रास्ते नष्ट हो गये हैं। गलियों में कोई नहीं चल फिर रहा है। लोगों ने जो सन्धियाँ की थी, वे उन्होंने तोड़ दिये हैं। लोग साक्षियों के प्रमाण पर विश्वास करने से मना करते हैं। कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति का आदर नहीं करता।
और फिर यह भी कि इन सब को वे पिता भी जिन्होंने हमारे शरीर को जन्म दिया है, हमें ताड़ना देते हैं। और इसके लिए हम उन्हें मान देते हैं तो फिर हमें अपनी आत्माओं के पिता के अनुशासन के तो कितना अधिक अधीन रहते हुए जीना चाहिए।