“हत्या करने को वे हरदम उतावले रहते है।
क्योंकि उनके पैर पाप करने को शीघ्र बढ़ते, वे लहू बहाने को अति गतिशील हैं।
ऐसा हृदय जो कुचक्र भरी योजनाएँ रचता रहताहै, ऐसे पैर जो पाप के मार्ग पर तुरन्त दौड़ पड़ते हैं।
वे जहाँ कहीं जाते नाश ही करते हैं, संताप देते हैं।