हर समय हँसते रहना भी मूर्खता है। मनो विनोद से मेरा कोई भला नहीं हो सका।
हँसते हुए भी मन रोता रह सकता है, और आनन्द दुःख में बदल सकता है।
प्रसन्न चित रहना सबसे बड़ी दवा है, किन्तु बुझा मन हड्डियों को सुखा देता है।