स्वर्ग से सुन। तू अपने सेवकों का फैसला कर और उसे कार्यान्वित कर। दोषी को दण्ड दे और उसे उतना कष्ट होने दे जितना कष्ट उसने दूसरे को दिया हो। यह प्रमाणित कर कि जिस व्यक्ति ने ठीक कार्य किया है, वह निरपराध है।
अत: मैं अपना क्रोध प्रकट करुँगा, मैंउन्हें पूरी तरह नष्ट करूँगा! मैं उन्हें उन बुरे कामों के लिये दण्डित करुँगा जिन्हें उन्होंने किये हैं। यह सब उनका दोष है!” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
“पृथ्वी पर अनेक परिवार हैं। किन्तु तुम अकेले परिवार हो जिसे मैंने विशेष ध्यान देने के लिये चुना। किन्तु तुम मेरे विरूद्ध हो गए। अत: मैं तुम्हारे सभी पापों के लिये दण्ड दूँगा।”
विश्वासियों ने जब यह सुना तो उन्होंने प्रश्न करना बन्द कर दिया। वे परमेश्वर की महिमा करते हुए कहने लगे, “अच्छा, तो परमेश्वर ने विधर्मियों तक को मन फिराव का वह अवसर दिया है, जो जीवन की ओर ले जाता है!”
यहूदियों और यूनानियों को मैं समान भाव से मन फिराव के परमेश्वर की तरफ़ मुड़ने को कहता रहा हूँ और हमारे प्रभु यीशु में विश्वास के प्रति उन्हें सचेत करता रहा हूँ।
बल्कि उसके विपरीत मैं पहले उन्हें दमिश्क में, फिर यरूशलेम में और यहूदिया के समूचे क्षेत्र में और ग़ैर यहूदियों को भी उपदेश देता रहा कि मनफिराव के, परमेश्वर की ओर मुड़े और मनफिराव के योग्य काम करें।
तीन दिन बाद पौलुस ने यहूदी नेताओं को बुलाया और उनके एकत्र हो जाने पर वह उनसे बोला, “हे भाईयों, चाहे मैंने अपनी जाति या अपने पूर्वजों के विधि-विधानके प्रतिकूल कुछ भी नहीं किया है, तो भी यरूशलेम में मुझे बंदी के रूप में रोमियों को सौंप दिया गया था।
मैं सुसमाचार के लिए शर्मिन्दा नहीं हूँ क्योंकि उसमें पहले यहूदी और फिर ग़ैर यहूदी जो भी उसमें विश्वास रखता है—उसके उद्धार के लिये परमेश्वर की सामर्थ्य है।
परिणामस्वरूप वहाँ यहूदी और ग़ैर यहूदी में कोई अन्तर नहीं रह गया है, न किसी ख़तना युक्त और ख़तना रहित में, न किसी असभ्य और बर्बर में, न दास और एक स्वतन्त्र व्यक्ति में कोई अन्तर है। मसीह सर्वेसर्वा है और सब विश्वासियों में उसी का निवास है।
क्योंकि परमेश्वर के अपने परिवार से ही आरम्भ होकर न्याय प्रारम्भ करने का समय आ पहुँचा है। और यदि यह हमसे ही प्रारम्भ होता है तो जिन्होंने परमेश्वर के सुसमाचार का पालन नहीं किया है, उनका परिणाम क्या होगा?