“न्याय के दिन दक्षिण की रानी इस पीढ़ी के लोगों के साथ खड़ी होगी और उन्हें अपराधी ठहरायेगी, क्योंकि वह धरती के दूसरे छोर से सुलेमान का उपदेश सुनने आयी थी और यहाँ तो कोई सुलेमान से भी बड़ा मौजूद है!
उस खाने के लिये परिश्रम मत करो जो सड़ जाता है बल्कि उसके लिये जतन करो जो सदा उत्तम बना रहता है और अनन्त जीवन देता है, जिसे तुम्हें मानव-पुत्र देगा। क्योंकि परमपिता परमेश्वर ने अपनी मोहर उसी पर लगायी है।”
वे बोले, “हमें सेनानायक कुरनेलियुस ने भेजा है। वह परमेश्वर से डरने वाला नेक पुरुष है। यहूदी लोगों में उसका बहुत सम्मान है। उससे पवित्र स्वर्गदूत ने तुझे अपने घर बुलाने का निमन्त्रण देने को और जो कुछ तू कहे उसे सुनने को कहा है।”
इसीलिए मैंने तुरंत तुझे बुलवा भेजा और तूने यहाँ आने की कृपा करके बहुत अच्छा किया। सो अब प्रभु ने जो कुछ आदेश तुझे दिये हैं, उस सब कुछ को सुनने के लिये हम सब यहाँ परमेश्वर के सामने उपस्थित हैं।”
यह आदेश स्वर्ग में नहीं है जिससे तुम्हें कहना पड़े, ‘हम लोगों के लिये स्वर्ग में कौन जाएगा और उसे हम लोगों के पास लाएगा जिससे हम उसे सुन सकें और उसका अनुसरण कर सकें?’