हम यह जानते हैं कि हमारा पुराना व्यक्तित्व यीशु के साथ ही क्रूस पर चढ़ा दिया गया था ताकि पाप से भरे हमारे शरीर नष्ट हो जायें। और हम आगे के लिये पाप के दास न बने रहें।
तब नामान ने कहा, “यदि आप इस भेंट को स्वीकार नहीं करते तो कम से कम आप मेरे लिये इतना करें। मुझे इस्राएल की इतनी पर्याप्त धूलि लेने दें जिससे मेरे दो खच्चरों पर रखे टोकरे भर जायें। क्यों क्योंकि मैं फिर कभी होमबिल या बलि किसी अन्य देवता को नहीं चढ़ाऊँगा। मैं केवल यहोवा को ही बलि भेंट करूँगा।
हे यहोवा, तू हमारा परमेश्वर है किन्तु पहले हम पर दूसरे देवता राज करते थे। हम दूसरे स्वामियों से जुड़े हुए थे किन्तु अब हम यह चाहते हैं कि लोग बस एक ही नाम याद करें वह है तेरा नाम।
किन्तु अब तुम्हें पाप से छुटकारा मिल चुका है और परमेश्वर के दास बना दिये गये हो तो जो खेती तुम काट रहे हो, तुम्हें परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण समर्पण में ले जायेगी। जिसका अंतिम परिणाम है अनन्त जीवन।
इसी से अब आगे मैं जीवित नहीं हूँ किन्तु मसीह मुझ में जीवित है। सो इस शरीर में अब मैं जिस जीवन को जी रहा हूँ, वह तो विश्वास पर टिका है। परमेश्वर के उस पुत्र के प्रति विश्वास पर जो मुझसे प्रेम करता था, और जिसने अपने आप को मेरे लिए अर्पित कर दिया।
जहाँ तक तुम्हारे पुराने जीवन प्रकार का संबन्ध हैं तुम्हें शिक्षा दी गयी थी कि तुम अपने पुराने व्यक्तित्व को उतार फेंको जो उसकी भटकाने वाली इच्छाओं के कारण भ्रष्ट बना हुआ है।
यह मैं इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि एक समय था, जब हम भी मूर्ख थे। आज्ञा का उल्लंघन करते थे। भ्रम में पड़े थे। तथा वासनाओं एवं हर प्रकार के सुख-भोग के दास बने थे। हम दुष्टता और ईर्ष्या में अपना जीवन जीते थे। हम से लोग घृणा करते थे तथा हम भी परस्पर एक दूसरे को घृणा करते थे।