तुम में से हर एक को अब यहोवा से डरना चाहिए। जो करो उसमें सावधान रहो क्योंकि हमारा यहोवा परमेश्वर न्यायी है। वह किसी व्यक्ति को अन्य व्यक्ति से अधिक महत्वपूर्ण मानकर व्यवहार नही करता। वह अपने निर्णय को बदलने के लिये धन नही लेता।”
यहोवा उन परदेशियों की रक्षा किया करता है जो हमारे देश में बसे हैं। यहोवा अनाथों और विधवाओं का ध्यान रखता है किन्तु यहोवा दुर्जनों के कुचक्र को नष्ट करता हैं।
जिसका कोई घर नहीं होता, ऐसे अकेले जन को परमेश्वर घर देता है। निज भक्तों को परमेश्वर बंधन मुक्त करता है। वे अति प्रसन्न रहते हैं। किन्तु जो परमेश्वर के विरूद्ध होते, उनको तपती हुयी धरती पर रहना होगा।
अच्छे काम करना सीखो। दूसरे लोगों के साथ न्याय करो। जो लोग दूसरों को सताते हैं, उन्हें दण्ड दो। अनाथ बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष करो। जिन स्त्रियों के पति मर गये हैं, उन्हें न्याय दिलाने के लिए उनकी पैरवी करो।”
अश्शूर हमें बचा नहीं पायेगा। हम घोड़ों पर सवारी नहीं करेंगे। हम फिर अपने ही हाथों से बनाई हुई वस्तुओं को, “अपना परमेश्वार” नहीं कहेंगे। क्यों? क्योंकि बिना माँ—बाप के अनाथ बच्चों पर दया दिखाने वाला बस तू ही है।
ताकि तुम स्वर्ग में रहने वाले अपने पिता की सिद्ध संतान बन सको। क्योंकि वह बुरों और भलों सब पर सूर्य का प्रकाश चमकाता है। पापियों और धर्मियों, सब पर वर्षा कराता है।
किन्तु तुम्हें उसने स्वयं अपनी साक्षी दिये बिना नहीं छोड़ा। क्योंकि उसने तुम्हारे साथ भलाइयाँ की। उसने तुम्हें आकाश से वर्षा दी और ऋतु के अनुसार फसलें दी। वही तुम्हें भोजन देता है और तुम्हारे मन को आनन्द से भर देता है।”