यहाँ आने के पहले तुम लोग मिस्र में थे। तुम्हें वह नहीं करना चाहिए जो वहाँ हुआ करता था! मैं तुम लोगों को कनान ले जा रहा हूँ। तुम लोगों को वह नहीं करना है जो उस देश में किया जाता है!
इस्राएली वही सब करने लगे थे जो दूसरे राष्ट्र करते थे। यहोवा ने उन लोगों को अपना देश छोड़ने को विवश किया था जब इस्राएली आए थे। इस्राएलियों ने भी राजाओं से शासित होना पसन्द किया, परमेश्वर से शासित होना नहीं।
“उनके देवताओं को मत पूजो। उन देवताओं को झूककर कभी प्रणाम मत करो। तुम उस ढंग से कभी न रहो जिस ढंग से वे रहते हैं। तुम्हें उनकी मूर्तियों को निश्चय ही नष्ट कर देना चाहिए और तुम्हें उनके प्रस्तर पिण्ड़ों को तोड़ देना चाहिए जो उन्हें उनके देवताओं को याद दिलाने में सहायता करती हैं।
इसके अतिरिक्त उसने मिस्र से अपने प्रेम—व्यापार को भी बन्द नहीं किया। मिस्र ने उससे तब प्रेम किया जब वह किशोरी थी। मिस्र पहला प्रेमी था जिसने उसके नवजात स्तनों का स्पर्श किया। मिस्र ने उस पर अपने झूठे प्रेम की वर्षा की।
मैं अन्य लोगों को उस प्रदेश को छोड़ने के लिए विवश कर रहा हूँ। क्यों? क्योंकि उन लोगों ने वे सभी पाप किए। मैं उन पापों से घृणा करता हूँ। इसलिए जिस प्रकार वे लोग रहे, उस तरह तुम नहीं रहोगे।
अब और आगे इस दुनिया की रीति पर मत चलो बल्कि अपने मनों को नया करके अपने आप को बदल डालो ताकि तुम्हें पता चल जाये कि परमेश्वर तुम्हारे लिए क्या चाहता है। यानी जो उत्तम है, जो उसे भाता है और जो सम्पूर्ण है।
“यहोवा तुम्हारा परमेश्वर जब उन राष्ट्रों को बलपूर्वक तुमसे दूर हटा दे तो अपने मन में यह न कहना कि, ‘यहोवा हम लोगों को इस देश में रहने के लिए इसलिए लाया कि हम लोगों के रहने का ढंग उचित है।’ यहोवा ने उन राष्ट्रों को तुम लोगों से दूर बलपूर्वक क्यों हटाया? क्योंकि वे बुरे ढंग से रहते थे।