यदि मुझको कोई सफलता मिल जाये और मैं अभिमानी हो जाऊँ, तो तू मेरा पीछा वैसे करेगा जैसे सिंह के पीछे कोई शिकारी पड़ता है और फिर तू मेरे विरुद्ध अपनी शक्ति दिखायेगा।
दुष्ट जन सिंह के समान होते हैं जो उन पशुओं को पकड़ने की घात में रहते हैं। जिन्हें वे खा जायेंगे। दुष्ट जन दीन जनों पर प्रहार करते हैं। उनके बनाये गये जाल में असहाय दीन फँस जाते हैं।
क्योंकि मैं एप्रैम के हेतु सिंह सा बनूँगा और मैं यहूदा की जाति के लिये एक जवान सिंह बनूँगा। मैं—हाँ, मैं (यहोवा) उनके चिथड़े उड़ा दूँगा। मैं उनको दूर ले जाऊँगा, मुझसे कोई भी उनको बचा नहीं पायेगा।