तुम्हारा अधिकारी तुमसे रूष्ट है, बस इसी कारण से अपना काम कभी मत छोड़ो। यदि तुम शांत और सहायक बने रहो तो तुम बड़ी से बड़ी गलातियों को सुधार सकते हो।
क्रोधी जन मतभेद भड़काता रहता है, जबकि सहनशील जन झगड़े को शांत करता।
धैर्यपूर्ण बातों से राजा तक मनाये जाते और नम्र वाणी हड्डी तक तोड़ सकती हैं।
और देखो यह बात कुछ अलग ही है जिसे मैंने इस जीवन में देखा है। यह बात न्यायोचित भी नहीं है। यह वैसी भूल है जैसी शासक किया करते हैं।
राजा के आगे जल्दी मत करो। उसके सामने से हट जाओ। यदि हालात प्रतिकूल हो तो उसके इर्द—गिर्द मत रहो क्योंकि वह तो वही करेगा जो उसे अच्छा लगेगा।