“अभी कोई अधिक समय नहीं बीता था, कि छोटे बेटे ने अपनी समूची सम्पत्ति समेंटी और किसी दूर देश को चल पड़ा। और वहाँ जँगलियों सा उद्दण्ड जीवन जीते हुए उसने अपना सारा धन बर्बाद कर डाला।
इस्राएल देश पाप से भर गया है। यह पाप एक ऐसे भारी बोझ के समान है जिसे लोगों को उठाना ही है। वे लोग बुरे और दुष्ट बच्चों के समान हैं। उन्होंने यहोवा को त्याग दिया। उन्होंने इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) का अपमान किया। उन्होंने उसे छोड़ दिया और उसके साथ अजनबी जैसा व्यवहार किया।
किन्तु देखो! अब लोग प्रसन्न हैं। लोग खुशियाँ मना रहे हैं। वे लोग कह रहे हैं: मवेशियों को मारो, भेड़ों का वध करो। हम उत्सव मनायेंगे। तुम अपना खाना खाओ और अपना दाखमधु पियो। खाओ और पियो क्योंकि कल तो हमें मर जाना है।
“मेरे लोगों ने दो पाप किये हैं। उन्होंने मुझे छोड़ दिया (मैं ताजे पानी का सोता हूँ।) और उन्होंने अपने पानी के निजी हौज खोदे हैं। (वे अन्य देवताओं के भक्त बने हैं।) किन्तु उनके हौज टूटे हैं। उन हौजों में पानी नहीं रुकेगा।
इस पीढ़ी के लोगों, यहोवा के सन्देश पर ध्यान दो: “क्या मैं इस्राएल के लोगों के लिये मरुभूमि सा बन गया? क्या मैं उनके लिये अंधेरे और भयावने देश सा बन गया? मेरे लोग कहते है, ‘हम अपनी राह जाने को स्वतन्त्र हैं, यहोवा, हम फिर तेरे पास नहीं लौटेंगे!’ वे उन बातों को क्यों कहते हैं?
जो यहोवा कहता है, वह यह है: “क्या तुम समझते हो कि, मैं तुम्हारे पूर्वजों का हितैषी नहीं था? तब वे क्यों मुझसे दूर हो गए तुम्हारे पूर्वजों ने निरर्थक हो गये।
यहोवा कहता है: “हे मेरे लोगों, क्या मैंने कभी तुम्हारा कोई बुरा किया है? मैंने कैसे तुम्हारा जीवन कठिन किया है? मुझे बताओ, मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है?
इन्हें बुराई का बदला बुराई से मिलेगा। दिन के प्रकाश में भोग-विलास करना इन्हें भाता है। ये लज्जापूर्ण धब्बे हैं। ये लोग जब तुम्हारे साथ उत्सवों में सम्मिलित होते हैं तो