“धात त्याग करने वाला व्यक्ति यदि मिट्टी का कटोरा छूए तो वह कटोरा फोड़ देना चाहिए। यदि धात त्याग करने वाला व्यक्ति कोई लकड़ी का कटोरा छूए तो उस कटोरे को बहते पानी में अच्छी तरह धोना चाहिए।
यह सम्भव है कि धात त्याग करने वाल व्यक्ति पानी में हाथ धोए बिना किसी अनय् व्यक्ति को छूए। तब दूसरा व्यक्ति अपने वस्त्रों को धोए और बहते पानी में नहाए। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा।
उत्तम महीन आटे में तेल मिलाना चाहिए और उसे कड़ाही में भूनना चाहिए। जब यह भुन जाए तब इसे अन्दर लाना चाहिए। तुम्हें अन्नबलि का चूरमा बना लेना चाहिए। इस की सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी।
यदि पापबलि किसी मिट्टी के बर्तन में उबाली जाए तो उस बर्तन को फोड़ देना चाहिए। यदि पापबलि को काँसे के बर्तन में उबाला जाय तो बर्तन को माँजा जाए और पानी में धोया जाए।
क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी यह काया अर्थात् यह तम्बू जिसमें हम इस धरती पर रहते हैं गिरा दिया जाये तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग में एक चिरस्थायी भवन मिल जाता है जो मनुष्य के हाथों बना नहीं होता।