पर वे यहा कहते हुए दबाव डालते रहे, “इसने समूचे यहूदिया में लोगों को अपने उपदेशों से भड़काया है। यह इसने गलील में आरम्भ किया था और अब समूचा मार्ग पार करके यहाँ तक आ पहुँचा है।”
मेरे शत्रुओं ने मुझे चारों ओर से घेर लिया है। मेरे प्राण संकट में है। वे ऐसे हैं, जैसे नरभक्षी सिंह और उनके तेज दाँत भालों और तीरों से और उनकी जीभ तेज तलवार की सी है।
मेरे शत्रु! मेरे सिर के बालों से भी अधिक हैं। वे मुझसे व्यर्थ बैर रखते हैं। वे मेरे विनाश की जुगत बहुत करते हैं। मेरे शत्रु मेरे विषय में झूठी बातें बनातें हैं। उन्होंने मुझको झूठे ही चोर बताया। और उन वस्तुओं की भरपायी करने को मुझे विवश किया, जिनको मैंने चुराया नहीं था।
हेरोदेस जब राज कर रहा था, उन्हीं दिनों यहूदिया के बैतलहम में यीशु का जन्म हुआ। कुछ ही समय बाद कुछ विद्वान जो सितारों का अध्ययन करते थे, पूर्व से यरूशलेम आये।
पिलातुस ने देखा कि अब कोई लाभ नहीं। बल्कि दंगा भड़कने को है। सो उसने थोड़ा पानी लिया और भीड़ के सामने अपने हाथ धोये, वह बोला, “इस व्यक्ति के खून से मेरा कोई सरोकार नहीं है। यह तुम्हारा मामला है।”
वे फिर चिल्लाये, “इसे ले जाओ! इसे ले जाओ। इसे क्रूस पर चढ़ा दो!” पिलातुस ने उनसे कहा, “क्या तुम चाहते हो तुम्हारे राजा को मैं क्रूस पर चढ़ाऊँ?” इस पर महायाजकों ने उत्तर दिया, “कैसर को छोड़कर हमारा कोई दूसरा राजा नहीं है।”
“तुम उस महान घटना को जानते हो, जो समूचे यहूदिया में घटी थी। गलील में प्रारम्भ होकर यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा दिए जाने के बाद से जिसका प्रचार किया गया था।
क्योंकि यह विवाद हिंसक रूप ले चुका था, इससे वह सेनापति डर गया कि कहीं वे पौलुस के टुकड़े-टुकड़े न कर डालें। सो उसने सिपाहियों को आदेश दिया कि वे नीचे जा कर पौलुस को उनसे अलग करके छावनी में ले जायें।