मनश्शे ने परमेश्वर से प्रार्थना की और परमेश्वर से सहायता की याचना की। यहोवा ने मनश्शे की याचना सुनी और उसे उस पर दया आई। यहोवा ने उसे यरूशलेम अपने सिंहासन पर लौटने दिया। तब मनश्शे ने समझा कि यहोवा सच्चा परमेश्वर है।
मनश्शे ने कैसे प्रार्थना की और परमेश्वर ने वह कैसे सुनी और उस पर दया की, यह दृष्टाओं की पुस्तक में लिखा है। मनश्शे के सभी पाप और बुराईयाँ जो उसने स्वयं को विनम्र करने से पूर्व कीं और वे स्थान जहाँ उसने उच्च स्थान बनाए और अशेरा—स्तम्भ खड़े किये, दृष्टाओं की पुस्तक में लिखे हैं।
“हिजकिय्याह के पास जा और उससे कह दे: ये बातें वे हैं जिन्हें तुम्हारे पिता दाऊद का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मैंने तेरी प्रार्थना सुनी है और तेरे दु:ख भरे आँसू देखे हैं। तेरे जीवन में मैं पन्द्रह वर्ष और जोड़ रहा हूँ।
“अब, हे यहोवा, तू मेरी प्रार्थना सुन ले। मैं तेरा दास हूँ। सहायता के लिये मेरी विनती सुन। अपने पवित्र स्थान के लिए तू अच्छी बातें कर। वह भवन नष्ट कर दिया गया था। किन्तु हे स्वामी, तू स्वयं अपने भले के लिए इन भली बातों को कर।
ऐसे ही जैसे हम कराहते हैं, आत्मा हमारी दुर्बलता में हमारी सहायता करने आती है क्योंकि हम नहीं जानते कि हम किसके लिये प्रार्थना करें। किन्तु आत्मा स्वयं ऐसी आहें भर कर जिनकी शब्दों में अभिव्यक्ति नहीं की जा सकती, हमारे लिए विनती करती है।