और जिन लोगों से वे नबी बातें करते हैं सड़कों पर फेंक दिये जाएंगे। वे लोग भूखों मरेंगे और शत्रु की तलवार के घाट उतारे जाएंगे। कोई व्यक्ति उनको या उनकी पत्नियों या उनके पुत्रों अथवा उनकी पुत्रियों को दफनाने को नहीं रहेगा। मैं उन्हें दण्ड दूँगा।
यदि मैं देश में जाता हूँ तो मैं उन लोगों को देखता हूँ जो तलवार के घाट उतारे गए हैं। यदि मैं नगर में जाता हूँ, मैं बहुत सी बीमारियाँ देखता हूँ, क्योंकि लोगों के पास भोजन नहीं है। याजक और नबी विदेश पहुँचा दिये गये हैं।’”
शत्रु अपनी सेना को नगर के चारों ओर लाएगा। वह सेना लोगों को भोजन लेने बाहर नहीं आने देगी। अत: नगर में लोग भूखों मरने लगेंगे। वे इतने भूखे हो जाएंगे कि अपने पुत्र और पुत्रियों के शरीर को खाने लगेंगे और तब वे एक दूसरे को खाने लगेंगे।’
यरूशलेम कहा करती है, “यहोवा तो न्यायशील है क्योंकि मैंने ही उस पर कान देना नकारा था। सो, हे सभी व्यक्तियों, सुनो! तुम मेरा कष्ट देखो! मेरे युवा स्त्री और पुरुष बंधुआ बना कर पकड़े गये हैं।
मेरे नयन आँसुओं से दु:ख रहे हैं! मेरा अंतरंग व्याकुल है! मेरे मन को ऐसा लगता है जैसे वह बाहर निकल कर धरती पर गिरा हो! मुझको इसलिये ऐसा लगता है कि मेरे अपने लोग नष्ट हुए हैं। सन्तानें और शिशु मूर्छित हो रहें हैं। वे नगर के गलियों और बाजारों में मूर्छित पड़े हैं।
नवयुवक और वृद्ध, नगर की गलियों में धरती पर पड़े रहें। मेरी युवा स्त्रियाँ, पुरुष और युवक तलवार के धार उतारे गये थे। हे यहोवा, तूने अपने क्रोध के दिन पर उनका वध किया है! तूने उन्हें बिना किसी करुणा के मारा है!