“मेरी शक्ति क्षीण हो चुकी है अत: जीते रहने की आशा मुझे नहीं है। मुझ को पता नहीं कि अंत में मेरे साथ क्या होगा इसलिये धीरज धरने का मेरे पास कोई कारण नहीं है।
मैं भयभीत था, और मैंने कहा था, “मैं तो ऐसे स्थान पर हूँ जहाँ मुझे परमेश्वर नहीं देख सकता है।” किन्तु हे परमेश्वर, मैंने तुझसे विनती की और तूने मेरी सहायता की पुकार सुन ली।
तब मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, ये हड्डियाँ इस्राएल के पूरे परिवार की तरह हैं! इस्राएल के लोग कहते है, हमारी हड्डियाँ सूख गई है, ‘हमारी आशा समाप्त है। हम पूरी तरह नष्ट किये जा चुके हैं।’
किन्तु दाऊद ने अपने मन में सोचा, “शाऊल मुझे किसी दिन पकड़ लेगा। सर्वोत्तम बात मैं यही कर सकता हूँ कि पलिश्तियों के देश में बच निकलूँ। तब शाऊल मेरी खोज इस्राएल में बन्द कर देगा। इस प्रकार मैं शाऊल से बच निकलूँगा।”