लोगों के विरुद्ध बहुत क्रोधित हुए। वे बहुत अधिक क्रोधित होकर अपने घर लौटे।
10 तब अमस्याह ने उन्हें अर्थात उस दल को जो एप्रैम की ओर से उसके पास आया था, अलग कर दिया, कि वे अपने स्थान को लौट जाएं। तब उनका क्रोध यहूदियो पर बहुत भड़क उठा, और वे अत्यन्त क्रोधित हो कर अपने स्थान को लौट गए।
10 तब अमस्याह ने उन्हें अर्थात् उस दल को जो एप्रैम की ओर से उसके पास आया था, अलग कर दिया कि वे अपने स्थान को लौट जाएँ। तब उनका क्रोध यहूदियों पर बहुत भड़क उठा, और वे अत्यन्त क्रोधित होकर अपने स्थान को लौट गए।
10 तब अमस्याह ने उन्हें अर्थात् उस दल को जो एप्रैम की ओर से उसके पास आया था, अलग कर दिया, कि वे अपने स्थान को लौट जाएँ। तब उनका क्रोध यहूदियों पर बहुत भड़क उठा, और वे अत्यन्त क्रोधित होकर अपने स्थान को लौट गए।
इस्राएल प्रदेश के निवासियों ने यहूदा प्रदेश के निवासियों को उत्तर दिया, ‘महाराज के राज्य में हमारे दस भाग हैं। इसके अतिरिक्त हम दस कुल तुमसे बड़े हैं। फिर तुमने हमारा तिरस्कार क्यों किया? अपने राजा को वापस लाने के लिए क्या सर्वप्रथम हमने बात नहीं की थी?’ परन्तु यहूदा प्रदेश के निवासियों का तर्क इस्राएल प्रदेश के निवासियों के तर्क से अधिक प्रभावपूर्ण था।
“प्रभु यों कहता है : आक्रमण मत करो। अपने ही भाई इस्राएल प्रदेश के लोगों से युद्ध मत करो। प्रत्येक व्यक्ति अपने घर को लौट जाए; क्योंकि इस्राएली राष्ट्र का यह विभाजन मेरी इच्छा से हुआ है।” ’ अत: लोगों ने प्रभु की वाणी सुनी। वे प्रभु के आदेश के अनुसार लौट गए।
राजा अमस्याह ने साहस किया। उसने अकेले ही अपने सैनिकों का नेतृत्व किया। वह लवण घाटी में आया, और वहाँ उसने सेईर के दस हजार सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया।
राजा अमस्याह ने कहा, ‘लेकिन मेरी साढ़े तीन हजार किलो चांदी का क्या होगा, जो मैंने इस्राएली सेना के बदले में दी है?’ परमेश्वर के भक्त-जन ने उत्तर दिया, ‘प्रभु सामर्थी है, और वह आपको इससे भी अधिक धन देगा।’