यहोवा परमेश्वर ने हर एक सुन्दर पेड़ और भोजन के लिए सभी अच्छे पेड़ों को उस बाग में उगाया। बाग के बीच में परमेश्वर ने जीवन के पेड़ को रखा और उस पेड़ को भी रखा जो अच्छे और बुरे की जानकारी देता है।
मेरी संगिनी, हे मेरी दुल्हिन, मैंने अपने उपवन में अपनी सुगध सामग्री के साथ प्रवेश किया। मैंने अपना रसगंध एकत्र किया है। मैं अपना मधु छत्ता समेत खा चुका। मैं अपना दाखमधु और अपना दूध पी चुका। हे मित्रों, खाओ, हाँ प्रेमियों, पियो! प्रेम के दाखमधु से मस्त हो जाओ!
हम बहुत शीघ्र उठें और अंगूर के बागों में निकल जायें। आ, हम वहाँ देखें क्या अंगूर की बेलों पर कलियाँ खिल रही हैं। आ, हम देखें क्या बहारें खिल गयी हैं और क्या अनार की कलियाँ चटक रही हैं। वहीं पर मैं अपना प्रेम तुझे अर्पण करूँगी।
थोड़ी दूर पर उसे अंजीर का एक हरा भरा पेड़ दिखाई दिया। यह देखने के लिये वह पेड़ के पास पहुँचा कि कहीं उसे उसी पर कुछ मिल जाये। किन्तु जब वह वहाँ पहुँचा तो उसे पत्तों के सिवाय कुछ न मिला क्योंकि अंजीरों की ऋतु नहीं थी।
इस पर उसने माली से कहा, ‘अब देख मैं तीन साल से अंजीर के इस पेड़ पर फल ढूँढ़ता आ रहा हूँ किन्तु मुझे एक भी फल नहीं मिला। सो इसे काट डाल। यह धरती को यूँ ही व्यर्थ क्यों करता रहे?’
“तुमने मुझे नहीं चुना, बल्कि मैंने तुम्हें चुना है और नियत किया है कि तुम जाओ और सफल बनो। मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी सफलता बनी रहे ताकि मेरे नाम में जो कुछ तुम चाहो, परम पिता तुम्हें दे।
कुछ दिनों बाद बरनाबास से पौलुस ने कहा, “आओ, जिन-जिन नगरों में हमनें प्रभु के वचन का प्रचार किया है, वहाँ अपने भाइयों के पास वापस चल कर यह देखें कि वे क्या कुछ कर रहे हैं।”