इसीलिये जब मैदान की घास को, जो आज यहाँ है और जिसे कल ही भाड़ में झोक दिया जायेगा, परमेश्वर ऐसे वस्त्रों से सजाता है तो ओ अल्प विश्वासियो, तुम्हें तो वह और कितने ही अधिक वस्त्र पहनायेगा।
एक वाणी मुखरित हुई, उसने कहा, “बोलो!” सो व्यक्ति ने पूछा, “मैं क्या कहूँ” वाणी ने कहा, “लोग सर्वदा जीवित नहीं रहेंगे। वे सभी रेगिस्तान के घास के समान है। उनकी धार्मिकता जंगली फूल के समान है।
उत्तर में यीशु ने कहा, “अरे भटके हुए अविश्वासी लोगों, मैं कितने समय तुम्हारे साथ और रहूँगा? कितने समय मैं यूँ ही तुम्हारे साथ रहूँगा? उसे यहाँ मेरे पास लाओ।”
यीशु ने उन्हें बताया, “क्योंकि तुममें विश्वास की कमी है। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, यदि तुममें राई के बीज जितना भी विश्वास हो तो तुम इस पहाड़ से कह सकते हो ‘यहाँ से हट कर वहाँ चला जा’ और वह चला जायेगा। तुम्हारे लिये असम्भव कुछ भी नहीं होगा।”
इसलिये जब जंगली पौधों को जो आज जीवित हैं पर जिन्हें कल ही भाड़ में झोंक दिया जाना है, परमेश्वर ऐसे वस्त्र पहनाता है तो अरे ओ कम विश्वास रखने वालों, क्या वह तुम्हें और अधिक वस्त्र नहीं पहनायेगा?
फिर उसने उनसे पूछा, “कहाँ गया तुम्हारा विश्वास?” किन्तु वे डरे हुए थे और अचरज में पड़ें थे। वे आपस में बोले, “आखिर यह है कौन जो हवा और पानी दोनों को आज्ञा देता है और वे उसे मानते हैं?”
वे लोग ऐसी धरती के जैसे हैं जो प्रायः होने वाली वर्षा के जल को सोख लेती है, और जोतने बोने वाले के लिए उपयोगी फसल प्रदान करती है, वह परमेश्वर की आशीष पाती है।