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98 बाइबल के वचन: प्रेम और रिश्ते

98 बाइबल के वचन: प्रेम और रिश्ते

आजकल रिश्तों का मतलब ही बदल गया है। पहले शादी से पहले एक-दूसरे को जानने-समझने का एक खूबसूरत दौर होता था, पर अब तो बस बेकाबू मुलाक़ातों का सिलसिला सा बन गया है, जहाँ न रिस्पेक्ट है, न क़द्र। किसी को दिल से चाहने का सलीक़ा ही खो गया है। पहली मुलाक़ात से ही गलत उम्मीदें लगा ली जाती हैं। लड़कियाँ अब एक ही इंसान के लिए ख़ुद को नहीं सँभालतीं, उनकी अहमियत कम होती जा रही है, और लड़के बस बिना किसी ज़िम्मेदारी के रिश्ते बनाना चाहते हैं। ज़्यादातर रिश्ते प्यार पर नहीं, बल्कि बस पल भर की ख़ुशी पर टिके होते हैं, जिसके बुरे नतीजे भी हो सकते हैं।

परमात्मा की नज़र में रिश्ता एक अनमोल तोहफ़ा है, एक ख़ूबसूरत एहसास है। लेकिन ये तभी मुमकिन है जब तुम सही इंसान के साथ हो, जो तुम्हें परमात्मा के क़रीब ले जाए, न कि दूर। ऐसा इंसान कभी तुम पर कोई गलत काम करने का दबाव नहीं डालेगा; वो तुम्हारे जिस्म को छूने से ज़्यादा तुम्हारे दिल को छूना चाहेगा, ऐसी यादें बनाएगा जो तुम्हें मुस्कुराने पर मजबूर कर दें। किसी भी रिश्ते में जल्दबाज़ी मत करो, हर लम्हा सुकून से जियो और पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का इंतज़ार करो, क्योंकि वही जानता है कि तुम्हारे लिए क्या बेहतर है, तुम्हें किसकी ज़रूरत है। सही वक़्त पर, तुम्हारी ज़िंदगी में वो इंसान ज़रूर आएगा जिसके साथ तुम अपना भविष्य बनाओगे, इसलिए पहली नज़र के धोखे में मत आना। मीठी बातें प्यार की गारंटी नहीं होतीं; ज़रूरी है कि तुम उसके कामों को देखो और समझो कि क्या सचमुच यही वो इंसान है जिसके साथ तुम अपनी पूरी ज़िंदगी बिताना चाहते हो।

अपनी भावनाओं में बहकर कोई गलत फ़ैसला मत लेना। अपने माता-पिता, गुरुजनों और अनुभवी लोगों की बात ज़रूर सुनो, क्योंकि उनमें तुम्हें परमात्मा का मार्गदर्शन मिलेगा। अगर तुम्हारा रिश्ता तुम्हें परमात्मा के रास्ते से भटका रहा है, तो रुक जाओ और सोचो, इससे पहले कि तुम्हें कोई बुरा अनुभव हो। समाज के बहकावे में मत आना; पवित्र आत्मा को अपनी ज़िंदगी की बागडोर सौंप दो।




कुलुस्सियों 3:14

इन बातों के अतिरिक्त प्रेम को धारण करो। प्रेम ही सब को आपस में बाँधता और परिपूर्ण करता है।

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1 पतरस 4:8

और सबसे बड़ी बात यह है कि एक दूसरे के प्रति निरन्तर प्रेम बनाये रखो क्योंकि प्रेम से अनगिनत पापों का निवारण होता है।

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भजन संहिता 37:4

यहोवा की सेवा में आनन्द लेता रह, और यहोवा तुझे तेरा मन चाहा देगा।

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श्रेष्ठगीत 2:7

यरूशलेम की कुमारियों, कुंरगों और जंगली हिरणियों को साक्षी मान कर मुझ को वचन दो, प्रेम को मत जगाओ, प्रेम को मत उकसाओ, जब तक मैं तैयार न हो जाऊँ।

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नीतिवचन 5:18-19

तेरा स्रोत धन्य रहे और अपने जवानी की पत्नी के साथ ही तू आनन्दित रह का रसपान। तेरी वह पत्नी, प्रियतमा, प्राणप्रिया, मनमोहक हिरणी सी तुझे सदा तृप्त करे। उसके माँसल उरोज और उसका प्रेम पाश तुझको बाँधे रहे।

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उत्पत्ति 2:24

इसलिए पुरुष अपने माता—पिता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन हो जाएंगे।

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1 कुरिन्थियों 13:13

इस दौरान विश्वास, आशा और प्रेम तो बने ही रहेंगे और इन तीनों में भी सबसे महान् है प्रेम।

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उत्पत्ति 29:20

इसलिए याकूब ठहरा और सात साल तक लाबान के लिए काम करता रहा। लेकिन यह समय उसे बहुत कम लगा क्योंकि वह राहेल से बहुत प्रेम करता था।

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श्रेष्ठगीत 1:2

तू मुझ को अपने मुख के चुम्बनों से ढक ले। क्योंकि तेरा प्रेम दाखमधु से भी उत्तम है।

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श्रेष्ठगीत 2:16

मेरा प्रिय मेरा है और मैं उसकी हूँ! मेरा प्रिय अपनी भेड़ बकरियों को कुमुदिनियों के बीच चराता है,

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1 कुरिन्थियों 13:4-7

प्रेम धैर्यपूर्ण है, प्रेम दयामय है, प्रेम में ईर्ष्या नहीं होती, प्रेम अपनी प्रशंसा आप नहीं करता। वह अभिमानी नहीं होता। वह अनुचित व्यवहार कभी नहीं करता, वह स्वार्थी नहीं है, प्रेम कभी झुँझलाता नहीं, वह बुराइयों का कोई लेखा-जोखा नहीं रखता। बुराई पर कभी उसे प्रसन्नता नहीं होती। वह तो दूसरों के साथ सत्य पर आनंदित होता है। वह सदा रक्षा करता है, वह सदा विश्वास करता है। प्रेम सदा आशा से पूर्ण रहता है। वह सहनशील है।

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नीतिवचन 3:5-6

अपने पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रख! तू अपनी समझ पर भरोसा मत रख। उसको तू अपने सब कामों में याद रख। वही तेरी सब राहों को सीधी करेगा।

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1 यूहन्ना 4:12

परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा है किन्तु यदि हम आपस में प्रेम करते हैं तो परमेश्वर हममें निवास करता है और उसका प्रेम हमारे भीतर सम्पूर्ण हो जाता है।

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1 यूहन्ना 3:18

हे प्यारे बच्चों, हमारा प्रेम केवल शब्दों और बातों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि वह कर्ममय और सच्चा होना चाहिए।

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इफिसियों 4:2-3

सदा नम्रता और कोमलता के साथ, धैर्यपूर्वक आचरण करो। एक दूसरे की प्रेम से सहते रहो। किन्तु मसीह के विषय में तुमने जो जाना है, वह तो ऐसा नहीं है। मुझे कोई संदेह नहीं है कि तुमने उसके विषय में सुना है; और वह सत्य जो यीशु में निवास करता है, उसके अनुसार तुम्हें उसके शिष्यों के रूप में शिक्षित भी किया गया है। जहाँ तक तुम्हारे पुराने जीवन प्रकार का संबन्ध हैं तुम्हें शिक्षा दी गयी थी कि तुम अपने पुराने व्यक्तित्व को उतार फेंको जो उसकी भटकाने वाली इच्छाओं के कारण भ्रष्ट बना हुआ है। जिससे बुद्धि और आत्मा में तुम्हें नया किया जा सके। और तुम उस नये स्वरूप को धारण कर सको जो परमेश्वर के अनुरूप सचमुच धार्मिक और पवित्र बनने के लिए रचा गया है। सो तुम लोग झूठ बोलने का त्याग कर दो। अपने साथियों से हर किसी को सच बोलना चाहिए, क्योंकि हम सभी एक शरीर के ही अंग हैं। क्रोध में आकर पाप मत कर बैठो। सूरज ढलने से पहले ही अपने क्रोध को समाप्त कर दो। शैतान को अपने पर हावी मत होने दो। जो चोरी करता आ रहा है, वह आगे चोरी न करे। बल्कि उसे काम करना चाहिए, स्वयं अपने हाथों से कोई उपयोगी काम। ताकि उसके पास, जिसे आवश्यकता है, उसके साथ बाँटने को कुछ हो सके। तुम्हारे मुख से कोई अनुचित शब्द नहीं निकलना चाहिए, बल्कि लोगों के विकास के लिए जिसकी अपेक्षा है, ऐसी उत्तम बात ही निकलनी चाहिए, ताकि जो सुनें उनका उससे भला हो। वह शांति, जो तुम्हें आपस में बाँधती है, उससे उत्पन्न आत्मा की एकता को बनाये रखने के लिये हर प्रकार का यत्न करते रहो।

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श्रेष्ठगीत 8:6-7

अपने हृदय पर तू मुद्रा सा धर। जैसी मुद्रा तेरी बाँह पर है। क्योंकि प्रेम भी उतना ही सबल है जितनी मृत्यु सबल है। भावना इतनी तीव्र है जितनी कब्र होती है। इसकी धदक धधकती हुई लपटों सी होती है! प्रेम की आग को जल नहीं बुझा सकता। प्रेम को बाढ़ बहा नहीं सकती। यदि कोई व्यक्ति प्रेम को घर का सब दे डाले तो भी उसकी कोई नहीं निन्दा करेगा!

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फिलिप्पियों 2:2

तो मुझे पूरी तरह प्रसन्न करो। मैं चाहता हूँ, तुम एक तरह से सोचो, परस्पर एक जैसा प्रेम करो, आत्मा में एका रखो और एक जैसा ही लक्ष्य रखो।

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नीतिवचन 18:22

जिसको पत्नी मिली है, वह उत्तम पदार्थ पाया है। उसको यहोवा का अनुग्रह मिलता है।

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गलातियों 5:22-23

जबकि पवित्र आत्मा, प्रेम, प्रसन्नता, शांति, धीरज, दयालुता, नेकी, विश्वास, नम्रता और आत्म-संयम उपजाता है। ऐसी बातों के विरोध में कोई व्यवस्था का विधान नहीं है।

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मत्ती 19:6

सो वे दो नहीं रहते बल्कि एक रूप हो जाते हैं। इसलिए जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है उसे किसी भी मनुष्य को अलग नहीं करना चाहिये।”

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नीतिवचन 31:10

गुणवंती पत्नी कौन पा सकता है वह जो मणि—मणिकों से कही अधिक मूल्यवान।

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1 कुरिन्थियों 16:14

तुम जो कुछ करो, प्रेम से करो।

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नीतिवचन 20:7

धर्मी जन निष्कलंक जीवन जीता है उसका बाद आनेवाली संतानें धन्य हैं।

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भजन संहिता 119:9

एक युवा व्यक्ति कैसे अपना जीवन पवित्र रख पाये तेरे निर्देशों पर चलने से।

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श्रेष्ठगीत 3:5

यरूशलेम की कुमारियों, कुरंगों और जंगली हिरणियों को साक्षी मान कर मुझको वचन दो, प्रेम को मत जगाओ, प्रेम को मत उकसाओ, जब तक मैं तैयार न हो जाऊँ।

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1 तीमुथियुस 5:1-2

किसी बड़ी आयु के व्यक्ति के साथ कठोरता से मत बोलो, बल्कि उन्हें पिता के रूप में देखते हुए उनके प्रति विनम्र रहो। अपने से छोटों के साथ भाइयों जैसा बर्ताव करो। तथा जो बाल बच्चों को पालते हुए, अतिथि सत्कार करते हुए, पवित्र लोगों के पांव धोते हुए दुखियों की सहायता करते हुए, अच्छे कामों के प्रति समर्पित होकर सब तरह के उत्तम कार्यों के लिए जानी-मानी जाती हो। किन्तु युवती-विधवाओं को इस सूची में सम्मिलित मत करो क्योंकि मसीह के प्रती उनके समर्पण पर जब उनकी विषय वासना पूर्ण इच्छाएँ हावी होती हैं तो वे फिर विवाह करना चाहती हैं। वे अपराधिनी हैं क्योंकि उन्होंने अपनी मूलभूत प्रतिज्ञा को तोड़ा है। इसके अतिरिक्त उन्हें आलस की आदत पड़ जाती है। वे एक घर से दूसरे घर घूमती फिरती हैं तथा वे न केवल आलसी हो जाती हैं, बल्कि वे बातूनी बन कर लोगों के कामों में टाँग अड़ाने लगाती हैं और ऐसी बातें बोलने लगती हैं जो उन्हें नहीं बोलनी चाहिए। इसलिए मैं चाहता हूँ कि युवती-विधवाएँ विवाह कर लें और संतान का पालन-पोषण करते हुए अपने घर बार की देखभाल करें ताकि हमारे शत्रुओं को हम पर कटाक्ष करने का कोई अवसर न मिल पाए। मैं यह इसलिए बता रहा हूँ कि कुछ विधवाएँ भटक कर शैतान के पीछे चलने लगी हैं। यदि किसी विश्वासी महिला के घर में विधवाएँ हैं तो उसे उनकी सहायता स्वयं करनी चाहिए और कलीसिया पर कोई भार नहीं डालना चाहिए ताकि कलीसिया सच्ची विधवाओं की सहायता कर सके। जो बुज़ुर्ग कलीसिया की उत्तम अगुआई करते हैं, वे दुगुने सम्मान के पात्र होने चाहिए। विशेष कर वे जिनका काम उपदेश देना और पढ़ाना है। क्योंकि शास्त्र में कहा गया है, “बैल जब खलिहान में हो तो उसका मुँह मत बाँधो।” तथा, “मज़दूर को अपनी मज़दूरी पाने का अधिकार है।” किसी बुज़ुर्ग पर लगाए गए किसी लांछन को तब तक स्वीकार मत करो जब तक दो या तीन गवाहियाँ न हों। बड़ी महिलाओं को माँ समझो तथा युवा स्त्रियों को अपनी बहन समझ कर पूर्ण पवित्रता के साथ बर्ताव करो।

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नीतिवचन 15:17

घृणा के साथ अधिक भोजन से, प्रेम के साथ थोड़ा भोजन उत्तम है।

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इफिसियों 5:25

हे पतियों, अपनी पत्नियों से प्रेम करो। वैसे ही जैसे मसीह ने कलीसिया से प्रेम किया और अपने आपको उसके लिये बलि दे दिया।

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1 यूहन्ना 4:19

हम प्रेम करते हैं क्योंकि पहले परमेश्वर ने हमें प्रेम किया है।

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रोमियों 12:10

भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो। आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्व दो।

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कुलुस्सियों 3:19

हे पतियों, अपनी पत्नियों से प्रेम करो, उनके प्रति कठोर मत बनो।

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नीतिवचन 12:4

एक उत्तम पत्नी के साथ पति खुश और गर्वीला होता है। किन्तु वह पत्नी जो अपने पति को लजाती है वह उसको शरीर की बीमारी जैसे होती है।

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भजन संहिता 145:9

यहोवा सब के लिये भला है। परमेश्वर जो कुछ भी करता है उसी में निजकरुणा प्रकट करता है।

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मत्ती 7:12

“इसलिये जैसा व्यवहार अपने लिये तुम दूसरे लोगों से चाहते हो, वैसा ही व्यवहार तुम भी उनके साथ करो। व्यवस्था के विधि और भविष्यवक्ताओं के लिखे का यही सार है।

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उत्पत्ति 24:67

तब इसहाक लड़की को अपनी माँ के तम्बू में ले आया। उसी दिन इसहाक ने रिबका से विवाह कर लिया। वह उससे बहुत प्रेम करता था। अतः उसे उसकी माँ की मृत्यु के पश्चात् भी सांत्वना मिली।

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फिलिप्पियों 1:3

मैं जब जब तुम्हें याद करता हूँ, तब तब परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ।

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भजन संहिता 126:5

जब हमने बीज बोये, हम रो रहे थे, किन्तु कटनी के समय हम खुशी के गीत गायेंगे!

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श्रेष्ठगीत 4:9

हे मेरी संगिनी, हे मेरी दुल्हिन, तुम मुझे उत्तेजित करती हो। आँखों की चितवन मात्र से और अपने कंठहार के बस एक ही रत्न से तुमने मेरा मन मोह लिया है।

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रोमियों 15:5-6

और समूचे धीरज और बढ़ावे का स्रोत परमेश्वर तुम्हें वरदान दे कि तुम लोग एक दूसरे के साथ यीशु मसीह के उदाहरण पर चलते हुए आपस में मिल जुल कर रहो। ताकि तुम सब एक साथ एक स्वर से हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमपिता, परमेश्वर को महिमा प्रदान करो।

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नीतिवचन 10:12

दुष्ट के मुख से घृणा भेद—भावों को उत्तेजित करती है जबकि प्रेम सब दोषों को ढक लेता है।

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1 पतरस 3:7

ऐसे ही हे पतियों, तुम अपनी पत्नियों के साथ समझदारी पूर्वक रहो। उन्हें निर्बल समझ कर, उनका आदर करो। जीवन के वरदान में उन्हें अपना सह उत्तराधिकारी भी मानो ताकि तुम्हारी प्रार्थनाओं में बाधा न पड़े।

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श्रेष्ठगीत 1:15

मेरी प्रिये, तुम रमणीय हो! ओह, तुम कितनी सुन्दर हो! तेरी आँखे कपोतों की सी सुन्दर हैं।

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मत्ती 19:5-6

और कहा था ‘इसी कारण अपने माता-पिता को छोड़ कर पुरुष अपनी पत्नी के साथ दो होते हुए भी एक शरीर होकर रहेगा।’ सो वे दो नहीं रहते बल्कि एक रूप हो जाते हैं। इसलिए जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है उसे किसी भी मनुष्य को अलग नहीं करना चाहिये।”

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इफिसियों 5:33

सो कुछ भी हो, तुममें से हर एक को अपनी पत्नी से वैसे ही प्रेम करना चाहिए जैसे तुम स्वयं अपने आपको करते हो। और एक पत्नी को भी अपने पति का डर मानते हुए उसका आदर करना चाहिए।

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भजन संहिता 128:3

घर पर तेरी घरवाली अंगूर की बेल सी फलवती होगी। मेज के चारों तरफ तेरी संतानें ऐसी होंगी, जैसे जैतून के वे पेड़ जिन्हें तूने रोपा है।

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नीतिवचन 19:14

भवन और धन दौलत माँ बाप से दान में मिल जाते; किन्तु बुद्धिमान पत्नी यहोवा से मिलती है।

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भजन संहिता 145:8-9

यहोवा दयालु है और करुणापूर्ण है। यहोवा तू धैर्य और प्रेम से पूर्ण है। यहोवा सब के लिये भला है। परमेश्वर जो कुछ भी करता है उसी में निजकरुणा प्रकट करता है।

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उत्पत्ति 2:18

तब यहोवा परमेश्वर ने कहा, “मैं समझता हूँ कि मनुष्य का अकेला रहना ठीक नहीं है। मैं उसके लिए एक सहायक बनाऊँगा जो उसके लिए उपयुक्त होगा।”

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1 कुरिन्थियों 7:3-5

पति को चाहिये कि पत्नी के रूप में जो कुछ पत्नी का अधिकार बनता है, उसे दे। और इसी प्रकार पत्नी को भी चाहिये कि पति को उसका यथोचित प्रदान करे। और वे जो बिलख रहे हैं, वे ऐसे रहें, मानो कभी दुखी ही न हुए हों। और जो आनान्दित हैं, वे ऐसे रहें, मानो प्रसन्न ही न हुए हों। और वे जो वस्तुएँ मोल लेते हैं, ऐसे रहें मानो उनके पास कुछ भी न हो। और जो सांसारिक सुख-विलासों का भोग कर रहे हैं, वे ऐसे रहें, मानों वे वस्तुएँ उनके लिए कोई महत्व नहीं रखतीं। क्योंकि यह संसार अपने वर्तमान स्वरूप में नाषमान है। मैं चाहता हूँ आप लोग चिंताओं से मुक्त रहें। एक अविवाहित व्यक्ति प्रभु सम्बन्धी विषयों के चिंतन में लगा रहता है कि वह प्रभु को कैसे प्रसन्न करे। किन्तु एक विवाहित व्यक्ति सांसारिक विषयों में ही लिप्त रहता है कि वह अपनी पत्नी को कैसे प्रसन्न कर सकता है। इस प्रकार उसका व्यक्तित्व बँट जाता है। और ऐसे ही किसी अविवाहित स्त्री या कुँवारी कन्या को जिसे बस प्रभु सम्बन्धी विषयों की ही चिंता रहती है। जिससे वह अपने शरीर और अपनी आत्मा से पवित्र हो सके। किन्तु एक विवाहित स्त्री सांसारिक विषयभोगों में इस प्रकार लिप्त रहती है कि वह अपने पति को रिझाती रह सके। ये मैं तुमसे तुम्हारे भले के लिये ही कह रहा हूँ तुम पर प्रतिबन्ध लगाने के लिये नहीं। बल्कि अच्छी व्यवस्था को हित में और इसलिए भी कि तुम चित्त की चंचलता के बिना प्रभु को समर्पित हो सको। यदि कोई सोचता है कि वह अपनी युवा हो चुकी कुँवारी प्रिया के प्रति उचित नहीं कर रहा है और यदि उसकी कामभावना तीव्र है, तथा दोनों को ही आगे बढ़ कर विवाह कर लेने की आवश्यकता है, तो जैसा वह चाहता है, उसे आगे बढ़ कर वैसा कर लेना चाहिये। वह पाप नहीं कर रहा है। उन्हें विवाह कर लेना चाहिये। किन्तु जो अपने मन में बहुत पक्का है और जिस पर कोई दबाव भी नहीं है, बल्कि जिसका अपनी इच्छाओं पर भी पूरा बस है और जिसने अपने मन में पूरा निश्चय कर लिया है कि वह अपनी प्रिया से विवाह नहीं करेगा तो वह अच्छा ही कर रहा है। सो वह जो अपनी प्रिया से विवाह कर लेता है, अच्छा करता है और जो उससे विवाह नहीं करता, वह और भी अच्छा करता है। जब तक किसी स्त्री का पति जीवित रहता है, तभी तक वह विवाह के बन्धन में बँधी होती है किन्तु यदि उसके पति देहान्त हो जाता है, तो जिसके साथ चाहे, विवाह करने, वह स्वतन्त्र है किन्तु केवल प्रभु में। अपने शरीर पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं हैं बल्कि उसके पति का है। और इसी प्रकार पति का भी उसके अपने शरीर पर कोई अधिकार नहीं है, बल्कि उसकी पत्नी का है। पर यदि जैसी वह है, वैसी ही रहती है तो अधिक प्रसन्न रहेगी। यह मेरा विचार है। और मैं सोचता हूँ कि मुझमें भी परमेश्वर के आत्मा का ही निवास है। अपने आप को प्रार्थना में समर्पित करने के लिये थोड़े समय तक एक दूसरे से समागम न करने की आपसी सहमती को छोड़कर, एक दूसरे को संभोग से वंचित मत करो। फिर आत्म-संयम के अभाव के कारण कहीं शैतान तुम्हें किसी परीक्षा में न डाल दे, इसलिए तुम फिर समागम कर लो।

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नीतिवचन 22:6

बच्चे को यहोवा की राह पर चलाओ वह बुढ़ापे में भी उस से भटकेगा नहीं।

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1 तीमुथियुस 6:11

किन्तु हे परमेश्वर के जन, तू इन बातों से दूर रह तथा धार्मिकता, भक्तिपूर्ण सेवा, विश्वास, प्रेम, धैर्य और सज्जनता में लगा रह।

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भजन संहिता 85:10

परमेश्वर का सच्चा प्रेम उनके अनुयायियों को मिलेगा। नेकी और शांति चुम्बन के साथ उनका स्वागत करेगी।

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गलातियों 6:2

परस्पर एक दूसरे का भार उठाओ। इस प्रकार तुम मसीह की व्यवस्था का पालन करोगे।

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1 पतरस 4:10

जिस किसी को परमेश्वर की ओर से जो भी वरदान मिला है, उसे चाहिए कि परमेश्वर के विविध अनुग्रह के उत्तम प्रबन्धकों के समान, एक दूसरे की सेवा के लिए उसे काम में लाए।

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नीतिवचन 27:17

जैसे धार धरता है लोहे से लोहा, वैसी ही जन एक दूसरे की सीख से सुधरते हैं।

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श्रेष्ठगीत 8:4

यरूशलेम की कुमारियों, मुझको वचन दो, प्रेम को मत जगाओ, प्रेम को मत उकसाओ, जब तक मैं तैयार न हो जाऊँ।

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रोमियों 13:10

प्रेम अपने साथी का बुरा कभी नहीं करता। इसलिए प्रेम करना व्यवस्था के विधान को पूरा करना है।

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भजन संहिता 119:63

जो कोई व्यक्ति तेरी उपासना करता मैं उसका मित्र हूँ। जो कोई व्यक्ति तेरे आदेशों पर चलता है, मैं उसका मित्र हूँ।

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1 कुरिन्थियों 7:39

जब तक किसी स्त्री का पति जीवित रहता है, तभी तक वह विवाह के बन्धन में बँधी होती है किन्तु यदि उसके पति देहान्त हो जाता है, तो जिसके साथ चाहे, विवाह करने, वह स्वतन्त्र है किन्तु केवल प्रभु में।

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नीतिवचन 27:9

इत्र और सुगंधित धूप मन को आनन्द से भरते हैं और मित्र की सच्ची सम्मति सेमन उल्लास से भर जाता है।

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इफिसियों 4:32

परस्पर एक दूसरे के प्रति दयालु और करुणावान बनो। तथा आपस में एक दूसरे के अपराधों को वैसे ही क्षमा करो जैसे मसीह के द्वारा तुम को परमेश्वर ने भी क्षमा किया है।

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उत्पत्ति 31:49

तब लाबान ने कहा, “यहोवा, हम लोगों के एक दूसरे से अलग होने का साक्षी रहे।” इसलिए उस जगह का नाम मिजपा भी होगा।

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मत्ती 5:16

लोगों के सामने तुम्हारा प्रकाश ऐसे चमके कि वे तुम्हारे अच्छे कामों को देखें और स्वर्ग में स्थित तुम्हारे परम पिता की महिमा का बखान करें।

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भजन संहिता 133:1

परमेश्वर के भक्त मिल जुलकर शांति से रहे। यह सचमुच भला है, और सुखदायी है।

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रोमियों 12:2

अब और आगे इस दुनिया की रीति पर मत चलो बल्कि अपने मनों को नया करके अपने आप को बदल डालो ताकि तुम्हें पता चल जाये कि परमेश्वर तुम्हारे लिए क्या चाहता है। यानी जो उत्तम है, जो उसे भाता है और जो सम्पूर्ण है।

अध्याय   |  संस्करणों प्रतिलिपि
कुलुस्सियों 2:2

ताकि उनके मन को प्रोत्साहन मिले और वे परस्पर प्रेम में बँध जायें। तथा विश्वास का वह सम्पूर्ण धन जो सच्चे ज्ञान से प्राप्त होता है, उन्हें मिल जाये तथा परमेश्वर का रहस्यपूर्ण सत्य उन्हें प्राप्त हो वह रहस्यपूर्ण सत्य स्वयं मसीह है।

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नीतिवचन 11:30

धर्मी का कर्म—फल “जीवन का वृक्ष” है, और जो जन मनों को जीत लेता है, वही बुद्धिमान है।

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श्रेष्ठगीत 4:10

मेरी संगिनी, हे मेरी दुल्हिन, तेरा प्रेम कितना सुन्दर है! तेरा प्रेम दाखमधु से अधिक उत्तम है; तेरी इत्र की सुगन्ध किसी भी सुगन्ध से उत्तम है!

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इब्रानियों 13:4

विवाह का सब को आदर करना चाहिए। विवाह की सेज को पवित्र रखो। क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों और दुराचारियों को दण्ड देगा।

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नीतिवचन 17:17

मित्र तो सदा—सर्वदा प्रेम करता है बुरे दिनों को काम आने का बंधु बन जाता है।

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1 यूहन्ना 4:7

हे प्यारे मित्रों, हम परस्पर प्रेम करें। क्योंकि प्रेम परमेश्वर से मिलता है और हर कोई जो प्रेम करता है, वह परमेश्वर की सन्तान बन गया है और परमेश्वर को जानता है।

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भजन संहिता 145:18

जो लोग यहोवा की उपासना करते हैं, यहोवा उनके निकट रहता है। सचमुच जो उसकी उपासना करते है, यहोवा हर उस व्यक्ति के निकट रहता है।

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मत्ती 19:4-6

उत्तर देते हुए यीशु ने कहा, “क्या तुमने शास्त्र में नहीं पढ़ा कि जगत को रचने वाले ने प्रारम्भ में, ‘उन्हें एक स्त्री और एक पुरुष के रूप में रचा था?’ और कहा था ‘इसी कारण अपने माता-पिता को छोड़ कर पुरुष अपनी पत्नी के साथ दो होते हुए भी एक शरीर होकर रहेगा।’ सो वे दो नहीं रहते बल्कि एक रूप हो जाते हैं। इसलिए जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है उसे किसी भी मनुष्य को अलग नहीं करना चाहिये।”

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नीतिवचन 15:16

बैचेनी के साथ प्रचुर धन उत्तम नहीं, यहोवा का भय मानते रहने से थोड़ा भी धन उत्तम है।

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भजन संहिता 37:3-5

यदि तू यहोवा पर भरोसा रखेगा और भले काम करेगा तो तू जीवित रहेगा और उन वस्तुओं का भोग करेगा जो धरती देती है। भला मनुष्य तो खरी सलाह देता है। उसका न्याय सबके लिये निष्पक्ष होता है। सज्जन के हृदय (मन) में यहोवा के उपदेश बसे हैं। वह सीधे मार्ग पर चलना नहीं छोड़ता। किन्तु दुर्जन सज्जन को दु:ख पहुँचाने का रास्ता ढूँढता रहता है, और दुर्जन सज्जन को मारने का यत्न करते हैं। किन्तु यहोवा दुर्जनों को मुक्त नहीं छोड़ेगा। वह सज्जन को अपराधी नहीं ठहरने देगा। यहोवा की सहायता की बाट जोहते रहो। यहोवा का अनुसरण करते रहो। दुर्जन नष्ट होंगे। यहोवा तुझको महत्वपूर्ण बनायेगा। तू वह धरती पाएगा जिसे देने का यहोवा ने वचन दिया है। मैंने दुष्ट को बलशाली देखा है। मैंने उसे मजबूत और स्वस्थ वृक्ष की तरह शक्तिशाली देखा। किन्तु वे फिर मिट गए। मेरे ढूँढने पर उनका पता तक नहीं मिला। सच्चे और खरे बनो, क्योंकि इसी से शांति मिलती है। जो लोग व्यवस्था नियम तोड़ते हैं नष्ट किये जायेंगे। यहोवा नेक मनुष्यों की रक्षा करता है। सज्जनों पर जब विपत्ति पड़ती है तब यहोवा उनकी शक्ति बन जाता है। यहोवा की सेवा में आनन्द लेता रह, और यहोवा तुझे तेरा मन चाहा देगा। यहोवा नेक जनों को सहारा देता है, और उनकी रक्षा करता है। सज्जन यहोवा की शरण में आते हैं और यहोवा उनको दुर्जनों से बचा लेता है। यहोवा के भरोसे रह। उसका विश्वास कर। वह वैसा करेगा जैसे करना चाहिए।

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श्रेष्ठगीत 7:10

मैं अपने प्रियतम की हूँ और वह मुझे चाहता है।

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1 कुरिन्थियों 6:13

कहा जाता है, “भोजन पेट के लिये और पेट भोजन के लिये है।” किन्तु परमेश्वर इन दोनों को ही समाप्त कर देगा। और हमारे शरीर भी तो यौन-अनाचार के लिये नहीं हैं बल्कि प्रभु की सेवा के लिये हैं। और प्रभु हमारी देह के कल्याण के लिये है।

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इफिसियों 5:1-2

प्यारे बच्चों के समान परमेश्वर का अनुकरण करो। हर समय यह जानने का जतन करते रहो कि परमेश्वर को क्या भाता है। ऐसे काम जो अधंकारपूर्ण है, उन बेकार के कामों में हिस्सा मत बटाओ बल्कि उनका भाँडा-फोड़ करो। क्योंकि ऐसे काम जिन्हें वे गुपचुप करते हैं, उनके बारे में की गयी चर्चा तक लज्जा की बात है। ज्योति जब प्रकाशित होती है तो सब कुछ दृश्यमान हो जाता है और जो कुछ दृश्यमान हो जाता है, वह स्वयं ज्योति ही बन जाता है। इसीलिए हमारा भजन कहता है: “अरे जाग, हे सोने वाले! मृतकों में से जी उठ बैठ, तेरे ही सिर स्वयं मसीह प्रकाशित होगा।” इसलिए सावधानी के साथ देखते रहो कि तुम कैसा जीवन जी रहे हो। विवेकहीन का सा आचरण मत करो, बल्कि बुद्धिमान का सा आचरण करो। जो हर अवसर का अच्छे कर्म करने के लिये पूरा-पूरा उपयोग करते हैं, क्योंकि ये दिन बुरे हैं इसलिए मूर्ख मत बनो बल्कि यह जानो कि प्रभु की इच्छा क्या है। मदिरा पान करके मतवाले मत बने रहो क्योंकि इससे कामुकता पैदा होती है। इसके विपरीत आत्मा से परिपूर्ण हो जाओ। आपस में भजनों, स्तुतियों और आध्यात्मिक गीतों का, परस्पर आदानप्रदान करते रहो। अपने मन में प्रभु के लिए गीत गाते उसकी स्तुति करते रहो। प्रेम के साथ जीओ। ठीक वैसे ही जैसे मसीह ने हमसे प्रेम किया है और अपने आप को मधुर-गंध-भेंट के रूप में, हमारे लिए परमेश्वर को अर्पित कर दिया है।

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गलातियों 5:22

जबकि पवित्र आत्मा, प्रेम, प्रसन्नता, शांति, धीरज, दयालुता, नेकी, विश्वास,

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नीतिवचन 21:21

जो जन नेकी और प्रेम का पालन करता है, वह जीवन, सम्पन्नता और समादर को प्राप्त करता है।

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कुलुस्सियों 3:12-14

क्योंकि तुम परमेश्वर के चुने हुए पवित्र और प्रियजन हो इसलिए सहानुभूति, दया, नम्रता, कोमलता और धीरज को धारण करो। तुम्हें आपस में जब कभी किसी से कोई कष्ट हो तो एक दूसरे की सह लो और परस्पर एक दूसरे को मुक्त भाव से क्षमा कर दो। तुम्हें आपस में एक दूसरे को ऐसे ही क्षमा कर देना चाहिए जैसे परमेश्वर ने तुम्हें मुक्त भाव से क्षमा कर दिया। इन बातों के अतिरिक्त प्रेम को धारण करो। प्रेम ही सब को आपस में बाँधता और परिपूर्ण करता है।

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भजन संहिता 118:24

यहोवा ने आज के दिन को बनाया है। आओ हम हर्ष का अनुभव करें और आज आनन्दित हो जाये!

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उत्पत्ति 2:23-24

और मनुष्य ने कहा, “अन्तत! हमारे समाने एक व्यक्ति। इसकी हड्डियाँ मेरी हड्डियों से आईं इसका शरीर मेरे शरीर से आया। क्योंकि यह मनुष्य से निकाली गई, इसलिए मैं इसे स्त्री कहूँगा।” इसलिए पुरुष अपने माता—पिता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन हो जाएंगे।

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नीतिवचन 30:18-19

तीन बातें ऐसी हैं जो मुझे अति विचित्र लगती, और चौथी ऐसी जिसे में समझ नहीं पाता। आकाश में उड़ते हुए गरूड़ का मार्ग, और लीक नाग की जो चट्टान पर चला; और महासागर पर चलते जहाज़ की राह और उस पुरुष का मार्ग जो किसी कामिनी के प्रेम में बंधा हो।

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मत्ती 7:7-8

“परमेश्वर से माँगते रहो, तुम्हें दिया जायेगा। खोजते रहो तुम्हें प्राप्त होगा खटखटाते रहो तुम्हारे लिए द्वार खोल दिया जायेगा। क्योंकि हर कोई जो माँगता ही रहता है, प्राप्त करता है। जो खोजता है पा जाता है और जो खटखटाता ही रहता है उसके लिए द्वार खोल दिया जाएगा।

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भजन संहिता 37:9

क्योंकि बुरे लोगों को तो नष्ट किया जायेगा। किन्तु वे लोग जो यहोवा पर भरोसे हैं, उस धरती को पायेंगे जिसे देने का परमेश्वर ने वचन दिया।

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रोमियों 15:1-2

हम जो आत्मिक रूप से शक्तिशाली हैं, उन्हें उनकी दुर्बलता सहनी चाहिये जो शक्तिशाली नहीं हैं। हम बस अपने आपको ही प्रसन्न न करें। और यह भी कहा गया है, “हे ग़ैर यहूदियो, परमेश्वर के चुने हुए लोगों के साथ प्रसन्न रहो।” और फिर शास्त्र यह भी कहता है, “हे ग़ैर यहूदी लोगो, तुम प्रभु की स्तुति करो। और सभी जातियो, परमेश्वर की स्तुति करो।” और फिर यशायाह भी कहता है, “यिशै का एक वंशज प्रकट होगा जो ग़ैर यहूदियों के शासक के रूप में उभरेगा। ग़ैर यहूदी उस पर अपनी आशा लगाएँगे।” सभी आशाओं का स्रोत परमेश्वर, तुम्हें सम्पूर्ण आनन्द और शांति से भर दे जैसा कि उसमें तुम्हारा विश्वास है। ताकि पवित्र आत्मा की शक्ति से तुम आशा से भरपूर हो जाओ। हे मेरे भाईयों, मुझे स्वयं तुम पर भरोसा है कि तुम नेकी से भरे हो और ज्ञान से परिपूर्ण हो। तुम एक दूसरे को शिक्षा दे सकते हो। किन्तु तुम्हें फिर से याद दिलाने के लिये मैंने कुछ विषयों के बारे में साफ साफ लिखा है। मैंने परमेश्वर का जो अनुग्रह मुझे मिला है, उसके कारण यह किया है। यानी मैं ग़ैर यहूदियों के लिए यीशु मसीह का सेवक बन कर परमेश्वर के सुसमाचार के लिए एक याजक के रूप में काम करूँ ताकि ग़ैर यहूदी परमेश्वर के आगे स्वीकार करने योग्य भेंट बन सकें और पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर के लिये पूरी तरह पवित्र बनें। सो मसीह यीशु में एक व्यक्ति के रूप में परमेश्वर के प्रति अपनी सेवा का मुझे गर्व है। क्योंकि मैं बस उन्हीं बातों को कहने का साहस रखता हूँ जिन्हें मसीह ने ग़ैर यहूदियों को परमेश्वर की आज्ञा मानने का रास्ता दिखाने का काम मेरे वचनों, मेरे कर्मों, आश्चर्य चिन्हों और अद्भुत कामों की शक्ति और परमेश्वर की आत्मा के सामर्थ्य से, मेरे द्वारा पूरा किया। सो यरूशलेम से लेकर इल्लुरिकुम के चारों ओर मसीह के सुसमाचार के उपदेश का काम मैंने पूरा किया। हम में से हर एक, दूसरों की अच्छाइयों के लिए इस भावना के साथ कि उनकी आत्मिक बढ़ोतरी हो, उन्हें प्रसन्न करे।

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1 कुरिन्थियों 10:31

इसलिए चाहे तुम खाओ, चाहे पिओ, चाहे कुछ और करो, बस सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये करो।

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नीतिवचन 25:24

झगड़ालू पत्नी के साथ घर में रहने से छत के किसी कोने पर रहना उत्तम है।

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1 पतरस 1:22

अब देखो जब तुमने सत्य का पालन करते हुए, सच्चे भाईचारे के प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए अपने आत्मा को पवित्र कर लिया है तो पवित्र मन से तीव्रता के साथ परस्पर प्रेम करने को अपना लक्ष्य बना लो।

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भजन संहिता 119:32

मैं तेरे आदेशों का पालन प्रसन्नता के संग किया करूँगा। हे यहोवा, तेरे आदेश मुझे अति प्रसन्न करते हैं।

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गलातियों 5:13

किन्तु भाईयों, तुम्हें परमेश्वर ने स्वतन्त्र रहने को चुना है। किन्तु उस स्वतन्त्रता को अपने आप पूर्ण स्वभाव की पूर्ति का साधन मत बनने दो, इसके विपरीत प्रेम के कारण परस्पर एक दूसरे की सेवा करो।

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मत्ती 12:34

अरे ओ साँप के बच्चो! जब तुम बुरे हो तो अच्छी बातें कैसे कह सकते हो? व्यक्ति के शब्द, जो उसके मन में भरा है, उसी से निकलते हैं।

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भजन संहिता 37:5

यहोवा के भरोसे रह। उसका विश्वास कर। वह वैसा करेगा जैसे करना चाहिए।

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फिलिप्पियों 2:3

ईर्ष्या और बेकार के अहंकार से कुछ मत करो। बल्कि नम्र बनो तथा दूसरों को अपने से उत्तम समझो।

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श्रेष्ठगीत 4:7

मेरी प्रिये, तू पूरी की पूरी सुन्दर हो। तुझ पर कहीं कोई धब्बा नहीं है!

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ईश्वर से प्रार्थना

हे परमपिता परमात्मा, मैं आपकी स्तुति करता/करती हूँ, आपके नाम की महिमा करता/करती हूँ क्योंकि आप भले हैं! प्रभु यीशु के नाम से मैं आपके चरणों में आता/आती हूँ, इस रिश्ते के लिए प्रार्थना करने, जो मेरे भावी जीवनसाथी के साथ है। हे प्रभु, आप जो हमारे हृदय की सच्ची इच्छाओं का ध्यान रखते हैं और उन्हें पूरा करते हैं, मैं आपसे विनती करता/करती हूँ कि आप हमारे इस रिश्ते को अपने हाथों में थामें रखें। मेरी परमेश्वर, मेरी इच्छा है कि यह रिश्ता जीवन भर बना रहे, ताकि हम साथ मिलकर आपके राज्य के प्रति कृतज्ञता और प्रेम से आपकी सेवा और सम्मान कर सकें। हमें सबसे पहले आपसे प्रेम करना सिखाएँ, प्रभु, हमेशा आपको प्रसन्न करते रहें ताकि हमें हर दिन आपका आशीर्वाद और कृपा प्राप्त हो। हमारे हृदयों को अपने हृदय से मिला दीजिये, प्रभु, ताकि हम आप में एक हो जाएँ। हमें एक-दूसरे का सम्मान और आदर करना सिखाएँ, आपके उस प्रेम के माध्यम से जो सच्चा और अटल है, जिसे न तो बहुत से पानी बुझा सकते हैं, न ही नदियाँ डुबा सकती हैं। प्रभु, आपके वचन में लिखा है: "मेरे प्यारे बच्चो, हम प्रेम केवल बातों या शब्दों से नहीं, बल्कि कामों और सच्चाई से करें।" हमें अपने साथ मिलकर एक परिवार बनाने की कृपा करें। हमारा रिश्ता आपके हाथों में सुरक्षित है, हे प्रभु। यीशु के नाम में, आमीन!
हमारे पर का पालन करें:

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