जब सूरज ढल रहा था तो जिन के यहाँ विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रस्त रोगी थे, वे सभी उन्हें उसके पास लाये। और उसने अपना हाथ उनमें से हर एक के सिर पर रखते हुए उन्हें चंगा कर दिया।
अंधों को आँखें मिल रही हैं, लूले-लंगड़े चल पा रहे हैं, कोढ़ी चंगे हो रहे हैं, बहरे सुन रहे हैं और मरे हुए जिलाये जा रहे हैं। और दीन दुःखियों में सुसमाचार का प्रचार किया जा रहा है।
जब यीशु ने इसकी चर्चा सुनी तो वह वहाँ से नाव में किसी एकान्त स्थान पर अकेला चला गया। किन्तु जब भीड़ को इसका पता चला तो वे अपने नगरों से पैदल ही उसके पीछे हो लिये।
आग्रह के साथ विनती करता हुआ बोला, “मेरी नन्हीं सी बच्ची मरने को पड़ी है, मेरी विनती है कि तू मेरे साथ चल और अपना हाथ उसके सिर पर रख जिससे वह अच्छी हो कर जीवित रहे।”
परिणामस्वरूप लोग अपने बीमारों को लाकर चारपाइयों और बिस्तरों पर गलियों में लिटाने लगे ताकि जब पतरस उधर से निकले तो उनमें से कुछ पर कम से कम उसकी छाया ही पड़ जाये।