यहोवा तुमसे क्यों प्रेम करता है और तुम्हें उसने क्यों चुना? इसलिए नहीं कि अन्य लोगों की तुलना में तुम्हारी संख्या बहुत अधिक है। तुम सभी लोगों में सबसे कम थे।
हमारे पूर्वजों ने यह धरती अपने तलवारों के बल नहीं ली थी। अपने भुजदण्डों के बल पर विजयी नहीं हुए। यह इसलिए हुआ था क्योंकि तू हमारे पूर्वजों के साथ था। हे परमेश्वर, तेरी महान शक्ति ने हमारे पूर्वजों की रक्षा की। क्योंकि तू उनसे प्रेम किया करता था!
इब्राहीम तुम्हारा पिता है और तुम्हें उसी की ओर देखना चाहिये। तुम्हें सारा की ओर निहारना चाहिये क्योंकि सारा ही वह स्त्री है जिसने तुम्हें जन्म दिया है। इब्राहीम को जब मैंने बुलाया था, वह अकेला था। तब मैंने उसे वरदान दिया था और उसने एक बड़े परिवार की शुरूआत की थी। उससे अनगिनत लोगों ने जन्म लिया।”
तुम्हें उनसे कहना चाहिए, ‘मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है: जिस दिन मैंने इस्राएल को चुना, मैंने अपना हाथ याकूब के परिवार के ऊपर उठाया और मैंने मिस्र देश में उनसे एक प्रतिज्ञा की। मैंने अपना हाथ उठाया और कहा: “मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”
अत: इस्राएल के परिवार से कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है, ‘इस्राएल के परिवार, तुम जहाँ गए वहाँ तुमने मेरे पवित्र नाम को बदनाम किया। इसे रोकने के लिये मैं कुछ करने जा रहा हूँ। मैं यह तुम्हारे लिये नहीं करूँगा। इस्राएल, मैं इसे अपने पवित्र नाम के लिये करूँगा।
और यदि यह परमेश्वर के अनुग्रह का परिणाम है तो लोग जो कर्म करते हैं, यह उन कर्मों का परिणाम नहीं है। नहीं तो परमेश्वर की अनुग्रह, अनुग्रह ही नहीं ठहरती।
जब तुम्हारे पूर्वज मिस्र गए थे तो केवल सत्तर थे। अब यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें बहुत अधिक लोगों के रूप में इतना बढ़ा दिया है जितने आकाश में तारे हैं।
क्यों? क्योंकि तुम अन्य लोगों से भिन्न हो। तुम यहोवा अपने परमेश्वर के विशेष लोग हो। उसने संसार के सभी लोगों में से, तुम्हें अपने विशेष लोगों के रूप मे चुना है।
“यहोवा तुम्हारे पूर्वजों से प्यार करता था। यही कारण था कि उसने उनके वंशजों अर्थात् तुमको चुना और यही कारण है कि यहोवा तुम्हें मिस्र से बाहर लाया। वह तुम्हारे साथ था और अपनी बड़ी शक्ति से तुम्हें बाहर लाया।
विचार कर देखो कि परम पिता ने हम पर कितना महान प्रेम दर्शाया है! ताकि हम उसके पुत्र-पुत्री कहला सकें और वास्तव में वे हम हैं ही। इसलिए संसार हमें नहीं पहचानता क्योंकि वह मसीह को नहीं पहचानता।
सच्चा प्रेम इसमें नहीं है कि हमने परमेश्वर से प्रेम किया है, बल्कि इसमें है कि एक ऐसे बलिदान के रूप में जो हमारे पापों को धारण कर लेता है, उसने अपने पुत्र को भेज कर हमारे प्रति अपना प्रेम दर्शाया है।