अँगूर की बेलें सूख रहीं है। शाखाएँ कट कर गिर रही हैं और स्त्रियाँ उन शाखाओं से धन का काम ले रही हैं। लोग इसे समझ नहीं रहे हैं। इसीलिए उनका स्वामी परमेश्वर उन्हें चैन नहीं देगा। उनका रचयिता उनके प्रति दयालु नहीं होगा।
सो मैं इन लोगों को शक्ति से पूर्ण और अचरज भरी बातें करते हुए आश्चर्यचकित करता रहूँगा। उनके बुद्धिमान पुरुष अपना विवेक छोड़ बैठेंगे। उनके बुद्धिमान पुरुष समझने में असमर्थ हो जायेंगे।”
परमेश्वर ने कहा, “मेरे लोग मूर्ख हैं। वे मुझे नहीं जानते। वे बेवकूफ बच्चे हैं। वे समझते नहीं। वे पाप करने में दक्ष हैं, किन्तु वे अच्छा करना नहीं जानते।” विनाश आ रहा है
उन “चतुर लोगों” ने यहोवा की शिक्षा अनसुनी की है अत: सचमुच वे वास्तव में बुद्धिमान लोग नहीं हैं। वे “चतुर लोग” जाल में फँसाये गए। वे काँप उठे और लज्जित हुए।
“मेरी प्रजा का विनाश हुआ क्योंकि उनके पास कोई ज्ञान नहीं था किन्तु तुमने तो सीखने से ही मना कर दिया। सो मैं तुम्हें अपना याजक बनने का निषेध कर दूँगा। तुमने अपने परमेश्वर के विधान को भुला दिया है। इसलिये मैं तुम्हारी संतानों को भूल जाऊँगा।
हे भाईयों! मैं तुम्हें इस छिपे हुए सत्य से अंजान नहीं रखना चाहता, कि तुम अपने आप को बुद्धिमान समझने लगो कि इस्राएल के कुछ लोग ऐसे ही कठोर बना दिए गए हैं और ऐसे ही कठोर बने रहेंगे जब तक कि काफी ग़ैर यहूदी परमेश्वर के परिवार के अंग नहीं बन जाते।