तो फिर हम क्या कहें? क्या हम यहूदी ग़ैर यहूदियों से किसी भी तरह अच्छे है, नहीं बिल्कुल नहीं। क्योंकि हम यह दर्शा चुके है कि चाहे यहूदी हों, चाहे ग़ैर यहूदी सभी पाप के वश में हैं।
अतः जैसे उस एक व्यक्ति के आज्ञा न मानने के कारण सब लोग पापी बना दिये गये वैसे ही उस एक व्यक्ति की आज्ञाकारिता के कारण सभी लोग धर्मी भी बना दिये जायेंगे।
किन्तु शास्त्र ने घोषणा की है कि यह समूचा संसार पाप की शक्ति के अधीन है। ताकि यीशु मसीह में विश्वास के आधार पर जो वचन दिया गया है, वह विश्वासी जनों को भी मिले।