फिर उन दोनों ने राह में जो घटा था, उसका ब्योरा दिया और बताया कि जब उसने रोटी के टुकड़े लिये थे, तब उन्होंने यीशु को कैसे पहचान लिया था।
उन्होंने प्रेरितों के उपदेश, संगत, रोटी के तोड़ने और प्रार्थनाओं के प्रति अपने को समर्पित कर दिया।
हर समय यह जानने का जतन करते रहो कि परमेश्वर को क्या भाता है।