तब मूसा पर्वत के ऊपर परमेश्वर के पास गया। जब मूसा पर्वत पर था तभी पर्वत से परमेश्वर ने उससे कहा, “ये बातें इस्राएल के लोगों अर्थात् याकूब के बड़े परिवार से कहो,
यहोवा ने मूसा से कहा, “मेरे पास पर्वत पर आओ। मैंने अपने उपदेशों और आदेशों को दो समतल पत्थरों पर लिखा है। ये उपदेश लोगों के लिए हैं। मैं इन समतल पत्थरों को तुम्हें दूँगा।”
जब मैं तुमसे मिलूँगा तब मैं करूबों के बीच से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक के विशेष ढक्कन पर है, बात करूँगा। मैं अपने सभी आदेश इस्राएल के लोगों को उसी स्थान से दूँगा।”
“तुम्हें इन चीज़ों को यहोवा को भेंट में रोज़ जलाना चाहिए। यह यहोवा के सामने, मिलापवाले तम्बू के द्वार पर करो। यह सदा करते रहो। जब तुम भेंट चढ़ाओगे तब मैं अर्थात् यहोवा वहाँ तुम से मिलूँगा और तुमसे बातें करूँगा।
मूसा मिलापवाले तम्बू को डेरे से कुछ दूर ले गया। वहाँ उसने उसे लगाया और उसका नाम “मिलापवाला तम्बू” रखा। कोई व्यक्ति जो यहोवा से कुछ जानना चाहता था उसे डेरे के बाहर मिलापवाले तम्बू तक जाना होता था।
मूसा ने होमबलि वाली वेदी को, मिलापवाले तम्बू के प्रवेशद्वार पर रखा। तब मूसा ने एक होमबलि उस वेदी पर चढ़ाई। उसने अन्नबलि भी यहोवा को चढ़ाई। उसने ये चीज़ें यहोवा के आदेशानुसार कीं।
यहोवा ने सीनै पर्वत पर ये नियम मूसा को दिए। यहोवा ने ये नियम उस दिन दिए जिस दिन उसने इस्राएल के लोगों को सीनै मरुभूमि में यहोवा के लिए अपनी भेंट लाने का आदेश दिया था।
यहोवा ने मूसा से मिलापवाले तम्बू में बात की। यह सीनै मरुभूमि में हुई। यह बात इस्राएल के लोगों द्वारा मिस्र छोड़ने के बाद दूसरे वर्ष के दूसरे महीने के पहले दिन की थी। यहोवा ने मूसा से कहा:
मूसा मीलापवाले तम्बू में यहोवा से बात करने गया। उस समय उसने अपने से बात करती हुई यहोवा की वाणी सुनी। वह वाणी साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर के विशेष ढक्कन पर के दोनों करूबों के मध्य से आ रही थी। इस प्रकार परमेश्वर ने मूसा से बातें की।