सुन! तू गर्भवती होगी और एक पुत्र को जन्म देगी और तू उसका नाम यीशु रखेगी।
इसलिये तेरी माता और तेरे पिता को आनन्द प्राप्त करने दे और जिसने तुझ को जन्म दिया, उसको हर्ष मिलता ही रहे।
किन्तु, मेरा स्वामी परमेश्वर तुम्हें एक संकेत दिखायेगा: “देखो, एक कुवाँरी गर्भवती होगी और वह एक पुत्र को जन्म देगी। वह इस पुत्र का नाम इम्मानुएल रखेगी।
वह एक पुत्र को जन्म देगी। तू उसका नाम यीशु रखना क्य़ोंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से उद्धार करेगा।”
“सुनो, एक कुँवारी कन्या गर्भवती होकर एक पुत्र को जन्म देगी। उसका नाम इम्मानुएल रखा जायेगा।” (जिसका अर्थ है “परमेश्वर हमारे साथ है।”)
किन्तु जब तक उसने पुत्र को जन्म नहीं दे दिया, वह उसके साथ नहीं सोया। यूसुफ ने बेटे का नाम यीशु रखा।
फिर प्रभु के दूत ने उससे कहा, “जकरयाह डर मत, तेरी प्रार्थना सुन ली गयी है। इसलिये तेरी पत्नी इलीशिबा एक पुत्र को जन्म देगी, तू उसका नाम यूहन्ना रखना।
और जब बालक के ख़तने का आठवाँ दिन आया तो उसका नाम यीशु रखा गया। उसे यह नाम उसके गर्भ में आने से भी पहले स्वर्गदूत द्वारा दे दिया गया था।
इस प्रकार जब दाऊद मसीह को ‘प्रभु’ कहता है तो मसीह दाऊद का पुत्र कैसे हो सकता है?”
किन्तु जब उचित अवसर आया तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा जो एक स्त्री से जन्मा था। और व्यवस्था के अधीन जीता था।