उसे सताया गया और दण्डित किया गया। किन्तु उसने उसके विरोध में अपना मुँह नहीं खोला। वह वध के लिये ले जायी जाती हुई भेड़ के समान चुप रहा। वह उस मेमने के समान चुप रहा जिसका ऊन उतारा जा रहा हो। अपना बचाव करने के लिये उसने कभी अपना मुँह नहीं खोला।
“कुत्तों को पवित्र वस्तु मत दो। और सुअरों के आगे अपने मोती मत बिखेरो। नहीं तो वे सुअर उन्हें पैरों तले रौंद डालेंगे। और कुत्ते पलट कर तुम्हारी भी धज्जियाँ उड़ा देंगे।
तब उसने उनसे कहा, “जाओ और उस लोमड़ से कहो, ‘सुन मैं लोगों में से दुष्टात्माओं को निकालूँगा, मैं आज भी चंगा करूँगा और कल भी। फिर तीसरे दिन मैं अपना काम पूरा करूँगा।’
शास्त्र के जिस अंश को वह पढ़ रहा था, वह था: “उसे वध होने वाली भेड़ के समान ले जाया जा रहा था। वह तो उस मेमने के समान चुप था। जो अपनी ऊन काटने वाले के समक्ष चुप रहता है, ठीक वैसे ही उसने अपना मुँह खोला नहीं!
जब वह अपमानित हुआ तब उसने किसी का अपमान नहीं किया, जब उसने दुःख झेले, उसने किसी को धमकी नहीं दी, बल्कि उस सच्चे न्याय करने वाले परमेश्वर के आगे अपने आपको अर्पित कर दिया।