परमेश्वर के वचन में कहा गया है कि जब कोई विवाहित व्यक्ति अपने जीवनसाथी के अलावा किसी और के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, तो यह व्यभिचार है। यह पवित्र विवाह और हमारे शरीर की पवित्रता के विरुद्ध एक पाप है, और इसका न्याय परमेश्वर करेंगे। आजकल, समाज में और चर्च में भी, बेवफ़ाई आम बात सी हो गई है, जिससे कई घर बर्बाद हो रहे हैं। अपने दिल की पवित्रता बनाए रखना और दुनिया के जाल में न फँसने के लिए सतर्क रहना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि दुनिया इन गलत कामों को सामान्य बनाने की कोशिश करती है।
इसलिए यह ज़रूरी है कि हम अपने बच्चों को बेवफ़ाई, धोखा, स्वच्छंदता, समलैंगिकता और विकृति जैसे विषयों से दूर रखें, क्योंकि ये उनके जीवन में गहरे घाव दे सकते हैं और उन्हें परमेश्वर की योजना से भटका सकते हैं। इसके बजाय, हमें परमेश्वर द्वारा दिए गए परिवार का सम्मान और देखभाल करनी चाहिए, और परीक्षा की घड़ी में मसीह की मदद लेनी चाहिए।
मैं यह इसलिए कह रहा हूँ, “व्यभिचार मत कर, हत्या मत कर, चोरी मत कर, लालच मत रख।” और जो भी दूसरी व्यवस्थाएँ हो सकती हैं, इस वचन में समा जाती हैं, “तुझे अपने साथी को ऐसे ही प्यार करना चाहिए, जैसे तू अपने आप को करता है।”
इसलिए पुरुष अपने माता—पिता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन हो जाएंगे।
तो मैं तुमसे कहता हूँ कि जो व्यभिचार को छोड़कर अपनी पत्नी को किसी और कारण से त्यागता है और किसी दूसरी स्त्री को ब्याहता है तो वह व्यभिचार करता है।”
किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ कि हर वह व्यक्ति जो अपनी पत्नी को तलाक देता है, यदि उसने यह तलाक उसके व्यभिचारी आचरण के कारण नहीं दिया है तो जब वह दूसरा विवाह करती है, तो मानो वह व्यक्ति ही उससे व्यभिचार करवाता है। और जो कोई उस छोड़ी हुई स्त्री से विवाह रचाता है तो वह भी व्यभिचार करता है।
तुम व्यभिचारिणी स्त्री। तुमने अपने पति की तुलना में अजनबियों के साथ शारीरिक सम्बंध करना अधिक अच्छा माना।
ये सदा किसी ऐसी स्त्री की ताक में रहते हैं जिसके साथ व्यभिचार किया जा सके। इस प्रकार इनकी आँखें पाप करने से बाज़ नहीं आतीं। ये अस्थिर लोगों को पाप के लिए फुसला लेते हैं। इनके मन पूरी तरह लालच के आदी हैं। ये अभिशाप के पुत्र हैं।
अब देखो! हमारे शरीर की पापपूर्ण प्रकृति के कामों को तो सब जानते हैं। वे हैं: व्यभिचार अपवित्रता, भोगविलास,
और यदि वह स्त्री अपने पति का त्याग करके दूसरे पुरुष से ब्याह करती है तो वह व्यभिचार करती है।”
किन्तु जो पर स्त्री से समागम करता है उसके पास तो विवेक का आभाव है। ऐसा जो करता है वह स्वयं को मिटाता है।
यौनाचार से दूर रहो। दूसरे सभी पाप जिन्हें एक व्यक्ति करता है, उसके शरीर से बाहर होते हैं किन्तु ऐसा व्यक्ति जो व्यभिचार करता है वह तो अपने शरीर के ही विरुद्ध पाप करता है।
किन्तु कायरों अविश्वासियों, दुर्बुद्धियों, हत्यारों, व्यभिचारियों, जादूटोना करने वालों मूर्तिपूजकों और सभी झूठ बोलने वालों को भभकती गंधक की जलती झील में अपना हिस्सा बँटाना होगा। यही दूसरी मृत्यु है।”
यीशु ने उनसे कहा, “मूसा ने यह विधान तुम लोगों के मन की जड़ता के कारण दिया था। किन्तु प्रारम्भ में ऐसी रीति नहीं थी।
जब तक किसी स्त्री का पति जीवित रहता है, तभी तक वह विवाह के बन्धन में बँधी होती है किन्तु यदि उसके पति देहान्त हो जाता है, तो जिसके साथ चाहे, विवाह करने, वह स्वतन्त्र है किन्तु केवल प्रभु में।
“वह हर कोई जो अपनी पत्नी को त्यागता है और दूसरी को ब्याहता है, व्यभिचार करता है। ऐसे ही जो अपने पति द्वारा त्यागी गयी, किसी स्त्री से ब्याह करता है, वह भी व्यभिचार करता है।”
तू व्यवस्था की आज्ञाओं को जानता है: ‘हत्या मत कर, व्यभिचार मत कर, चोरी मत कर, झूठी गवाही मत दे, छल मत कर, अपने माता-पिता का आदर कर …’”
“तुम जानते हो कि यह कहा गया है, ‘व्यभिचार मत करो।’ किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ कि यदि कोई किसी स्त्री को वासना की आँख से देखता है, तो वह अपने मन में पहले ही उसके साथ व्यभिचार कर चुका है।
“तुम्हें अपने पड़ोसी की पत्नी से यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए। यह तुम्हें केवल अशुद्ध बनाएगा!
किन्तु ‘कुत्ते,’ जादू-टोना करने वाले, व्यभिचारी, हत्यारे, मूर्तिपूजक, और प्रत्येक वह जो झूठ पर चलता है और झूठे को प्रेम करता है, बाहर ही पड़े रहेंगे।
“यदि कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ यौन सम्बन्ध करता है तो स्त्री और पुरुष दोनों अनैतिक सम्बन्ध के अपराधी हैं। इसलिए स्त्री और पुरुष दोनों को मार डालना चाहिए।
ये लोग कसमें खाते हैं, झूठ बोलते हैं, हत्याएँ करते हैं और चोरियाँ करते हैं। वे व्यभिचार करते हैं और फिर उससे उनके बच्चे होते हैं। ये लोग एक के बाद एक हत्याएँ करते चले जाते हैं।
और परमेश्वर की यही इच्छा है कि तुम उससे पवित्र हो जाओ, व्यभिचारों से दूर रहो, अपने शरीर की वासनाओं पर नियन्त्रण रखना सीखो-ऐसे ढंग से जो पवित्र है और आदरणीय भी। न कि उस वासना पूर्ण भावना से जो परमेश्वर को नहीं जानने वाले अधर्मियों की जैसी है।
इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है, “मैं विवाह—विच्छेद से घृणा करता हूँ। मैं पुरूषों के क्रूर कामों से घृणा करता हूँ। अत: अपनी आत्मिक एकता की सुरक्षा करो। अपनी पत्नी को धोखा मत दो।”
उसने उनसे कहा, “जो कोई अपनी पत्नी को तलाक दे कर दूसरी स्त्री से ब्याह रचाता है, वह उस पत्नी के प्रति व्यभिचार करता है।
उदाहरण के लिए एक विवाहिता स्त्री अपने पति के साथ विधान के अनुसार तभी तक बँधी है जब तक वह जीवित है किन्तु यदि उसका पति मर जाता है, तो वह विवाह सम्बन्धी नियमों से छूट जाती है। और यदि मैं वही काम करता हूँ जिन्हें करना नहीं चाहता तो वास्तव में उनका कर्ता जो उन्हें कर रहा है, मैं नहीं हूँ, बल्कि वह पाप है जो मुझ में बसा है। इसलिए मैं अपने में यह नियम पाता हूँ कि मैं जब अच्छा करना चाहता हूँ, तो अपने में बुराई को ही पाता हूँ। अपनी अन्तरात्मा में मैं परमेश्वर की व्यवस्था को सहर्ष मानता हूँ। पर अपने शरीर में मैं एक दूसरे ही नियम को काम करते देखता हूँ यह मेरे चिन्तन पर शासन करने वाली व्यवस्था से युद्ध करता है और मुझे पाप की व्यवस्था का बंदी बना लेता है। यह व्यवस्था मेरे शरीर में क्रियाशील है। मैं एक अभागा इंसान हूँ। मुझे इस शरीर से, जो मौत का निवाला है, छुटकारा कौन दिलायेगा? अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा मैं परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ। सो अपने हाड़ माँस के शरीर से मैं पाप की व्यवस्था का गुलाम होते हुए भी अपनी बुद्धि से परमेश्वर की व्यवस्था का सेवक हूँ। पति के जीते जी यदि किसी दूसरे पुरुष से सम्बन्ध जोड़े तो उसे व्यभिचारिणी कहा जाता है किन्तु यदि उसका पुरुष मर जाता है तो विवाह सम्बन्धी नियम उस पर नहीं लगता और इसलिए यदि वह दूसरे पुरुष की हो जाती है तो भी वह व्यभिचारिणी नहीं है।
“कोई व्यक्ति किसी स्त्री से विवाह करता है, और वह कुछ ऐसी गुप्त चीज उसके बारे में जान सकता है जिसे वह पसन्द नहीं करता। यदि वह व्यक्ति प्रसन्न नहीं है तो वह तलाक पत्रों को लिख सकता है और उन्हें स्त्री को दे सकता है। तब उसे अपने घर से उसको भेज देना चाहिए।
कहा जाता है, “भोजन पेट के लिये और पेट भोजन के लिये है।” किन्तु परमेश्वर इन दोनों को ही समाप्त कर देगा। और हमारे शरीर भी तो यौन-अनाचार के लिये नहीं हैं बल्कि प्रभु की सेवा के लिये हैं। और प्रभु हमारी देह के कल्याण के लिये है।
अथवा क्या तुम नहीं जानते कि बुरे लोग परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पायेंगे? अपने आप को मूर्ख मत बनाओ। यौनाचार करने वाले, मूर्ति पूजक, व्यभिचारी, गुदा-भंजन कराने वाले, लौंडेबाज़,
सो वे दो नहीं रहते बल्कि एक रूप हो जाते हैं। इसलिए जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है उसे किसी भी मनुष्य को अलग नहीं करना चाहिये।”
जवानी की बुरी इच्छाओं से दूर रहो धार्मिक जीवन, विश्वास, प्रेम और शांति के लिये उन सब के साथ जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम पुकारते हैं, प्रयत्नशील रहो।
“यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे की पत्नी के साथ शारीरिक सम्बनध करता हुआ पाया जाता है तो दोनों शारीरिक सम्बन्ध करने वाले स्त्री—पुरुष को मारा जाना चाहिए। तुम्हें इस्राएल से यह बुराई दूर करनी चाहिए।
शाम को वह अपने बिस्तर से उठा। वह राजमहल की छत पर चारों ओर घूमा। जब दाऊद छत पर था, उसने एक स्त्री को नहाते देखा। स्त्री बहुत सुन्दर थी। “सम्भव है कि राजा क्रुद्ध हो। संभव है कि राजा पूछे, ‘योआब की सेना नगर के पास लड़ने क्यों गई? क्या तुम्हें मालूम नहीं कि लोग नगर के प्राचीर से भी बाण चला सकते हैं? क्या तुम नहीं जानते कि यरूब्बेशेत के पुत्र अबीमेलेक को किसने मारा? वहाँ एक स्त्री नगर—दीवार पर थी जिसने अबीमेलेक के ऊपर चक्की का ऊपरी पाट फेंका। उस स्त्री ने उसे तेबेस में मार डाला। तुम दीवार के निकट क्यों गये?’ यदि राजा दाऊद यह पूछता है तो तुम्हें उत्तर देना चाहिये, ‘आपका सेवक हित्ती ऊरिय्याह भी मर गया।’” दूत गया और उसने दाऊद को वह सब बताया जो उसे योआब ने कहने को कहा था। दूत ने दाऊद से कहा, “अम्मोन के लोग जीत रहे थे बाहर आये तथा उन्होंने खुले मैदान में हम पर आक्रमण किया। किन्तु हम लोग उनसे नगर—द्वार पर लड़े। नगर दीवार के सैनिकों ने आपके सेवकों पर बाण चलाये। आपके कुछ सेवक मारे गए। आपका सेवक हित्ती ऊरिय्याह भी मारा गया।” दाऊद ने दूत से कहा, “तुम्हें योआब से यह कहना है: ‘इस परिणाम से परेशान न हो। हर युद्ध में कुछ लोग मारे जाते हैं यह किसी को नहीं मालूम कि कौन मारा जायेगा। रब्बा नगर पर भीषण आक्रमण करो। तब तुम उस नगर को नष्ट करोगे।’ योआब को इन शब्दों से प्रोत्साहित करो।” बतशेबा ने सुना कि उसका पति ऊरिय्याह मर गया। तब वह अपने पति के लिये रोई। जब उसने शोक का समय पूरा कर लिया, तब दाऊद ने उसे अपने घर में लाने के लिये सेवकों को भेजा। वह दाऊद की पत्नी हो गई, और उसने दाऊद के लिये एक पुत्र उत्पन्न किया। दाऊद ने जो बुरा काम किया यहोवा ने उसे पसन्द नहीं किया। इसलिये दाऊद ने अपने सेवकों को बुलाया और उनसे पूछा कि वह स्त्री कौन थी? एक सेवक ने उत्तर दिया, “वह स्त्री एलीआम की पुत्री बतशेबा है। वह हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी है।” दाऊद ने बतशेबा को अपने पास बुलाने के लिये दूत भेजे। जब वह दाऊद के पास आई तो उसने उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। उसने स्नान किया और वह अपने घर चली गई।
तब दाऊद ने नातान से कहा, “मैंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।” नातान ने दाऊद से कहा, “यहोवा तुम्हें क्षमा कर देगा, यहाँ तक की इस पाप के लिये भी तुम मरोगे नहीं। किन्तु इस पाप को जो तुमने किया है उससे यहोवा के शत्रुओं ने यहोवा का सम्मान करना छोड़ दिया है। अत: इस कारण जो तुम्हारा पुत्र उत्पन्न हुआ है, मर जाएगा।”
यह बुद्धि तुझको वेश्या और उसकी फुसलाती हुई मधुर वाणी से बतायेगी। जिसने अपने यौवन का साथी त्याग दिया जिससे वाचा कि उपेक्षा परमेश्वर के समक्ष किया था।
क्योंकि व्यभिचारिणी के होंठ मधु टपकाते हैं और उसकी वाणी तेल सी फिसलन भरी है। किन्तु परिणाम में यह ज़हर सी कढ़वी और दुधारी तलवार सी तेज धार है! उसके पैर मृत्यु के गर्त की तरफ बढ़ते हैं और वे सीधे कब्र तक ले जाते हैं!
तू अपने जल—कुंड से ही पानी पिया कर और तू अपने ही कुँए से स्वच्छ जल पिया कर। तू ही कह, क्या तेरे जलस्रोत राहों में इधर उधर फैल जायें और तेरी जलधारा चौराहों पर फैले ये तो बस तेरी हो, एकमात्र तेरी ही। उसमे कभी किसी अजनबी का भाग न हो। तेरा स्रोत धन्य रहे और अपने जवानी की पत्नी के साथ ही तू आनन्दित रह का रसपान। तेरी वह पत्नी, प्रियतमा, प्राणप्रिया, मनमोहक हिरणी सी तुझे सदा तृप्त करे। उसके माँसल उरोज और उसका प्रेम पाश तुझको बाँधे रहे। जिससे तेरा भले बुरे का बोध बना रहे और तेरे होठों पर ज्ञान संरक्षित रहे। हे मेरे पुत्र, कोई व्यभिचारिणी तुझको क्यों बान्ध पाये और किसी दूसरे की पत्नी को तू क्यों गले लगाये
जो तुझे चरित्रहीन स्त्री से और भटकी हुई कुलटा की फुसलाती बातों से बचाते हैं। तू अपने मन को उसकी सुन्दरता पर कभी वासना सक्त मत होने दे और उसकी आँखों का जादू मत चढ़ने दे। क्योंकि वह वेश्या तो तुझको रोटी—रोटी का मुहताज कर देगी किन्तु वह कुलटा तो तेरा जीवन ही हर लेगी! क्या यह सम्भव है कि कोई किसी के गोद में आग रख दे और उसके वस्त्र फिर भी जरा भी न जलें? दहकते अंगारों पर क्या कोई जन अपने पैरों को बिना झुलसाये हुए चल सकता है? वह मनुष्य ऐसा ही है जो किसा अन्य की पत्नी से समागम करता है। ऐसी पर स्त्री के जो भी कोई छूएगा, वह बिना दण्ड पाये नहीं रह पायेगा।
उसने उसे लुभावने शब्दों से मोह लिया। उसको मीठी मधुर वाणी से फुसला लिया। वह तुरन्त उसके पीछे ऐसे हो लिया जैसे कोई बैल वध के लिये खिंचा चला जाये। जैसे कोई निरा मूर्ख जाल में पैर धरे। जब तक एक तीर उसका हृदय नहीं बेधेगा तब तक वह उस पक्षी सा जाल पर बिना यह जाने टूट पड़ेगा कि जाल उसके प्राण हर लेगा।
“चोरी का पानी तो, मीठा—मीठा होता है, छिप कर खाया भोजन, बहुत स्वाद देता है।” किन्तु वे यह नहीं जानते कि वहाँ मृतकों का वास होता है और उसके मेहमान कब्र में समाये हैं!
व्यभिचार का पाप ऐसा होता है जैसे हो कोई जाल। यहोवा उसके बहुत कुपित होगा जो भी इस जाल में गिरेगा।
क्योंकि एक वेश्या गहन गर्त होती है। और मन मौजी पत्नी एक संकरा कुँआ। वह घात में रहती है जैसे कोई डाकू और वह लोगों में विश्वास हीनों की संख्या बढ़ाती है।
चरित्रहीन स्त्री की ऐसी गति होती है, वह खाती रहती और अपना मुख पोंछ लेती और कहा करती है, मैंने तो कुछ भी बुरा नहीं किया।
मैंने यह भी पाया कि कुछ स्त्रियाँ एक फन्दे के समान खतरनाक होती हैं। उनके हृदय जाल के जैसे होते हैं और उनकी बाहें जंजीरों की तरह होती हैं। इन स्त्रियों की पकड़ में आना मौत की पकड़ में आने से भी बुरा है। वे लोग जो परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं, ऐसी स्त्रियों से बच निकलते हैं किन्तु वे लोग जो परमेश्वर को अप्रसन्न करते हैं उनके द्वरा फाँस लिये जाते हैं।
परमेश्वर कहता है, “यरूशलेम की ओर देखो। यरूशलेम एक ऐसी नगरी थी जो मुझमें विश्वास रखती थी और मेरा अनुसरण करती थी। वह वेश्या की जैसी किस कारण बन गई अब वह मेरा अनुसरण नहीं करती। यरूशलेम को न्याय से परिपूर्ण होना चाहिये। यरूशलेम के निवासियों को, जैसे परमेश्वर चाहता है, वैसे ही जीना चाहिये। किन्तु अब तो वहाँ हत्यारे रहते हैं।”
“यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को तलाक देता है, और वह पत्नी उसे छोड़ देती है तथा अन्य व्यक्ति से विवाह कर लेती है तो क्या वह व्यक्ति अपनी पत्नी के पास फिर आ सकता है नहीं! यदि वह व्यक्ति उस स्त्री के पास लौटेगा तो देश पूरी तरह गन्दा हो जाएगा। यहूदा, तुमने वेश्या की तरह अनेक प्रेमियों (असत्य देवताओं) के साथ काम किये और अब तुम मेरे पास लौटना चाहते हो!” यह सन्देश यहोवा का था।
इस्राएल विश्वासघातिनी थी और यहूदा जानती थी कि मैंने उसे क्यों दूर हटाया। यहूदा जानती थी कि मैंने उसको इसलिए अस्वीकृत किया कि उसने व्यभिचार का पाप किया था। किन्तु इसने उसकी विश्वासघाती बहन को डराया नहीं। यहूदा डरी नहीं। यहूदा भी निकल गई और उसने वेश्या की तरह काम किया। यहूदा ने यह ध्यान भी नहीं दिया कि वह वेश्या की तरह काम कर रही है। अत: उसने अपने देश को ‘गन्दा’ किया। उसने लकड़ी और पत्थर की बनी देवमूर्तियों की पूजा करके व्यभिचार का पाप किया।
परमेश्वर ने कहा, “यहूदा, मुझे कारण बताओ कि मुझे तुमको क्षमा क्यों कर देना चाहिये तुम्हारी सन्तानों ने मुछे त्याग दिया है। उन्होंने उन देवमूर्तियों से प्रतिज्ञा की है जो परमेश्वर हैं ही नहीं। मैंने तुम्हारी सन्तानों को हर एक चीज़ दी जिसकी जरुरत उन्हें थी। किन्तु फिर भी वे विश्वासघाती रहे! उन्होंने वेश्यालयों में बहुत समय बिताया। वे उन घोड़ों जैसे रहे जिन्हें बहुत खाने को है, और जो जोड़ा बनाने को हो। वे उन घोड़ों जैसे रहे जो पड़ोसी कीर् पॅत्नयों पर हिन हिना रहे हैं।
क्या तुम चोरी और हत्या करोगे क्या तुम व्यभिचार का पाप करोगे क्या तुम लोगों पर झूठा आरोप लगाओगे क्या तुम असत्य देवता बाल की पूजा करोगे और अन्य देवताओं का अनुसरण करोगे जिन्हें तुम नहीं जानते
यहूदा देश ऐसे लोगों से भरा है जो व्यभिचार का पाप करते हैं। वे अनेक प्रकार से अभक्त हैं। यहोवा ने भूमि को अभिशाप दिया और वह बहुत सूख गई। पौधे चरगाहों में सूख रहे हैं और मर रहे हैं। खेत मरुभूमि से हो गए हैं। नबी पापी हैं, वे नबी अपने प्रभाव और अपनी शक्ति का उपयोग गलत ढंग से करते हैं।
उन दोनों नबियों ने इस्राएल के लोगों के साथ घृणित कर्म किया था। उन्होंने अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार किया है। उन्होंने झूठ भी बोला है और कहा है कि वे झूठ मुझ यहोवा के यहाँ से हैं। मैंने उनसे वह सब करने को नहीं कहा। मैं जानता हूँ कि उन्होंने क्या किया है मैं साक्षी हूँ।” यह सन्देश यहोवा का है।
उन्होंने व्यभिचार का पाप किया है। वे हत्या करने के अपराधी हैं। उन्होंने वेश्या की तरह काम किया, उन्होंने अपनी गन्दी देवमूर्तियों के साथ रहने के लिये मुझको छोड़ा। मेरे बच्चे उनके पास थे, किन्तु उन्होंने उन्हें आग से गुजरने के लिये विवश किया। उन्होंने अपनी गन्दी देवमूर्तियों को भोजन देने के लिये यह किया।
“अपनी माँ के साथ विवाद करो! क्योंकि वह मेरी पत्नी नहीं है! और नही मैं उसका पति हूँ! उससे कहो कि वह वेश्या न बनी रहे। उससे कहो कि वह अपने प्रेमियों को अपनी छातियों के बीच से दूर हटा दे।
वे पहाड़ों की चोटियों पर बलियाँ चढ़ाया करते हैं। पहाड़ियों के ऊपर बाँज, चिनार तथा बाँज के पेड़ों के तले धूप जलाते हैं। उन पेड़ों तले की छाया अच्छी दिखती है। इसलिये तुम्हारी पुत्रियाँ वेश्याओं की तरह उन पेड़ों के नीचे सोती हैं और तुम्हारी बहुएँ वहाँ पाप पूर्ण यौनाचार करती हैं। “मैं तुम्हारी पुत्रियों को वेश्याएँ बनने के लिये अथवा तुम्हारी बहुओं को पापपूर्ण यौनाचार के लिये दोष नहीं दे सकता। लोग वेश्याओं के पास जाकर उनके साथ सोते हैं और फिर वे मन्दिर की वेश्याओं के पास जाकर बलियाँ अर्पित कर देते हैं। इस प्रकार वे मूर्ख लोग स्वयं अपने आपको ही तबाह कर रहे हैं।
तंदूर पर पकाने वाला रोटी के लिये आटा गूँथता है। वह तंदूर में रोटी रखा करता है। किन्तु वह आग को तब तक नहीं दहकाता जब तक की रोटी फूल नहीं जाती है। किन्तु इस्राएल के लोग उस नान बाई से नहीं हैं। इस्राएल के लोग हर समय अपनी आग दहकाये रखते हैं।
हे इस्राएल, तू उस पुकार का आनन्द मत मना, जैसे देश—देश के लोग मनाते हैं! तू प्रसन्न मत हो! तने तो एक वेश्या के जैसा आचरण किया है और प्ररमेश्वर को बिसरा दिया है। तूने हर खलिहान की धरती पर व्यभिचार किया है।
तुम पूछते हो, “हमारी भेंट यहोवा द्वारा स्वीकार क्यों नहीं की जातीं” क्यों क्योंकि यहोवा ने तुम्हारे किये बुरे कामों को देखा, वब तुम्हारे विरुद्ध साक्षी है। उसने देखा कि तुम अपनी पत्नी को ठगते हो। तुम उस स्त्री के साथ तबसे विवाहित हो जबसे तुम जवान हुए थे। वह तुम्हारी प्रेयसी थी। तब तुमने परस्पर प्रतिज्ञा की और वह तुम्हारी पत्नी हो गई। किन्तु तुमने उसे ठगा। परमेश्वर चाहता है कि पति और पत्नी एक शरीर और एक आत्मा हो जायें। क्यों जिससे उनके बच्चे पवित्र हों। अत: उस आध्यात्मिक एकता की रक्षा करो। अपनी पत्नी को न ठगो। वह तुम्हारी पत्नी तब से है जब से तुम युवक हुए। इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है, “मैं विवाह—विच्छेद से घृणा करता हूँ। मैं पुरूषों के क्रूर कामों से घृणा करता हूँ। अत: अपनी आत्मिक एकता की सुरक्षा करो। अपनी पत्नी को धोखा मत दो।”
क्योंकि बुरे विचार, हत्या, व्यभिचार, दुराचार, चोरी, झूठ और निन्दा जैसी सभी बुराईयाँ मन से ही आती हैं।
उसने यीशु से पूछा, “कौन से आदेश?” तब यीशु बोला, “हत्या मत कर। व्यभिचार मत कर। चोरी मत कर। झूठी गवाही मत दे।
क्योंकि मनुष्य के हृदय के भीतर से ही बुरे विचार और अनैतिक कार्य, चोरी, हत्या, व्यभिचार, लालच, दुष्टता, छल-कपट, अभद्रता, ईर्ष्या, चुगलखोरी, अहंकार और मूर्खता बाहर आते हैं। ये सब बुरी बातें भीतर से आती हैं और व्यक्ति को अशुद्ध बना देती हैं।”
उसने उनसे कहा, “जो कोई अपनी पत्नी को तलाक दे कर दूसरी स्त्री से ब्याह रचाता है, वह उस पत्नी के प्रति व्यभिचार करता है। और यदि वह स्त्री अपने पति का त्याग करके दूसरे पुरुष से ब्याह करती है तो वह व्यभिचार करती है।”
तभी यहूदी धर्मशास्त्री और फ़रीसी लोग व्यभिचार के अपराध में एक स्त्री को वहाँ पकड़ लाये। और उसे लोगों के सामने खड़ा कर दिया। यीशु जब ये बातें कह रहा था, तो बहुत से लोग उसके विश्वासी हो गये। सो यीशु उन यहूदी नेताओं से कहने लगा जो उसमें विश्वास करते थे, “यदि तुम लोग मेरे उपदेशों पर चलोगे तो तुम वास्तव में मेरे अनुयायी बनोगे। और सत्य को जान लोगे। और सत्य तुम्हें मुक्त करेगा।” इस पर उन्होंने यीशु से प्रश्न किया, “हम इब्राहीम के वंशज हैं और हमने कभी किसी की दासता नहीं की। फिर तुम कैसे कहते हो कि तुम मुक्त हो जाओगे?” यीशु ने उत्तर देते हुए कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ। हर वह जो पाप करता रहता है, पाप का दास है। और कोई दास सदा परिवार के साथ नहीं रह सकता। केवल पुत्र ही सदा साथ रह सकता है। अतः यदि पुत्र तुम्हें मुक्त करता है तभी तुम वास्तव में मुक्त हो। मैं जानता हूँ तुम इब्राहीम के वंश से हो। पर तुम मुझे मार डालने का यत्न कर रहे हो। क्योंकि मेरे उपदेशों के लिये तुम्हारे मन में कोई स्थान नहीं है। मैं वही कहता हूँ जो मुझे मेरे पिता ने दिखाया है और तुम वह करते हो जो तुम्हारे पिता से तुमने सुना है।” इस पर उन्होंने यीशु को उत्तर दिया, “हमारे पिता इब्राहीम हैं।” यीशु ने कहा, “यदि तुम इब्राहीम की संतान होते तो तुम वही काम करते जो इब्राहीम ने किये थे। और यीशु से बोले, “हे गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते रंगे हाथों पकड़ी गयी है। पर तुम तो अब मुझे यानी एक ऐसे मनुष्य को, जो तुमसे उस सत्य को कहता है जिसे उसने परमेश्वर से सुना है, मार डालना चाहते हो। इब्राहीम ने तो ऐसा नहीं किया। तुम अपने पिता के कार्य करते हो।” फिर उन्होंने यीशु से कहा, “हम व्यभिचार के परिणाम स्वरूप पैदा नहीं हुए हैं। हमारा केवल एक पिता है और वह है परमेश्वर।” यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता तो तुम मुझे प्यार करते क्योंकि मैं परमेश्वर में से ही आया हूँ। और अब मैं यहाँ हूँ। मैं अपने आप से नहीं आया हूँ। बल्कि मुझे उसने भेजा है। मैं जो कह रहा हूँ उसे तुम समझते क्यों नहीं? इसका कारण यही है कि तुम मेरा संदेश नहीं सुनते। तुम अपने पिता शैतान की संतान हो। और तुम अपने पिता की इच्छा पर चलना चाहते हो। वह प्रारम्भ से ही एक हत्यारा था। और उसने सत्य का पक्ष कभी नहीं लिया। क्योंकि उसमें सत्य का कोई अंश तक नहीं है। जब वह झूठ बोलता है तो सहज भाव से बोलता है क्योंकि वह झूठा है और सभी झूठों को जन्म देता है। “पर क्योंकि मैं सत्य कह रहा हूँ, तुम लोग मुझमें विश्वास नहीं करोगे। तुममें से कौन मुझ पर पापी होने का लांछन लगा सकता है। यदि मैं सत्य कहता हूँ, तो तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते? वह व्यक्ति जो परमेश्वर का है, परमेश्वर के वचनों को सुनता है। इसी कारण तुम मेरी बात नहीं सुनते कि तुम परमेश्वर के नहीं हो।” उत्तर में यहूदियों ने उससे कहा, “यह कहते हुए क्या हम सही नहीं थे कि तू सामरी है और तुझ पर कोई दुष्टात्मा सवार है?” यीशु ने उत्तर दिया, “मुझ पर कोई दुष्टात्मा नहीं है। बल्कि मैं तो अपने परम पिता का आदर करता हूँ और तुम मेरा अपमान करते हो। मूसा का विधान हमें आज्ञा देता है कि ऐसी स्त्री को पत्थर मारना चाहियें। अब बता तेरा क्या कहना है?”
यीशु खड़ा हुआ और उस स्त्री से बोला, “हे स्त्री, वे सब कहाँ गये? क्या तुम्हें किसी ने दोषी नहीं ठहराया?” स्त्री बोली, “हे, महोदय! किसी ने नहीं।” यीशु ने कहा, “मैं भी तुम्हें दण्ड नहीं दूँगा। जाओ और अब फिर कभी पाप मत करना।”
वे हर तरह के अधर्म, पाप, लालच और वैर से भर गये। वे डाह, हत्या, लड़ाई-झगड़े, छल-छद्म और दुर्भावना से भरे हैं। वे दूसरों का सदा अहित सोचते हैं। वे कहानियाँ घड़ते रहते हैं।
यौनाचार से दूर रहो। दूसरे सभी पाप जिन्हें एक व्यक्ति करता है, उसके शरीर से बाहर होते हैं किन्तु ऐसा व्यक्ति जो व्यभिचार करता है वह तो अपने शरीर के ही विरुद्ध पाप करता है। अथवा क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारे शरीर उस पवित्र आत्मा के मन्दिर हैं जिसे तुमने परमेश्वर से पाया है और जो तुम्हारे भीतर निवास करता है। और वह आत्मा तुम्हारा अपना नहीं है, अथवा क्या तुम नहीं जानते कि परमेश्वर के पवित्र पुरुष ही जगत का न्याय करेंगे? और जब तुम्हारे द्वारा सारे संसार का न्याय किया जाना है तो क्या अपनी इन छोटी-छोटी बातों का न्याय करने योग्य तुम नहीं हो? क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें कीमत चुका कर खरीदा है। इसलिए अपने शरीरों के द्वारा परमेश्वर को महिमा प्रदान करो।
किन्तु यौन अनैतिकता की घटनाओं की सम्भावनाओं के कारण हर पुरुष की अपनी पत्नी होनी चाहिये और हर स्त्री का अपना पति।
अब जो विवाहित हैं उनको मेरा यह आदेश है, (यद्यपि यह मेरा नहीं है, बल्कि प्रभु का आदेश है) कि किसी पत्नी को अपना पति नहीं त्यागना चाहिये। किन्तु यदि वह उसे छोड़ ही दे तो उसे फिर अनब्याहा ही रहना चाहिये या अपने पति से मेल-मिलाप कर लेना चाहिये। और ऐसे ही पति को भी अपनी पत्नी को छोड़ना नहीं चाहिये।
मुझे डर है कि जब मैं फिर तुमसे मिलने आऊँ तो तुम्हारे सामने मेरा परमेश्वर कहीं मुझे लज्जित न करे; और मुझे उन बहुतों के लिए विलाप न करना पड़े जिन्होंने पहले पाप किये हैं और अपवित्रता, व्यभिचार तथा भोग-विलास में डूबे रहने के लिये पछतावा नहीं किया है।
तुम्हारे बीच व्यभिचार और हर किसी तरह की अपवित्रता अथवा लालच की चर्चा तक नहीं चलनी चाहिए। जैसा कि संत जनों के लिए उचित ही है।
क्योंकि तुम निश्चय के साथ यह जानते हो कि ऐसा कोई भी व्यक्ति जो दुराचारी है, अपवित्र है अथवा लालची है, जो एक मूर्ति पूजक होने जैसा है। मसीह के और परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पा सकता।
इसलिए तुममें जो कुछ सांसारिक बातें है, उसका अंत कर दो। व्यभिचार, अपवित्रता, वासना, बुरी इच्छाएँ और लालच जो मूर्ति उपासना का ही एक रूप है, इन ही बातों के कारण परमेश्वर का क्रोध प्रकट होने जा रहा है।
अब देखो उसे एक ऐसा जीवन जीना चाहिए जिसकी लोग न्यायसंगत आलोचना न कर पायें। उसके एक ही पत्नी होनी चाहिए। उसे शालीन होना चाहिए, आत्मसंयमी, सुशील तथा अतिथिसत्कार करने वाला एवं शिक्षा देने में निपूण होना चाहिए।
इसलिए मैं चाहता हूँ कि युवती-विधवाएँ विवाह कर लें और संतान का पालन-पोषण करते हुए अपने घर बार की देखभाल करें ताकि हमारे शत्रुओं को हम पर कटाक्ष करने का कोई अवसर न मिल पाए। मैं यह इसलिए बता रहा हूँ कि कुछ विधवाएँ भटक कर शैतान के पीछे चलने लगी हैं।
याद रखो अंतिम दिनों में हम पर बहुत बुरा समय आयेगा। कुछ भी हो, तूने मेरी शिक्षा का पालन किया है। मेरी जीवन पद्धति, मेरे जीवन के उद्देश्य, मेरे विश्वास, मेरी सहनशीलता, मेरे प्रेम, मेरे धैर्य मेरी उन यातनाओं और पीड़ाओं में मेरा साथ दिया है तुम तो जानते ही हो कि अंताकिया, इकुनियुम और लुस्त्रा में मुझे कितनी भयानक यातनाएँ दी गयी थीं जिन्हें मैंने सहा था। किन्तु प्रभु ने उन सबसे मेरी रक्षा की। वास्तव में परमेश्वर की सेवा में जो नेकी के साथ जीना चाहते हैं, सताये ही जायेंगे। किन्तु पापी और ठग दूसरों को छलते हुए तथा स्वयं छले जाते हुए बुरे से बुरे होते चले जायेंगे। किन्तु तुमने जिन बातों को सीखा और माना है, उन्हें करते जाओ। तुम जानते हो कि उन बातों को तुमने किनसे सीखा है। और तुझे पता है कि तू बचपन से ही पवित्र शास्त्रों को भी जानता है। वे तुझे उस विवेक को दे सकते हैं जिससे मसीह यीशु में विश्वास के द्वारा छुटकारा मिल सकता है। सम्पूर्ण पवित्र शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है। यह लोगों को सत्य की शिक्षा देने, उनको सुधारने, उन्हें उनकी बुराइयाँ दर्शाने और धार्मिक जीवन के प्रशिक्षण में उपयोगी है। जिससे परमेश्वर का प्रत्येक सेवक शास्त्रों का प्रयोग करते हुए हर प्रकार के उत्तम कार्यों को करने के लिये समर्थ और साधन सम्पन्न होगा। लोग स्वार्थी, लालची, अभिमानी, उद्दण्ड, परमेश्वर के निन्दक, माता-पिता की अवहेलना करने वाले, निर्दय, अपवित्र प्रेम रहित, क्षमा-हीन, निन्दक, असंयमी, बर्बर, जो कुछ अच्छा है उसके विरोधी, विश्वासघाती, अविवेकी, अहंकारी और परमेश्वर-प्रेमी होने की अपेक्षा सुखवादी हो जायेंगे। वे धर्म के दिखावटी रूप का पालन तो करेंगे किन्तु उसकी भीतरी शक्ति को नकार देंगे। उनसे सदा दूर रहो।
विवाह का सब को आदर करना चाहिए। विवाह की सेज को पवित्र रखो। क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों और दुराचारियों को दण्ड देगा।
ओ, विश्वास विहीन लोगो! क्या तुम नहीं जानते कि संसार से प्रेम करना परमेश्वर से घृणा करने जैसा ही है? जो कोई इस दुनिया से दोस्ती रखना चाहता है, वह अपने आपको परमेश्वर का शत्रु बनाता है।
क्योंकि तुम अब तक अबोध व्यक्तियों के समान विषय-भोगों, वासनाओं, पियक्कड़पन, उन्माद से भरे आमोद-प्रमोद, मधुपान उत्सवों और घृणापूर्ण मूर्ति-पूजाओं में पर्याप्त समय बिता चुके हो।
क्योंकि इस संसार की हर वस्तु: जो तुम्हारे पापपूर्ण स्वभाव को आकर्षित करती है, तुम्हारी आँखों को भाती है और इस संसार की प्रत्येक वह वस्तु, जिस पर लोग इतना गर्व करते हैं। परम पिता की ओर से नहीं है बल्कि वह तो सांसारिक है।
“कुछ भी हो, मेरे पास तेरे विरोध में कुछ बातें हैं। तेरे यहाँ कुछ ऐसे लोग भी हैं जो बिलाम की सीख पर चलते हैं। उसने बालाक को सिखाया था कि वह इस्राएल के लोगों को मूर्तियों का चढ़ावा खाने और व्यभिचार करने को प्रोत्साहित करे।
किन्तु मेरे पास तेरे विरोध में यह है: तू इजेबेल नाम की उस स्त्री को सह रहा है जो अपने आपको नबी कहती है। अपनी शिक्षा से वह मेरे सेवकों को व्यभिचार के प्रति तथा मूर्तियों का चढ़ावा खाने को प्रेरित करती है। मैंने उसे मन फिराने का अवसर दिया है किन्तु वह परमेश्वर के प्रति व्यभिचार के लिए मन फिराना नहीं चाहती। “इसलिए अब मैं उसे पीड़ा की शैया पर डालने ही वाला हूँ। तथा उन्हें भी जो उसके साथ व्यभिचार में सम्मिलित हैं। ताकि वे उस समय तक गहन पीड़ा का अनुभव करते रहें जब तक वे उसके साथ किए अपने बुरे कर्मों के लिए मन न फिरावें।
उन्होंने अपने द्वारा की गई हत्याओं, जादू टोनों, व्यभिचारों अथवा चोरी-चकारी करने से मन न फिराया।
जो भले बुरे में भेद नहीं करती, उस स्त्री की सुन्दरता ऐसी है जैसे किसी सुअर की थुथनी में सोने की नथ।
जब तेरा माँस और काया चूक जायेंगे तब तुम अपने जीवन के आखिरी छोर पर रोते बिलखते यूँ ही रह जाओगे।
क्योंकि वह वेश्या तो तुझको रोटी—रोटी का मुहताज कर देगी किन्तु वह कुलटा तो तेरा जीवन ही हर लेगी!
वह तुरन्त उसके पीछे ऐसे हो लिया जैसे कोई बैल वध के लिये खिंचा चला जाये। जैसे कोई निरा मूर्ख जाल में पैर धरे।
मैंने उन भयंकर कामों को देखा जो तुमने किये। मैंने तुम्हें हँसते और अपने प्रेमियों के साथ शारीरिक सम्बन्ध करते देखा। मै जानता हूँ कि तुमने वेश्या की तरह दुष्कर्म किया है। मैंने तुम्हें पहाड़ियों और खेतों में देखा है। यरूशलेम, यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा। मुझे बताओ कि तुम कब तक अपने गंदे पापों को करते रहोगे”
“हे चुड़ैलों के बच्चों, इधर आओ। तुम्हारा पिता व्यभिचार का पापी है। तुम्हारी माता अपनी देह यौन व्यापार में बेचा करती है। इधर आओ! हे विद्रोहियों और झूठी सन्तानों, तुम मेरी हँसी उड़ाते हो। मुझ पर अपना मुँह चिढ़ाते हो। तुम मुझ पर जीभ निकालते हो। तुम सभी लोग हरे पेड़ों के तले झूठे देवताओं के कारण कामातुर होते हो। हर नदी के तीर पर तुम बाल वध करते हो और चट्टानी जगहों पर उनकी बलि देते हो।
तब मैंने एक स्त्री से बातें कीं, जो व्यभिचार से शिथिल हो गई थी। मैंने उससे कहा, ‘क्या वे उसके साथ व्यभिचार करते रह सकते हैं, और वह उनके साथ करती रह सकती है’ किन्तु वे उसके पास वैसे ही जाते रहे जैसे वे किसी वेश्या के पास जा रहे हों। हाँ, वे उन दुष्ट स्त्रियाँ ओहोला और ओहोलीबा के पास बार—बार गए।
उसके सारे मूर्ति टुकड़ों मे तोड़ दिये जायेंगे। सारा धन, जो भी इसने कमाया है, आग से भस्म होगा और मैं इसके झूठे देवताओं की मूर्तियों को नष्ट कर दूँगा क्योंकि शोमरोन से ये वस्तुएँ मेरे प्रति सच्चा न रहकर के पाई। सो ये सारी वस्तुएँ दूसरों के पास चली जायेंगी। ऐसे लोगों के पास जो मेरे प्रति सच्चे नहीं हैं।
यहोराम ने उच्च स्थान भी यहूदा के पहाड़ियों पर बनाए। यहोराम ने यरूशलेम के लोगों को, परमेश्वर जो चाहता है उसे करने से मना किया वह यहूदा के लोगों को यहोवा से दूर ले गया।
वह व्यक्ति जो व्यभिचार करता है, रात आने की बाट जोहा करता है, वह सोचता है उसे कोई नहीं देखेगा और वह अपना मुख ढक लेता है।
सत्तर वर्ष के बाद, परमेश्वर सोर के विषय में फिर विचार करेगा और वह उसे एक निर्णय देगा। सोर में फिर से व्यापार होने लगेगा। धरती के सभी देशों के लिये सोर एक वेश्या के समान हो जायेगा।
देखों, मेरे लोग लकड़ी के टुकड़ों से सम्मति माँगते हैं। वे सोचते हैं कि ये छड़ियाँ उन्हें उत्तर देंगी। ऐसा क्यों हो गया ऐसा इसलिये हुआ कि वे वेश्याओं के समान उन झूठे देवताओं के पीछे पड़े रहे। उन्होंने अपने परमेश्वर को त्याग दिया और वे वेश्याओं जैसे बन बैठे।
उत्तर देते हुए यीशु ने कहा, “इस युग के बुरे और दुराचारी लोग ही आश्चर्य चिन्ह देखना चाहते हैं। भविष्यवक्ता योना के आश्चर्य चिन्ह को छोड़कर, उन्हें और कोई आश्चर्य चिन्ह नहीं दिया जायेगा।”
सचमुच ऐसा बताया गया है कि तुम लोगों में दुराचार फैला हुआ है। ऐसा दुराचार-व्यभिचार तो अधर्मियों तक में नहीं मिलता। जैसे कोई तो अपनी विमाता तक के साथ सहवास करता है।
इसलिए तुम्हारे नाशवान् शरीरों के ऊपर पाप का वश न चले। ताकि तुम पाप की इच्छाओं पर कभी न चलो। अपने शरीर के अंगों को अधर्म की सेवा के लिए पाप के हवाले न करो बल्कि मरे हुओं में से जी उठने वालों के समान परमेश्वर के हवाले कर दो। और अपने शरीर के अंगों को धार्मिकता की सेवा के साधन के रूप में परमेश्वर के हवाले कर दो।
हे प्रिय मित्रों, मैं तुम से, जो इस संसार में अजनबियों के रूप में हो, निवेदन करता हूँ कि उन शारीरिक इच्छाओं से दूर रहो जो तुम्हारी आत्मा से जूझती रहती हैं।
तुम चोर को देखकर उससे मिलने के लिए दौड़ जाते हो, तुम उनके साथ बिस्तर में कूद पड़ते हो जो व्यभिचार कर रहे हैं।
इसके बाद यहोवा ने मुझसे फिर कहा, “यद्यपि गोमेर के बहुत से प्रेमी हैं। किन्तु तुझे उससे प्रीत बनाये रखनी चाहिये। क्यों क्योंकि यह तेरा यहोवा कासा आचरण होगा। यहोवा इस्राएल की प्रजा पर अपना प्रेम बनाये रखता है किन्तु इस्राएल के लोग अन्य देवताओं की पूजा करते रहते हैं और वे दाख के पुओं को खाना पसन्द करते हैं।”
तुम इतनी कमजोर हो। तुमने उन सभी व्यक्तियों (देशों) को पाप करने में लगने दिया। तुमने ठीक एक वेश्या की तरह काम किया।” वे बातें मेरे स्वामी यहोवा ने कहीं।
तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े हो, जो मनुष्यों के लिये सामान्य नहीं है। परमेश्वर विश्वसनीय है। वह तुम्हारी सहन शक्ति से अधिक तुम्हें परीक्षा में नहीं पड़ने देगा। परीक्षा के साथ साथ उससे बचने का मार्ग भी वह तुम्हें देगा ताकि तुम परीक्षा को उत्तीर्ण कर सको।
इसलिए हे भाइयो परमेश्वर की दया का स्मरण दिलाकर मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि अपने जीवन एक जीवित बलिदान के रूप में परमेश्वर को प्रसन्न करते हुए अर्पित कर दो। यह तुम्हारी आध्यात्मिक उपासना है जिसे तुम्हें उसे चुकाना है। भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो। आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्व दो। उत्साही बनो, आलसी नहीं, आत्मा के तेज से चमको। प्रभु की सेवा करो। अपनी आशा में प्रसन्न रहो। विपत्ति में धीरज धरो। निरन्तर प्रार्थना करते रहो। परमेश्वर के लोगों की आवश्यकताओं में हाथ बटाओ। अतिथि सत्कार के अवसर ढूँढते रहो। जो तुम्हें सताते हैं उन्हें आशीर्वाद दो। उन्हें शाप मत दो, आशीर्वाद दो। जो प्रसन्न हैं उनके साथ प्रसन्न रहो। जो दुःखी है, उनके दुःख में दुःखी होओ। मेलमिलाप से रहो। अभिमान मत करो बल्कि दीनों की संगति करो। अपने को बुद्धिमान मत समझो। बुराई का बदला बुराई से किसी को मत दो। सभी लोगों की आँखों में जो अच्छा हो उसे ही करने की सोचो। जहाँ तक बन पड़े सब मनुष्यों के साथ शान्ति से रहो। किसी से अपने आप बदला मत लो। मेरे मित्रों, बल्कि इसे परमेश्वर के क्रोध पर छोड़ दो क्योंकि शास्त्र में लिखा है: “प्रभु ने कहा है बदला लेना मेरा काम है। प्रतिदान मैं दूँगा।” अब और आगे इस दुनिया की रीति पर मत चलो बल्कि अपने मनों को नया करके अपने आप को बदल डालो ताकि तुम्हें पता चल जाये कि परमेश्वर तुम्हारे लिए क्या चाहता है। यानी जो उत्तम है, जो उसे भाता है और जो सम्पूर्ण है।