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1 शमूएल 15:29 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

29 इसके अतिरिक्‍त इस्राएल का महिमामय परमेश्‍वर झूठ नहीं बोलता, और न अपने वचन से मुँह मोड़ता है। वह मनुष्‍य नहीं है कि अपने वचन से मुँह मोड़े।’

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पवित्र बाइबल

29 यहोवा इस्राएल का परमेश्वर है। यहोवा शाश्वत है। योहवा न तो झूठ बोलता है, न ही अपना मन बदलता है। यहोवा मनुष्य की तरह नहीं है जो अपने इरादे बदलते हैं।”

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Hindi Holy Bible

29 और जो इस्राएल का बलमूल है वह न तो झूठ बोलता और न पछताता है; क्योंकि वह मनुष्य नहीं है, कि पछताए।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

29 और जो इस्राएल का बलमूल है वह न तो झूठ बोलता और न पछताता है; क्योंकि वह मनुष्य नहीं है कि पछताए।”

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सरल हिन्दी बाइबल

29 इस्राएल के परम प्रधान अपनी बातें नहीं बदलते, और न ही वह अपने विचार बदलते हैं, क्योंकि वह मनुष्य नहीं कि अपने विचार बदलते रहें.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

29 और जो इस्राएल का बलमूल है वह न तो झूठ बोलता और न पछताता है; क्योंकि वह मनुष्य नहीं है, कि पछताए।” (इब्रा. 6:18)

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1 शमूएल 15:29
16 क्रॉस रेफरेंस  

तू महान्, शक्‍तिशाली, महिमामय और प्रतापी है। तू ही विजय का स्रोत है स्‍वर्ग और पृथ्‍वी की प्रत्‍येक वस्‍तु तेरी ही है। हे प्रभु, राज्‍य तेरा ही है। तू सबके ऊपर उन्नत और सर्वोच्‍च है।


प्रभु अपनी प्रजा को शक्‍ति प्रदान करे; प्रभु अपनी प्रजा को शान्‍ति का वरदान दे।


परमेश्‍वर अपने पवित्र स्‍थान में भयप्रद है; इस्राएल का परमेश्‍वर ही अपनी प्रजा को शक्‍ति और सामर्थ्य प्रदान करता है; परमेश्‍वर धन्‍य है!


अत: प्रभु ने अपने क्रोध में यह शपथ खाई, ‘ये मेरे विश्राम में प्रवेश नहीं करेंगे।’


लोग मेरे विषय में यह कहेंगे: ‘केवल प्रभु में ही धार्मिकता और सामर्थ्य है। जो उसके विरोधी हैं, वे सब उसके पास आएंगे, और लज्‍जित होंगे।


देख, मैं-प्रभु ने यह कहा है, और यह अवश्‍य पुरा होगा। मैं अपने निश्‍चय को नहीं बदलूंगा। मैं तुझ पर तरस खा कर तुझे जीवित नहीं छोड़ूंगा, और न ही अपने निश्‍चय के लिए मैं पछताऊंगा। ओ यरूशलेम नगरी, तेरे आचरण और व्‍यवहार के अनुरूप मैं तेरा न्‍याय करूंगा।’ स्‍वामी-प्रभु की यही वाणी है।


प्रभु सियोन पर्वत से हुंकार रहा है, वह यरूशलेम नगर से गरज रहा है। आकाश और पृथ्‍वी कांप उठे। प्रभु अपने निज लोगों का शरण-स्‍थल है। इस्राएली कौम का वह गढ़ है।


परमेश्‍वर मनुष्‍य नहीं है कि वह झूठ बोले, और न वह मनुष्‍य का पुत्र है कि पश्‍चात्ताप करे! जो उसने कहा, क्‍या वह उसको न करे? जो वह बोले, क्‍या वह उसको पूर्ण न करे?


किन्‍तु प्रभु ने कहा-“मेरी कृपा तुम्‍हारे लिए पर्याप्‍त है, क्‍योंकि तुम्‍हारी दुर्बलता में मेरा सामर्थ्य पूर्ण रूप से प्रकट होता है।” इसलिए मैं बड़ी खुशी से अपनी दुर्बलताओं पर गौरव करूँगा, जिससे मसीह का सामर्थ्य मुझ पर छाया रहे।


शाश्‍वत परमेश्‍वर तेरा आश्रय है; उसकी शाश्‍वत बाहें तेरा सहारा हैं। उसने तेरे सम्‍मुख से तेरे शत्रुओं को निकाला है। उसने ही तुझे यह आदेश दिया, “उन्‍हें नष्‍ट कर दो!”


जो मुझे बल प्रदान करता है, उसकी सहायता से मैं सब कुछ कर सकता हूँ।


यदि हम विश्‍वास न करें, तो भी वह विश्‍वसनीय बने रहते हैं; क्‍योंकि वह अपने स्‍वभाव के विरुद्ध नहीं जा सकते।”


और शाश्‍वत जीवन की आशा का आधार है। सत्‍यवादी परमेश्‍वर ने अनादि काल से इस जीवन की प्रतिज्ञा की थी।


वह इन दो अपरिवर्तनीय कार्यों, अर्थात् प्रतिज्ञा और शपथ में, झूठा प्रमाणित नहीं हो सकता। इस से हमें, जिन्‍होंने परमेश्‍वर की शरण ली है, यह प्रबल प्रेरणा मिलती है कि हमें जो आशा दिलायी गयी है, हम उसे धारण किये रहें।


क्‍योंकि मसीह की नियुिक्‍त के समय प्रभु परमेश्‍वर ने शपथ खायी थी। जैसा कि धर्मग्रन्‍थ कहता है, “मैंने शपथ ली है और मेरी यह शपथ अपरिवर्तनीय है: तू सदा पुरोहित बना रहेगा।”


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