और जहाँ तक जो तुम बोते हो, उसका प्रश्न है, तो जो पौधा विकसित होता है, तुम उस भरेपुरे पौधे को तो धरती में नहीं बोते। बस केवल बीज बोते हो, चाहे वह गेहूँ का दाना हो और चाहे कुछ और।
तुमने नाशमान बीज से पुर्नजीवन प्राप्त नहीं किया है बल्कि यह उस बीज का परिणाम है जो अमर है। तुम्हारा पुर्नजन्म परमेश्वर के उस सुसंदेश से हुआ है जो सजीव और अटल है।
जो परमेश्वर की सन्तान बन गया, पाप नहीं करता रहता, क्योंकि उसका बीज तो उसी में रहता है। सो वह पाप करता नहीं रह सकता क्योंकि वह परमेश्वर की संतान बन चुका है।
हम जानते हैं कि जो कोई परमेश्वर का पुत्र बन गया, वह पाप नहीं करता रहता। बल्कि परमेश्वर का पुत्र उसकी रक्षा करता रहता है। वह दुष्ट उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता।