ऊरियाह ने दाऊद को उत्तर दिया, ‘महाराज, मंजूषा तथा इस्राएल और यहूदा प्रदेशों के सैनिक झोपड़ियों में निवास कर रहे हैं। मेरे स्वामी योआब और उनके सेवक खुले मैदान में पड़ाव डाले हुए हैं। ऐसी स्थिति में मैं अपने घर जाऊं? खाऊं-पीऊं और अपनी पत्नी के साथ सोऊं? जीवन्त प्रभु की सौगन्ध! मैं यह कार्य कदापि नहीं करूँगा।’
वह पुरोहित एलआजर के सम्मुख खड़ा हुआ करेगा, जो प्रभु के सम्मुख ऊरीम की न्याय-विधि के द्वारा उसके लिए मेरी इच्छा पूछा करेगा। उसके आदेश के अनुसार समस्त मंडली, समस्त इस्राएली लोग उसके मार्गदर्शन में बाहर जाएंगे और उसी के मार्गदर्शन में लौटेंगे।’
इस्राएली उठे, और वे बेत-एल गए। उन्होंने परमेश्वर से पूछा, ‘हममें से किस कुल को सर्वप्रथम बिन्यामिनियों से युद्ध करने के लिए जाना चाहिए?’ प्रभु ने कहा, ‘यहूदा कुल सर्वप्रथम जाएगा।’
इस्राएली प्रभु के पास गए। वे सन्ध्या समय तक उसके सम्मुख रोते रहे। उन्होंने प्रभु से पूछा, ‘क्या हम अपने जाति-भाई बिन्यामिनियों से युद्ध करने के लिए फिर जाएँ?’ प्रभु ने कहा, ‘उन पर चढ़ाई करो।’
शाऊल ने अपने साथ के सैनिकों से कहा, ‘हाजिरी लो, और देखो कि हमारे पास से कौन व्यक्ति वहाँ गया है।’ अत: उन्होंने हाजिरी ली। तब उन्हें पता चला कि योनातन और उसका शस्त्रवाहक नहीं हैं।
शाऊल ने कहा, ‘आओ, हम रात में ही पलिश्तियों का पीछा करें, और सबेरे का प्रकाश होने तक उनको लूट लें। हम उनके एक भी सैनिक को जीवित नहीं छोड़ेंगे।’ इस्राएली सैनिकों ने उससे कहा, ‘जो कार्य आपकी दृष्टि में उचित है, वह कीजिए।’ किन्तु पुरोहित ने कहा, ‘आओ, हम पहले परमेश्वर के समीप आएँ।’
तत्पश्चात् उन्होंने परमेश्वर की मंजूषा को उठाया, और उसको दागोन देवता के मन्दिर में पहुँचा दिया। उन्होंने मंजूषा को दागोन की मूर्ति के समीप खड़ा कर दिया।
किर्यत-यआरीम नगर के लोग आए। वे प्रभु की मंजूषा उठाकर चले गए। वे उसको लेकर अबीनादब के घर में लाए, जो पहाड़ी पर स्थित था। उन्होंने प्रभु की मंजूषा का उत्तरदायित्व संभालने के लिए उसके पुत्र एलआजर को पुरोहित पद पर प्रतिष्ठित किया।