“मेरे दास को देखो! मैं ही उसे सभ्भाला हूँ। मैंने उसको चुना है, मैं उससे अति प्रसन्न हूँ। मैं अपनी आत्मा उस पर रखता हूँ। वह ही सब देशों में न्याय खरेपन से लायेगा।
लोग अपनी भूमि बेच सकते हैं। किन्तु जुबली के वर्ष में सारी भूमि उस परिवार समूह को लौट जाती है जो इसका असली मालिक होता है। उस समय सलोफाद की पुत्रियों की भूमि कौन पाएगा यदि वैसा होता है तो हमारा परिवार उस भूमि से सदा के लिए वंचित हो जाएगा।”