प्रिय मित्र, शास्त्रों में, पुराने और नए नियम दोनों में, पुरुषों के बीच यौन संबंधों की निंदा की गई है, यह बात हम जानते हैं। लेकिन साथ ही, महिलाओं के बीच यौन संबंध, जिसे हम लेस्बियन संबंध कहते हैं, उसे भी गलत माना गया है। समलैंगिकता, लेस्बियन संबंधों और समलैंगिक विवाह के बारे में सच्चाई समझने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम ईश्वर के वचन, बाइबल का अध्ययन करें और इस बारे में उनकी इच्छा को जानें। बाइबल ही वो माध्यम है जिसके द्वारा हम परम सत्य को जान सकते हैं और दुश्मन द्वारा फैलाई गई अज्ञानता के अंधकार से बाहर आ सकते हैं।
जो भी मुझे पढ़ रहा है, मैं कहना चाहता हूँ कि परमेश्वर ने आपके लिए एक सुंदर योजना बनाई है। हो सकता है आप आहत या निराश महसूस कर रहे हों, लेकिन अपने जैसी किसी साथी को ढूंढने से आपको बेहतर महसूस नहीं होगा; बल्कि, अपनी असली पहचान से दूर जाकर आप खुद को और ज़्यादा तकलीफ़ देंगे। आज ही परमेश्वर के पास आओ, उसे खुद को ठीक करने, आपको ऊपर उठाने और दुश्मन के हर बंधन से मुक्त करने दो, क्योंकि यीशु के नाम से आप आज़ाद हो सकते हैं।
“इसलिए परमेश्वर ने उन्हें लज्जाजनक अभिलाषाओं के वश में कर दिया। क्योंकि उनकी स्त्रियाँ भी स्वाभाविक सम्भोग के बदले अस्वाभाविक काम करने लगीं” (रोमियों 1:26)। यह पद स्पष्ट करता है कि परमेश्वर समलैंगिक संबंधों को स्वीकार नहीं करते। परमेश्वर की उपस्थिति में धार्मिकता का जीवन चुनिए और अपनी आत्मा के लिए मोक्ष प्राप्त कीजिए।
इसलिए परमेश्वर ने उन्हें तुच्छ वासनाओं के हाथों सौंप दिया। उनकी स्त्रियाँ स्वाभाविक यौन सम्बन्धों की बजाय अस्वाभाविक यौन सम्बन्ध रखने लगी।
इसलिए परमेश्वर ने उन्हें मन की बुरी इच्छाओं के हाथों सौंप दिया। वे दुराचार में पड़ कर एक दूसरे के शरीरों का अनादर करने लगे।
“तुम्हें किसी पुरुष के साथ वैसा ही यौन सम्बन्ध नहीं करना चाहिए जैसा किसी स्त्री के साथ किया जाता है। यह भयंकर पाप है!
“यदि कोई व्यक्ति किसी पुरुष के साथ स्त्री जैसा यौन सम्बन्ध करता है तो दोनों को मार डालना चाहिए। उन्होंने बहुत बुरा यौन पाप किया है। उन्हें दण्ड अवश्य मिलना चाहिए।
इसलिए परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरुप में सृजा। परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया। परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी। परमेश्वर ने उनसे कहा, “तुम्हारी बहुत सी संताने हों। पृथ्वी को भर दो और उस पर राज करो। समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर राज करो। हर एक पृथ्वी के जीवजन्तु पर राज करो।”
इसी तरह पुरुषों ने स्त्रियों के साथ स्वाभाविक संभोग छोड़ दिया और वे आपस में ही वासना में जलने लगे। और पुरुष परस्पर एक दूसरे के साथ बुरे कर्म करने लगे। उन्हें अपने भ्रष्टाचार का यथोचित फल भी मिलने लगा।
किन्तु कायरों अविश्वासियों, दुर्बुद्धियों, हत्यारों, व्यभिचारियों, जादूटोना करने वालों मूर्तिपूजकों और सभी झूठ बोलने वालों को भभकती गंधक की जलती झील में अपना हिस्सा बँटाना होगा। यही दूसरी मृत्यु है।”
ऐसे भी लोग थे जिन्होंने अपने तन को शारीरिक सम्बन्धों के लिये बेचकर अन्य देवताओं की सेवा की। इस प्रकार यहूदा के लोगों ने अनेक बुरे काम किये। जो लोग उस देश में उनसे पहले रहते थे उन्होंने भी वे ही पापपूर्ण काम किये थे और परमेश्वर ने उन लोगों से वह देश ले लिया था और इस्राएल के लोगों को दे दिया था।
इसी प्रकार मैं तुम्हें यह भी याद दिलाना चाहता हूँ कि सदोम और अमोरा तथा आस-पास के नगरों ने इन दूतों के समान ही यौन अनाचार किया तथा अप्राकृतिक यौन सम्बन्धों के पीछे दौड़ते रहे। उन्हें कभी नहीं बुझने वाली अग्नि में झोंक देने का दण्ड दिया गया। वे हमारे लिए उदाहरण के रूप में स्थित हैं।
उस शाम सोने के समय के पहले ही नगर के सभी भागों से लोग लूत के घर आए। सदोम के पुरुषों ने लूत का घर घेर लिया और बोले। उन्होंने कहा, “आज रात को जो लोग तुम्हारे पास आए, वे दोनों पुरुष कहाँ हैं? उन पुरुषों को बाहर हमें दे दो। हम उनके साथ कुकर्म करना चाहते हैं।”
किन्तु जो पर स्त्री से समागम करता है उसके पास तो विवेक का आभाव है। ऐसा जो करता है वह स्वयं को मिटाता है।
अब देखो! हमारे शरीर की पापपूर्ण प्रकृति के कामों को तो सब जानते हैं। वे हैं: व्यभिचार अपवित्रता, भोगविलास, सुनो! स्वयं मैं, पौलुस तुमसे कह रहा हूँ कि यदि ख़तना करा कर तुम फिर से व्यवस्था के विधान की ओर लौटते हो तो तुम्हारे लिये मसीह का कोई महत्त्व नहीं रहेगा। मूर्ति पूजा, जादू-टोना, बैर भाव, लड़ाई-झगड़ा, डाह, क्रोध, स्वार्थीपन, मतभेद, फूट, ईर्ष्या, नशा, लंपटता या ऐसी ही और बातें। अब मैं तुम्हें इन बातों के बारे में वैसे ही चेता रहा हूँ जैसे मैंने तुम्हें पहले ही चेता दिया था कि जो लोग ऐसी बातों में भाग लेंगे, वे परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पायेंगे।
अब और आगे इस दुनिया की रीति पर मत चलो बल्कि अपने मनों को नया करके अपने आप को बदल डालो ताकि तुम्हें पता चल जाये कि परमेश्वर तुम्हारे लिए क्या चाहता है। यानी जो उत्तम है, जो उसे भाता है और जो सम्पूर्ण है।
उन लोगों का बुरा हो जो कहा करते कि अच्छी बातें बुरी हैं, और बुरी बातें अच्छी हैं। वे लोग सोचा करते हैं कि प्रकाश अन्धेरा है, और अन्धेरा प्रकाश हैं। उन लोगों का विचार हैं कि कड़वा, मीठा है और मीठा, कड़वा है।
बल्कि जैसे तुम्हें बुलाने वाला परमेश्वर पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने प्रत्येक कर्म में पवित्र बनो। शास्त्र भी ऐसा ही कहता है: “पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ।”
जो निज पापों पर पर्दा डालता है, वह तो कभी नहीं फूलता—फलता है किन्तु जो निज दोषों को स्वीकार करता और त्यागता है, वह दया पाता है।
किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ कि यदि कोई किसी स्त्री को वासना की आँख से देखता है, तो वह अपने मन में पहले ही उसके साथ व्यभिचार कर चुका है।
इसलिए तुम्हारे नाशवान् शरीरों के ऊपर पाप का वश न चले। ताकि तुम पाप की इच्छाओं पर कभी न चलो। अपने शरीर के अंगों को अधर्म की सेवा के लिए पाप के हवाले न करो बल्कि मरे हुओं में से जी उठने वालों के समान परमेश्वर के हवाले कर दो। और अपने शरीर के अंगों को धार्मिकता की सेवा के साधन के रूप में परमेश्वर के हवाले कर दो।
हे प्रिय मित्रों, मैं तुम से, जो इस संसार में अजनबियों के रूप में हो, निवेदन करता हूँ कि उन शारीरिक इच्छाओं से दूर रहो जो तुम्हारी आत्मा से जूझती रहती हैं।
जहाँ तक तुम्हारे पुराने जीवन प्रकार का संबन्ध हैं तुम्हें शिक्षा दी गयी थी कि तुम अपने पुराने व्यक्तित्व को उतार फेंको जो उसकी भटकाने वाली इच्छाओं के कारण भ्रष्ट बना हुआ है। जिससे बुद्धि और आत्मा में तुम्हें नया किया जा सके। और तुम उस नये स्वरूप को धारण कर सको जो परमेश्वर के अनुरूप सचमुच धार्मिक और पवित्र बनने के लिए रचा गया है।
और परमेश्वर की यही इच्छा है कि तुम उससे पवित्र हो जाओ, व्यभिचारों से दूर रहो, अपने शरीर की वासनाओं पर नियन्त्रण रखना सीखो-ऐसे ढंग से जो पवित्र है और आदरणीय भी। न कि उस वासना पूर्ण भावना से जो परमेश्वर को नहीं जानने वाले अधर्मियों की जैसी है।
इसलिए तुममें जो कुछ सांसारिक बातें है, उसका अंत कर दो। व्यभिचार, अपवित्रता, वासना, बुरी इच्छाएँ और लालच जो मूर्ति उपासना का ही एक रूप है,
इसलिए परमेश्वर ने उन्हें तुच्छ वासनाओं के हाथों सौंप दिया। उनकी स्त्रियाँ स्वाभाविक यौन सम्बन्धों की बजाय अस्वाभाविक यौन सम्बन्ध रखने लगी। इसी तरह पुरुषों ने स्त्रियों के साथ स्वाभाविक संभोग छोड़ दिया और वे आपस में ही वासना में जलने लगे। और पुरुष परस्पर एक दूसरे के साथ बुरे कर्म करने लगे। उन्हें अपने भ्रष्टाचार का यथोचित फल भी मिलने लगा।
उन्होंने कहा, “आज रात को जो लोग तुम्हारे पास आए, वे दोनों पुरुष कहाँ हैं? उन पुरुषों को बाहर हमें दे दो। हम उनके साथ कुकर्म करना चाहते हैं।”
यदि कोई व्यक्ति वैसे भयंकर पाप करता है तो उस व्यक्ति को अपने लोगों से अलग कर देना चाहिए।
तब राजा योशिय्याह ने यहोवा के मन्दिर में बने पुरषगामियों के कोठों को गिरवा दिया। स्त्रियाँ भी उन घरों का उपयोग करती थीं और असत्य देवी अशेरा के सम्मान के लिये डेरे के आच्छादन बनाती थीं।
चाहे वे परमेश्वर की धर्मपूर्ण विधि को जानते हैं जो बताती है कि जो ऐसी बातें करते हैं, वे मौत के योग्य हैं, फिर भी वे न केवल उन कामों को करते है, बल्कि वैसा करनेवालों का समर्थन भी करते हैं।
इसलिए पुरुष अपने माता—पिता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन हो जाएंगे।
शास्त्र कहता है: “इसीलिए एक पुरुष अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से बंध जाता है और दोनों एक देह हो जाते हैं।”
उत्तर देते हुए यीशु ने कहा, “क्या तुमने शास्त्र में नहीं पढ़ा कि जगत को रचने वाले ने प्रारम्भ में, ‘उन्हें एक स्त्री और एक पुरुष के रूप में रचा था?’ और कहा था ‘इसी कारण अपने माता-पिता को छोड़ कर पुरुष अपनी पत्नी के साथ दो होते हुए भी एक शरीर होकर रहेगा।’
किन्तु यौन अनैतिकता की घटनाओं की सम्भावनाओं के कारण हर पुरुष की अपनी पत्नी होनी चाहिये और हर स्त्री का अपना पति।
विवाह का सब को आदर करना चाहिए। विवाह की सेज को पवित्र रखो। क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों और दुराचारियों को दण्ड देगा।
क्योंकि तुम निश्चय के साथ यह जानते हो कि ऐसा कोई भी व्यक्ति जो दुराचारी है, अपवित्र है अथवा लालची है, जो एक मूर्ति पूजक होने जैसा है। मसीह के और परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पा सकता।