अच्छे काम करना सीखो। दूसरे लोगों के साथ न्याय करो। जो लोग दूसरों को सताते हैं, उन्हें दण्ड दो। अनाथ बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष करो। जिन स्त्रियों के पति मर गये हैं, उन्हें न्याय दिलाने के लिए उनकी पैरवी करो।”
तथा नेकी करना और अपनी वस्तुओं को औरों के साथ बाँटना मत भूलो। क्योंकि परमेश्वर ऐसी ही बलियों से प्रसन्न होता है।
जो गरीबों को दान देता रहता है उसको किसी बात का अभाव नहीं रहता। किन्तु जो उनसे आँख मूँद लेता है, वह शाप पाता है।
मैंने अपने हर कर्म से तुम्हें यह दिखाया है कि कठिन परिश्रम करते हुए हमें निर्बलों की सहायता किस प्रकार करनी चाहिये और हमें प्रभु यीशु का वह वचन याद रखना चाहिये जिसे उसने स्वयं कहा था, ‘लेने से देने में अधिक सुख है।’”
दूसरों को दो, तुम्हे भी दिया जायेगा। वे पूरा नाप दबा-दबा कर और हिला-हिला कर बाहर निकलता हुआ तुम्हारी झोली में उडेंलेंगे क्योंकि जिस नाप से तुम दूसरों को नापते हो, उसी से तुम्हें भी नापा जायेगा।”
देश मे सदा गरीब लोग भी होंगे। यही कारण है कि मैं तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम अपने लोगों, जो लोग तुम्हारे देश में गरीब और सहायता चाहते हैं, उन को सहायता देने के लिए दैयार रहो।
यह राज्य तुम्हारा है क्योंकि मैं भूखा था और तुमने मुझे कुछ खाने को दिया, मैं प्यासा था और तुमने मुझे कुछ पीने को दिया। मैं पास से जाता हुआ कोई अनजाना था, और तुम मुझे भीतर ले गये।मैं नंगा था, तुमने मुझे कपड़े पहनाए। मैं बीमार था, और तुमने मेरी सेवा की। मैं बंदी था, और तुम मेरे पास आये।’
जो गरीब को सताती है, वह तो सबके सृजनहार का अपमान करता है। किन्तु वह जो भी कोई गरीब पर दयालु रहता है, वह परमेश्वर का आदर करता है।
उत्तर में उसने उनसे कहा, “जिस किसी के पास दो कुर्ते हों, वह उन्हें, जिसके पास न हों, उनके साथ बाँट ले। और जिसके पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे।”
मैं चाहता हूँ कि तुम भूखे लोगों के साथ अपने खाने की वस्तुएँ बाँटो। मैं चाहता हूँ कि तुम ऐसे गरीब लोगों को ढूँढों जिनके पास घर नहीं है और मेरी इच्छा है कि तुम उन्हें अपने घरों में ले आओ। तुम जब किसी ऐसे व्यक्ति को देखो, जिसके पास कपड़े न हों तो उसे अपने कपड़े दे डालो। उन लोगों की सहायता से मुँह मत मोड़ो, जो तुम्हारे अपने हों।”
सो जिसके पास भौतिक वैभव है, और जो अपने भाई को अभावग्रस्त देखकर भी उस पर दया नहीं करता, उसमें परमेश्वर का प्रेम है-यह कैसे कहा जा सकता है?
परम पिता परमेश्वर के सामने सच्ची और शुद्ध भक्ति वही है जिसमें अनाथों और विधवाओं की उनके दुःख दर्द में सुधि ली जाए और स्वयं को कोई सांसारिक कलंक न लगने दिया जाए।
मैं अपने सम्पूर्ण मन से कहूँगा, हे “यहोवा, तेरे समान कोई नहीं है। तू सबलों से दुर्बलों को बचाता है। जो जन शक्तिशाली होते हैं, उनसे तू वस्तुओं को छीन लेता है और दीन और असहाय लोगों को देता है।”
यदि कोई कहता है, “मैं परमेश्वर को प्रेम करता हूँ,” और अपने भाई से घृणा करता है तो वह झूठा है। क्योंकि अपने उस भाई को, जिसे उसने देखा है, जब वह प्रेम नहीं करता, तो परमेश्वर को जिसे उसने देखा ही नहीं है, वह प्रेम नहीं कर सकता।
“फिर राजा उत्तर में उनसे कहेगा, ‘मैं तुमसे सत्य कह रहा हूँ जब कभी तुमने मेरे भोले-भाले भाईयों में से किसी एक के लिए भी कुछ किया तो वह तुमने मेरे ही लिये किया।’
“सम्भवत: तुम्हारे देश का कोई व्यक्ति इतना अधिक गरीब हो जाए कि अपना भरण पोषण न कर सके। तुम उसे एक अतिथि की तरह जीवित रखोगे।
किन्तु यहोवा कहता है: “बुरे मनुष्यों ने दीन दुर्बलों से वस्तुएँ चुरा ली हैं। उन्होंने असहाय दीन जन से उनकी वस्तुएँ ले लीं। किन्तु अब मैं उन हारे थके लोगों की रक्षा खड़ा होकर करुँगा।”
“किन्तु एक सामरी भी जाते हुए वहीं आया जहाँ वह पड़ा था। जब उसने उस व्यक्ति को देखा तो उसके लिये उसके मन में करुणा उपजी,सो वह उसके पास आया और उसके घावों पर तेल और दाखरस डाल कर पट्टी बाँध दी। फिर वह उसे अपने पशु पर लाद कर एक सराय में ले गया और उसकी देखभाल करने लगा।
हे परमेश्वर, तू तो यह जानता है कि मैं उनके लिये रोया जो संकट में पड़े हैं। तू तो यह जानता है कि मेरा मन गरीब लोगों के लिये बहुत दु:खी रहता था।
बल्कि तू तो “यदि तेरा शत्रु भूखा है तो उसे भोजन करा। यदि वह प्यासा है तो उसे पीने को दे। क्योंकि यदि तू ऐसा करता है तो वह तुझसे शर्मिन्दा होगा।”
दिन भर वह चाहता ही रहता यह उसको और मिले, और किन्तु धर्मी जन तो बिना हाथ खींचे देता ही रहता है।
यदि तुम शास्त्र में प्राप्त होने वाली इस उच्चतम व्यवस्था का सचमुच पालन करते हो, “अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम करो, जैसे तुम अपने आप से करते हो” तो तुम अच्छा ही करते हो।
तथा जो बाल बच्चों को पालते हुए, अतिथि सत्कार करते हुए, पवित्र लोगों के पांव धोते हुए दुखियों की सहायता करते हुए, अच्छे कामों के प्रति समर्पित होकर सब तरह के उत्तम कार्यों के लिए जानी-मानी जाती हो।
और यदि कोई मेरे इन भोले-भाले शिष्यों में से किसी एक को भी इसलिये एक गिलास ठंडा पानी तक दे कि वह मेरा अनुयायी है, तो मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि उसे इसका प्रतिफल, निश्चय ही, बिना मिले नहीं रहेगा।”
“निश्चय ही तुम लोग ऐसी स्त्रियों का कभी बुरा नहीं करोगे जिनके पति मर चुके हों या उन बच्चों का जिनके माता—पिता न हों।
“तुम अपने खेत की फसल इकट्ठी करते रह सकते हो और तुम कोई पूली भूल से वहाँ छोड़ सकते हो। तुम्हें उसे लेने नहीं जाना चाहिए। यह विदेशियों, अनाथों और विधवाओं के लिए होगा। यदि तुम उनके लिए कुछ अन्न छोड़ते हो तो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उन सभी कामों में आशीष देगा जो तुम करोगे।जब उसने उसका घर छोड़ दिया है तो वह दूसरे व्यक्ति के पास जाकर उसकी पत्नी हो सकती है।जब तुम अपने जैतून के पेड़ों से फली झाड़ोगे तब तुम्हें शाखाओं की जाँच करने फिर नहीं जाना चाहिए। जो जैतून तुम उसमें छोड़ दोगे वह विदेशियों, अनाथों और विधवाओं के लिये होगा।जब तुम अपने अंगूर के बागों से अंगूर इकट्ठा करो तब तुम्हें उन अंगूरों को लेने नहीं जाना चाहिए जिन्हें तुमने छोड़ दिया था। वे अंगूर विदेशियों, अनाथों और विधवाओं के लिये होंगे।
मैं जानता हूँ यहोवा कंगालों का न्याय खराई से करेगा। परमेश्वर असहायों की सहायता करेगा।
किन्तु सातवें वर्ष अपनी भूमि का उपयोग न करो। सातवाँ वर्ष भूमि के विश्राम का विशेष समय होगा। अपने खेतों में कुछ भी न बोओ। यदि कोई फ़सल वहाँ उगती है तो उसे गरीब लोगों को ले लेने दो। जो भी खाने की चीज़ें बच जाएं उन्हें जंगली जानवरों को खा लेने दो। यही बात तुम्हें अपने अंगूर और जैतून के बागों के सम्बन्ध में भी करनी चाहिए।
हे मेरे प्यारे भाईयों, सुनो क्या परमेश्वर ने संसार की आँखों में उन निर्धनों को विश्वास में धनी और उस राज्य के उत्तराधिकारी के रूप में नहीं चुना, जिसका उसने, जो उसे प्रेम करते हैं, देने का वचन दिया है।
हे यहोवा, तू निश्चय ही उन बातों को देखता है, जो क्रूर और बुरी हैं। जिनको दुर्जन किया करते हैं। इन बातों को देख और कुछ तो कर! दु:खों से घिरे लोग सहायता माँगने तेरे पास आते हैं। हे यहोवा, केवल तू ही अनाथ बच्चों का सहायक है, अत: उन की रक्षा कर!
फिर उसने उन्हें उत्तर दिया, “जाओ और जो तुमने देखा है और सुना है, उसे यूहन्ना को बताओ: अंधे लोग फिर देख रहे हैं, लँगड़े लूले चल फिर रहे हैं और कोढ़ी शुद्ध हो गये हैं। बहरे सुन पा रहे हैं और मुर्दे फिर जिलाये जा रहे हैं। और धनहीन लोगों को सुसमाचार सुनाया जा रहा है।
वह मूर्ख व्यक्ति बुराई को एक हथियार के रुप में इस्तेमाल करता है। वह निर्धन लोगों से झूठ के जरिए बरबाद करने के लिये बुरे बुरे रास्ते बताता रहता है। उसकी यें झूठी बातें गरीब लोगों को निष्पक्ष न्याय मिलने से दूर रखती हैं।
जिन लोगों को उसने जीवित छोड़ा है, परमेश्वर उनकी प्रार्थनाएँ सुनेगा। परमेश्वर उनकी विनतियों का उत्तर देगा।
सज्जन अपने नाती—पोतों को धन सम्पति छोड़ता है जबकि पापी का धन धर्मियों के निमित्त संचित होता रहता है।
भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो। आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्व दो।
क्यों? क्योंकि यहोवा असहाय लोगों का साथ देता है। परमेश्वर उनको दूसरे लोगों से बचाता है, जो प्राणदण्ड दिलवाकर उनके प्राण हरने का यत्न करते हैं।
फिर अपने शिष्यों को देखते हुए वह बोला: “धन्य हो तुम जो दीन हो, स्वर्ग का राज्य तुम्हारा है,
राजा, निर्धन लोगों के प्रति न्यायपूर्ण रहे। वह असहाय लोगों की सहायता करे। वे लोग दण्डित हो जो उनको सताते हो।
मैं अंधो के लिये आँखे बन गया और मैं उनके पैर बना जिनके पैर नहीं थे।दीन लोगों के लिये मैं पिता के तुल्य था, मैं पक्ष लिया करता था ऐसे अनजानों का जो विपत्ति में पड़े थे।
वह अनाथ बच्चों की सहायता करता है। वह विधवाओं की सहायता करता है। वह हमारे देश में अजनबियों से भी प्रेम करता है। वह उन्हें भोजन और वस्त्र देता है।
यहोवा कंगालों को धूलि से उठाता है। यहोवा उनके दुःख को दूर करता है। यहोवा कंगालों को राजाओं के साथ बिठाता है। यहोवा कंगालों को प्रतिष्ठित सिंहासन पर बिठाता है। पूरा जगत अपनी नींव तक यहोवा का है! यहोवा जगत को उन खम्भों पर टिकाया है!
यीशु ने जब यह सुना तो वह उससे बोला, “अभी भी एक बात है जिसकी तुझ में कमी है। तेरे पास जो कुछ है, सब कुछ को बेच डाल और फिर जो मिले, उसे गरीबों में बाँट दे। इससे तुझे स्वर्ग में भण्डार मिलेगा। फिर आ और मेरे पीछे हो ले।”
यहोवा निर्धन लोगों के लिये जो जरुरतमंद हैं, तू सुरक्षा का स्थान है। अनेक विपत्तियाँ उनको पराजित करने को आती हैं किन्तु तू उन्हें बचाता है। तू एक ऐसा भवन है जो उनको तूफानी वर्षा से बचाता है और तू एक ऐसी हवा है जो उनको गर्मी से बचाती है। विपत्तियाँ भयानक आँधी और घनघोर वर्षा जैसी आती हैं। वर्षा दीवारों से टकराती हैं और नीचे बह जाती है किन्तु मकान में जो लोग हैं, उनको हानि नहीं पहुँचती है।
यहोवा अभिमानी के घर को छिन्न—भिन्न करता है; किन्तु वह विवश विधवा के घर की सीमा बनाये रखता है।
“जब तुम सारा दशमांश जो तीसरे वर्ष (दशमांश का वर्ष) तुम्हारी फ़सल का दिया जाना है, दे चुको तब तुम्हें लेवीवंशियों, विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को इसे देना चाहिए। तब हर एक नगर में वे खा सकते हैं और सन्तुष्ट किये जा सकते हैं।
प्यासी आत्मा को परमेश्वर सन्तुष्ट करता है। परमेश्वर उत्तम वस्तुओं से भूखी आत्मा का पेट भरता है।
क्योंकि हमारे प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह से तुम परिचित हो। तुम यह जानते हो कि धनी होते हुए भी तुम्हारे लिये वह निर्धन बन गया। ताकि उसकी निर्धनता से तुम मालामाल हो जाओ।
हे प्यारे बच्चों, हमारा प्रेम केवल शब्दों और बातों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि वह कर्ममय और सच्चा होना चाहिए।
ऐसा व्यक्ति दीन जनों को मुक्त दान देता है। उसके पुण्य कर्म जिन्हें वह करता रहता है वह सदा सदा बने रहेंगे।
तुम्हें भूखों की भूख के लिये दु:ख का अनुभव करते हुए उन्हें भोजन देना चाहिये। दु:खी लोगों की सहायता करते हुए तुम्हें उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिये। जब तुम ऐसा करोगे तो अन्धेरे में तुम्हारी रोशनी चमक उठेगी और तुम्हें कोई दु:ख नहीं रह जायेगा। तुम ऐसे चमक उठोगे जैसे दोपहर के समय धूप चमकती है।
बीमारों को ठीक करो, मरे हुओं को जीवन दो, कोढ़ियों को चंगा करो और दुष्टात्माओं को निकालो। तुमने बिना कुछ दिये प्रभु की आशीष और शक्तियाँ पाई हैं, इसलिये उन्हें दूसरों को बिना कुछ लिये मुक्त भाव से बाँटो।
लोग चाहते हैं व्यक्ति विश्वास योग्य और सच्चा हो, इसलिए गरीबी में विश्वासयोग्य बनकर रहना अच्छा है। ऐसा व्यक्ति बनने से जिस पर कोई विश्वास न करे।
यीशु ने उससे कहा, “यदि तू संपूर्ण बनना चाहता तो जा और जो कुछ तेरे पास है, उसे बेचकर धन गरीबों में बाँट दे ताकि स्वर्ग में तुझे धन मिल सके। फिर आ और मेरे पीछे हो ले!”
हम जो आत्मिक रूप से शक्तिशाली हैं, उन्हें उनकी दुर्बलता सहनी चाहिये जो शक्तिशाली नहीं हैं। हम बस अपने आपको ही प्रसन्न न करें।
जो उदार मुक्त भाव से दान देता है, उसका लाभ तो सतत बढ़ता ही जाता है, किन्तु जो अनुचित रूप से सहेज रखते, उनका तो अंत बस दरिद्रता होता।उदार जन तो सदा, फूलेगा फलेगा और जो दूसरों की प्यास बुझायेगा उसकी तो प्यास अपने आप ही बुझेगी।
सो अपनी सम्पत्ति बेच कर धन गरीबों में बाँट दो। अपने पास ऐसी थैलियाँ रखो जो पुरानी न पड़ें अर्थात् कभी समाप्त न होने वाला धन स्वर्ग में जुटाओ जहाँ उस तक किसी चोर की पहँच न हो। और न उसे कीड़े मकौड़े नष्ट कर सकें।
उन्हें आज्ञा दे कि वे अच्छे-अच्छे काम करें। उत्तम कामों से ही धनी बनें। उदार रहें और दूसरों के साथ अपनी वस्तुएँ बाँटें।
अनाथों और दीन लोगों की रक्षा कर, जिन्हें उचित व्यवहार नहीं मिलता तू उनके अधिकारों कि रक्षा कर।
यदि भाइयों और बहनों को वस्त्रों की आवश्यकता हो, उनके पास खाने तक को न होऔर तुममें से ही कोई उनसे कहे, “शांति से जाओ, परमेश्वर तुम्हारा कल्याण करे, अपने को गरमाओ तथा अच्छी प्रकार भोजन करो” और तुम उनकी देह की आवश्यकताओं की वस्तुएँ उन्हें न दो तो फिर इसका क्या मूल्य है?
हर कोई बिना किसी कष्ट के या बिना किसी दबाव के, उतना ही दे जितना उसने मन में सोचा है। क्योंकि परमेश्वर प्रसन्न-दाता से ही प्रेम करता है।
यदि किसी गरीब की, करुणा पुकार पर कोई मनुष्य निज कान बंद करता है, तो वह जब पुकारेगा उसकी पुकार भी नहीं सुनी जायेगी।
जो अपने पड़ोसी को तुच्छ मानता है वह पाप करता है किन्तु जो गरीबों पर दया करता है वह जन धन्य है।
बल्कि जब तू कोई भोज दे तो दीन दुखियों, अपाहिजों, लँगड़ों और अंधों को बुला।फिर क्योंकि उनके पास तुझे वापस लौटाने को कुछ नहीं है सो यह तेरे लिए आशीर्वाद बन जायेगा। इसका प्रतिफल तुझे धर्मी लोगों के जी उठने पर दिया जायेगा।”
उन्होंने हमसे बस यही कहा कि हम उनके निर्धनों का ध्यान रखें। और मैं इसी काम को न केवल करना चाहता था बल्कि इसके लिए लालायित भी था।
सो जैसे ही कोई अवसर मिले, हमें सभी के साथ भलाई करनी चाहिये, विशेषकर अपने धर्म-भाइयों के साथ।
ऐसा मनुष्य जो अपना धन बढ़ाने गरीब को दबाता है; और वह, जो धनी को उपहार देता, दोनों ही ऐसे जन निर्धन हो जाते हैं।
और परमेश्वर तुम पर हर प्रकार के उत्तम वरदानों की वर्षा कर सकता है जिससे तुम अपनी आवश्यकता की सभी वस्तुओं में सदा प्रसन्न हो सकते हो और सभी अच्छे कार्यों के लिये फिर तुम्हारे पास आवश्यकता से भी अधिक रहेगा।
जिन्हें दु:ख दिया गया, यहोवा ऐसे लोगों के संग उचित बात करता है। यहोवा भूखे लोगों को भोजन देता है। यहोवा बन्दी लोगों को छुड़ा दिया करता है।
“प्रभु का आत्मा मुझमें समाया है उसने मेरा अभिषेक किया है ताकि मैं दीनों को सुसमाचार सुनाऊँ। उसने मुझे बंदियों को यह घोषित करने के लिए कि वे मुक्त हैं, अन्धों को यह सन्देश सुनाने को कि वे फिर दृष्टि पायेंगे, दलितो को छुटकारा दिलाने को और
“गरीब जन, और जरुरत मंद जल ढूँढ़ते हैं किन्तु उन्हें जल नहीं मिलता है। वे प्यासे हैं और उनकी जीभ सूखी है। मैं उनकी विनतियों का उत्तर दूँगा। मैं उनको न ही तजूँगा और न ही मरने दूँगा।
“सावधान रहो! परमेश्वर चाहता है, उन कामों का लोगों के सामने दिखावा मत करो नहीं तो तुम अपने परम-पिता से, जो स्वर्ग में है, उसका प्रतिफल नहीं पाओगे।जगत में तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है वैसे ही पृथ्वी पर भी पूरी हो।दिन प्रतिदिन का आहार तू आज हमें दे।अपराधों को क्षमा दान कर जैसे हमने अपने अपराधी क्षमा किये।हमें परीक्षा में न ला परन्तु बुराई से बचा।’ यदि तुम लोगों के अपराधों को क्षमा करोगे तो तुम्हारा स्वर्ग-पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।किन्तु यदि तुम लोगों को क्षमा नहीं करोगे तो तुम्हारा परम-पिता भी तुम्हारे पापों के लिए क्षमा नहीं देगा।“जब तुम उपवास करो तो मुँह लटकाये कपटियों जैसे मत दिखो। क्योंकि वे तरह तरह से मुँह बनाते हैं ताकि वे लोगों को जतायें कि वे उपवास कर रहे हैं। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ उन्हें तो पहले ही उनका प्रतिफल मिल चुका है।किन्तु जब तू उपवास रखे तो अपने सिर पर सुगंध मल और अपना मुँह धो।ताकि लोग यह न जानें कि तू उपवास कर रहा है। बल्कि तेरा परम-पिता जिसे तू देख नहीं सकता, देखे कि तू उपवास कर रहा है। तब तेरा परम पिता जो तेरे छिपकर किए गए सब कर्मों को देखता है, तुझे उनका प्रतिफल देगा।“अपने लिये धरती पर भंडार मत भरो। क्योंकि उसे कीड़े और जंग नष्ट कर देंगे। चोर सेंध लगाकर उसे चुरा सकते हैं।“इसलिये जब तुम किसी दीन-दुःखी को दान देते हो तो उसका ढोल मत पीटो, जैसा कि आराधनालयों और गलियों में कपटी लोग औंरों से प्रशंसा पाने के लिए करते हैं। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि उन्हें तो इसका पूरा फल पहले ही दिया जा चुका है।
कभी—कभी लगता है जैसे परमेश्वर दुखियों को पीड़ा में भूल जाता है। यह ऐसा लगता जैसे दीन जन आशाहीन हैं। किन्तु परमेश्वर दीनों को सदा—सर्वदा के लिये कभी नहीं भूलता।
“मैंने कभी भी दीन जन की सहायता को मना नहीं किया। मैंने विधवाओं को सहारे बिना नहीं रहने दिया।मैं स्वार्थी नहीं रहा। मैंने अपने भोजन के साथ अनाथ बच्चों को भूखा नहीं रहने दिया।
“मैं तुम्हें बताऊँगा कि मुझे कैसा विशेष दिन चाहिये—एक ऐसा दिन जब लोगों को आज़ाद किया जाये। मुझे एक ऐसा दिन चाहिये जब तुम लोगों के बोझ को उन से दूर कर दो। मैं एक ऐसा दिन चाहता हूँ जब तुम दु:खी लोगों को आज़ाद कर दो। मुझे एक ऐसा दिन चाहिये जब तुम उनके कंधों से भार उतार दो।मैं चाहता हूँ कि तुम भूखे लोगों के साथ अपने खाने की वस्तुएँ बाँटो। मैं चाहता हूँ कि तुम ऐसे गरीब लोगों को ढूँढों जिनके पास घर नहीं है और मेरी इच्छा है कि तुम उन्हें अपने घरों में ले आओ। तुम जब किसी ऐसे व्यक्ति को देखो, जिसके पास कपड़े न हों तो उसे अपने कपड़े दे डालो। उन लोगों की सहायता से मुँह मत मोड़ो, जो तुम्हारे अपने हों।”
“जब तुम उस देश में रहोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है तब तुम्हारे लोगों में कोई भी गरीब हो सकता है। तुम्हें स्वार्थी नहीं होना चाहिए। तुम्हें उस गरीब व्यक्ति को सहायता देने से इन्कार नहीं करना चाहिए।तुम्हें उसका हाथ बँटाने की इच्छा रखनी चाहिए। तुम्हें उस व्यक्ति को जितने ऋण की आवश्यकता हो, देना चाहिए।
उस दल में से किसी को भी कोई कमी नहीं थी। क्योंकि जिस किसी के पास खेत या घर होते, वे उन्हें बेच दिया करते थे और उससे जो धन मिलता, उसे लाकरप्रेरितों के चरणों में रख देते और जिसको जितनी आवश्यकता होती, उसे उतना धन दे दिया जाता था।
क्यों? क्योंकि जब किसी दीन ने सहायता के लिये पुकारा, मैंने सहायता की। उस बच्चे को मैंने सहारा दिया जिसके माँ बाप नहीं और जिसका कोई भी नहीं ध्यान रखने को।मुझको मरते हुये व्यक्ति की आशीष मिली, मैंने उन विधवाओं को जो जरुरत में थी, मैंने सहारा दिया और उनको खुश किया।
किन्तु जब तू किसी दीन दुःखी को देता है तो तेरा बायाँ हाथ न जान पाये कि तेरा दाहिना हाथ क्या कर रहा है।इसलिये जब जंगली पौधों को जो आज जीवित हैं पर जिन्हें कल ही भाड़ में झोंक दिया जाना है, परमेश्वर ऐसे वस्त्र पहनाता है तो अरे ओ कम विश्वास रखने वालों, क्या वह तुम्हें और अधिक वस्त्र नहीं पहनायेगा?“इसलिये चिंता करते हुए यह मत कहो कि ‘हम क्या खायेंगे या हम क्या पीयेंगे या क्या पहनेंगे?’विधर्मी लोग इन सब वस्तुओं के पीछे दौड़ते रहते हैं किन्तु स्वर्ग धाम में रहने वाला तुम्हारा पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है।इसलिये सबसे पहले परमेश्वर के राज्य और तुमसे जो धर्म भावना वह चाहता है, उसकी चिंता करो। तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें दे दी जायेंगी।कल की चिंता मत करो, क्योंकि कल की तो अपनी और चिंताएँ होंगी। हर दिन की अपनी ही परेशानियाँ होती हैं।ताकि तेरा दान छिपा रहे। तेरा वह परम पिता जो तू छिपाकर करता है उसे भी देखता है, वह तुझे उसका प्रतिफल देगा।