“मुझे मेरे पिता द्वारा सब कुछ दिया गया है और पिता के सिवाय कोई नहीं जानता कि पुत्र कौन है और पुत्र के अतिरिक्त कोई नहीं जानता कि पिता कौन है, या उसके सिवा जिसे पुत्र इसे प्रकट करना चाहता है।”
उस अवसर पर यीशु बोला, “परम पिता, तू स्वर्ग और धरती का स्वामी है, मैं तेरी स्तुति करता हूँ क्योंकि तूने इन बातों को, उनसे जो ज्ञानी हैं और समझदार हैं, छिपा कर रखा है। और जो भोले भाले हैं उनके लिए प्रकट किया है।
“मेरे परम पिता ने सब कुछ मुझे सौंप दिया और वास्तव में परम पिता के अलावा कोई भी पुत्र को नहीं जानता। और कोई भी पुत्र के अलावा परम पिता को नहीं जानता। और हर वह व्यक्ति परम पिता को जानता है, जिसके लिये पुत्र ने उसे प्रकट करना चाहा है।
न केवल मैंने तेरे नाम का उन्हें बोध कराया है बल्कि मैं इसका बोध कराता भी रहूँगा ताकि वह प्रेम जो तूने मुझ पर दर्शाया है उनमें भी हो। और मैं भी उनमें रहूँ।”
क्योंकि उसी परमेश्वर ने, जिसने कहा था, “अंधकार से ही प्रकाश चमकेगा” वही हमारे हृदयों में प्रकाशित हुआ है, ताकि हमें यीशु मसीह के व्यक्तित्व में परमेश्वर की महिमा के ज्ञान की ज्योति मिल सके।
सभी शासकों, अधिकारियों, सामर्थ्यों और प्रभुताओं तथा हर किसी ऐसी शक्तिशाली पदवी के ऊपर स्थापित किया था, जिसे न केवल इस युग में बल्कि आने वाले युग में भी किसी को दिया जा सकता है।
और उसके चरणों तले उसकी अधीनता मे सभी कुछ रख दिया।” सब कुछ को उसके अधीन रखते हुए परमेश्वर ने कुछ भी ऐसा नहीं छोड़ा जो उसके अधीन न हो। फिर भी आजकल हम प्रत्येक वस्तु को उसके अधीन नहीं देख रहे हैं।
किन्तु हमको पता है कि परमेश्वर का पुत्र आ गया है और उसने हमें वह ज्ञान दिया है ताकि हम उस परमेश्वर को जान लें जो सत्य है। और यह कि हम उसी में स्थित हैं, जो सत्य है, क्योंकि हम उसके पुत्र यीशु मसीह में स्थिर हैं। परम पिता ही सच्चा परमेश्वर है और वही अनन्त जीवन है।
जो कोई बहुत दूर चला जाता है और मसीह के विषय में दिए गए सच्चे उपदेश में टिका नहीं रहता, वह परमेश्वर को प्राप्त नहीं करता और जो उसकी शिक्षा में बना रहता है, परमपिता और पुत्र दोनों ही उसके पास हैं।