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क्रॉस रेफरेंस
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व्यवस्थाविवरण 3:17

पवित्र बाइबल

यरदन घाटी में यरदन नदी पश्चिम सीमा निर्मित करती है। इस क्षेत्र के उत्तर में किन्नेरेत झील और दक्षिण में अराबा सागर है (जिसे लवण सागर कहते हैं।) यह पूर्व में पिसगा की चोटी के तलहटी में स्थित है।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

16 क्रॉस रेफरेंस  

लूत ने निगाह दौड़ाई और यरदन की घाटी को देखा। लूत ने देखा कि वहाँ बहुत पानी है। (यह बात उस समय की है जब यहोवा ने सदोम और अमोरा को नष्ट नहीं किया था। उस समय यरदन की घाटी सोअर तक यहोवा के बाग की तरह पूरे रास्ते के साथ—साथ फैली थी। यह प्रदेश मिस्र देश की तरह अच्छा था।)

सिद्दीम की घाटी में ये सभी राजा अपनी सेनाओं से मिले। (सिद्दीम की घाटी आज—कल लवण सागर है।)

यारोबाम ने इस्राएल की उस भूमि को जो सिवाना हमात से अराबा सागर (मृत सागर) तक जाती थी, वापस लिया। यह वैसा ही हुआ जैसा इस्राएल के यहोवा ने अपने सेवक गथेपेर के नबी, अमित्तै के पुत्र योना से कहा था।

उस व्यक्ति ने मुझसे कहा, “यह पानी पूर्व को अरबा घाटी की तरफ नीचे बहता है। पानी मृत सागर में पहुँचता है। उस सागर में पानी स्वच्छ और ताजा हो जाता है।

इसलिए बालाक बिलाम को सोपीम के मैदान में ले गया। यह पिसगा पर्वत की चोटी पर था। बालाक ने उस स्थान पर सात वेदियाँ बनाईं। तब बालाक ने हर एक वेदी पर बलि के रूप में एक बैल और एक मेढ़ा मारा।

बात यूँ हुई कि भीड़ में लोग यीशु को चारों ओर से घेर कर जब परमेश्वर का वचन सुन रहे थे और वह गन्नेसरत नामक झील के किनारे खड़ा था।

इस प्रदेश में यरदन नदी के पूर्व का पूरा अराबा सम्मिलित था। दक्षिण में यह अराबा सागर तक पहुँचता था और पूर्व में पिसगा पर्वत के चरण तक पहुँचता था।)

वह गिलगाल से मृत सागर (खारा सागर) तक यरदन के पूर्व के प्रदेश पर भी शासन करता था और बेत्यशीमोत से दक्षिण पिसगा की पहाड़ियों तक शासन करता था।

इसमें बेथारम की घाटी, बेत्रिम्रा, सुक्कोत और सापोन सम्मिलित थे। बाकी का वह सारा प्रदेश जिस पर हेशबोन के राजा सीहोन ने शासन किया था, इसमें सम्मिलित था। यह भूमि यरदन नदी के पूर्व की ओर है। यह भूमि लगातार गलील झील के अन्त तक फैली है।

यहूदा के प्रदेश की दक्षिणी सीमा मृत सागर के दक्षिणी छोर से आरम्भ होती थी।

पूर्वी सीमा मृत सागर (खारा समुद्र) के तट से लेकर उस क्षेत्र तक थी, जहाँ यरदन नदी समुद्र में गिरती थी। उत्तरी सीमा उस क्षेत्र से आरम्भ होती थी जहाँ यरदन नदी मृत सागर में गिरती थी।

तब यह सीमा बेथोग्ला के उत्तरी भाग को जाकर, लवण सागर के उत्तरी तट पर समाप्त हुई। यह वही स्थान है जहाँ यरदन नदी समुद्र में गिरती है। यह दक्षिणी सीमा थी।

इस सीमा के भीतर कुछ बहुत शक्तिशाली नगर थे। ये नगर सिद्दीम, सेर, हम्मत, रक्कत, किन्नेरेत,

और उस समय पानी का बहना बन्द हो गया। पानी उस स्थान के पीछे बांध की तरह खड़ा हो गया। नदी के चढ़ाव की ओर लम्बी दूरी तक पानी लगातार आदाम तक (सारतान के समीप एक नगर) ऊँचा खड़ा होता चला गया। लोगों ने यरीहो के पास नदी को पार किया।




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