इस्राएल एक ऐसी दाखलता है जिस पर बहुतेरे फल लगते हैं। इस्राएल ने परमेश्वर से अधिकाधिक वस्तुऐं पाई किन्तु वह झूठे देवताओं के लिये अनेकानेक वेदियाँ बनाता ही चला गया। उसकी धरती अधिकाधिक उत्तम होने लगी सो वह अच्छे से अच्छा पत्थर झूठे देवताओं को मान देने के लिये पधराता गया।
“हाँ! जो व्यक्ति बुरे कामों के द्वारा धनवान बनता है, उसका यह धनवान बनना, उसके लिये बहुत बुरा होगा। ऐसा व्यक्ति सुरक्षापूर्वक रहने के लिये ऐसे काम करता है। वह सोचा करता है कि वह उसकी वस्तुएं चुराने से दूसरे व्यक्तियों को रोक सकता है। किन्तु बुरी बातें उस पर पड़ेंगी ही।
सो अपनी सम्पत्ति बेच कर धन गरीबों में बाँट दो। अपने पास ऐसी थैलियाँ रखो जो पुरानी न पड़ें अर्थात् कभी समाप्त न होने वाला धन स्वर्ग में जुटाओ जहाँ उस तक किसी चोर की पहँच न हो। और न उसे कीड़े मकौड़े नष्ट कर सकें।
किन्तु अपनी कठोरता और कभी पछतावा नहीं करने वाले मन के कारण उसके क्रोध को अपने लिए उस दिन के वास्ते इकट्ठा कर रहा है जब परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रकट होगा।
हमें शोक से व्याकुल समझा जाता है, जबकि हम तो सदा ही प्रसन्न रहते हैं। हम दीन-हीनों के रूप में जाने जाते हैं, जबकि हम बहुतों को वैभवशाली बना रहे हैं। लोग समझते हैं हमारे पास कुछ नहीं है, जबकि हमारे पास तो सब कुछ है।
किन्तु वे जो धनवान बनना चाहते हैं, प्रलोभनों में पड़कर जाल में फँस जाते हैं तथा उन्हें ऐसी अनेक मूर्खतापूर्ण और विनाशकारी इच्छाएँ घेर लेती हैं जो लोगों को पतन और विनाश की खाई में ढकेल देती हैं।
हे मेरे प्यारे भाईयों, सुनो क्या परमेश्वर ने संसार की आँखों में उन निर्धनों को विश्वास में धनी और उस राज्य के उत्तराधिकारी के रूप में नहीं चुना, जिसका उसने, जो उसे प्रेम करते हैं, देने का वचन दिया है।
“मैं तुम्हारी यातना और तुम्हारी दीनता के विषय में जानता हूँ। यद्यपि वास्तव में तुम धनवान हो! जो अपने आपको यहूदी कह रहे हैं, उन्होंने तुम्हारी जो निन्दा की है, मैं उसे भी जानता हूँ। यद्यपि वे यहूदी हैं नहीं। बल्कि वे तो उपासकों का एक ऐसा जमघट हैं जो शैतान से सम्बन्धित है।