किन्तु यहोवा इससे भिन्न है! यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में रहता है। इसलिये यहोवा के सामने सम्पूर्ण पृथ्वी धरती को चुप रह कर उसके प्रति आदर प्रकट करना चाहिए।
यहोवा अपने विशाल पवित्र मन्दिर में विराजा है। यहोवा स्वर्ग में अपने सिंहासन पर बैठता है। यहोवा सब कुछ देखता है, जो भी घटित होता है। यहोवा की आँखें लोगों की सज्जनता व दुर्जनता को परखने में लगी रहती हैं।
यहोवा कहा करता है, “सुदूरवर्ती देशों, चुप रहो और मेरे पास आओ! जातियों, फिर से सुदृढ़ बनों। मेरे पास आओ और मुझसे बातें करो। आपस में मिल कर हम निश्चय करें कि उचित क्या है।
जिस वर्ष राजा उज्जिय्याह की मृत्यु हुई, मैंने अपने अद्भुत स्वामी के दर्शन किये। वह एक बहुत ऊँचे सिंहासन पर विराजमान था। उसके लम्वे चोगे से मन्दिर भर गया था।
यहोवा यह कहता है, “आकाश मेरा सिंहासन है। धरती मेरे पाँव की चौकी बनी है। सो क्या तू यह सोचता है कि तू मेरे लिये भवन बना सकता है नहीं, तू नहीं बना सकता। क्या तू मुझको विश्रामस्थल दे सकता है नहीं, तू नहीं दे सकता।
सुनो तो, नगर और मन्दिर से एक ऊँची आवाज़ सुनाई दे रही है। यहोवा द्वारा अपने विरोधियों को, जो दण्ड दिया जा रहा है। वह आवाज उसी की है। यहोवा उन्हें वही दण्ड दे रहा है जो उन्हें मिलना चाहिये।
हे लोगों, तुम सभी सुनो! हे धरती और जो कुछ भी धरती पर है, सुन। मेरा स्वामी यहोवा इस पवित्र मन्दिर से जायेगा। मेरा स्वामी तुम्हारे विरोध में एक साक्षी के रूप में आयेगा।
मेरे स्वामी यहोवा के आगे चुप रह! क्यों क्योंकि लोगों को न्याय करने का यहोवा का दिन जल्द ही आ रहा है! यहोवा ने अपनी भेंट—बलि (यहूदा के लोग) तैयार कर ली है और उसने अपने बुलाये हुए मेहमानों (यहूदा के शत्रुओं) से तैयार करने के लिए कह दिया है।