लोग चिल्लाकर कहते थे, “दूर हटो! दूर हटो! तुम अस्वच्छ हो, हमको मत छूओ।” वे लोग इधर—उधर यूं ही फिरा करते थे। उनके पास कोई घर नहीं था। दूसरी जातियों के लोग कहते थे, “हम नहीं चाहते कि वे हमारे पास रहें।”
बहुत कष्ट सहने के बाद यहूदा बंधुआ बन गयी। बहुत मेहनत के बाद भी यहूदा दूसरे देशों के बीच रहती है, किन्तु उसने विश्राम नहीं पाया है। जो लोग उसके पीछे पड़े थे, उन्होंने उसको पकड़ लिया। उन्होंने उसको संकरी घाटियों के बीच में पकड़ लिया।