किन्तु वह तो उन बुरे कामों के लिये बेधा जा रहा था, जो हमने किये थे। वह हमारे अपराधों के लिए कुचला जा रहा था। जो कर्ज़ हमें चुकाना था, यानी हमारा दण्ड था, उसे वह चुका रहा था। उसकी यातनाओं के बदले में हम चंगे (क्षमा) किये गये थे।
पिलातुस ने उनसे तीसरी बार पूछा, “किन्तु इस व्यक्ति ने क्या अपराध किया है? मुझे इसके विरोध में कुछ नहीं मिला है जो इसे मृत्यु दण्ड का भागी बनाये। इसलिये मैं कोड़े लगवाकर इसे छोड़ दूँगा।”
किन्तु पौलुस ने उन सिपाहियों से कहा, “यद्यपि हम रोमी नागरिक हैं पर उन्होंने हमें अपराधी पाये बिना ही सब के सामने मारा-पीटा और जेल में डाल दिया। और अब चुपके-चुपके वे हमें बाहर भेज देना चाहते हैं, निश्चय ही ऐसा नहीं होगा। होना तो यह चाहिये के वे स्वयं आ कर हमें बाहर निकालें!”