तेरे उरोज ऐसे हैं जैसे किसी जवान कुरंगी के दो जुड़वा हिरण हो।
“नप्ताली स्वतन्त्र दौड़ने वाले हिरण की तरह है और उसकी बोली उनके सुन्दर बच्चों की तरह है।”
तेरी वह पत्नी, प्रियतमा, प्राणप्रिया, मनमोहक हिरणी सी तुझे सदा तृप्त करे। उसके माँसल उरोज और उसका प्रेम पाश तुझको बाँधे रहे।
तेरे दो स्तन जुड़वा बाल मृग जैसे हैं, जैसे जुड़वा कुरंग कुमुदों के बीच चरता हो।
तेरे दाँत ऐसे सफेद है जैसे मेंढ़े जो अभी—अभी नहा कर निकली हों। वे सभी जुड़वा बच्चों को जन्म दिया करती हैं और उनमें से किसी का भी बच्चा नहीं मरा है।
तेरी नाभि ऐसी गोल है जैसे कोई कटोरा, इसमें तू दाखमधु भर जाने दे। तेरा पेट ऐसा है जैसे गेहूँ की ढेरी जिसकी सीमाएं घिरी हों कुमुदिनी की पंक्तियों से।